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SAMPLE QUESTION PAPER - 1

Hindi A (002)
Class IX (2024-25)

निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80


सामान्य निर्देश:
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए :
इस प्रश्नपत्र में कु ल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
इस प्रश्नपत्र में कु ल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ।
खंड-क में कु ल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 10 है।
खंड-ख में कु ल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए 16 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
खंड-ग में कु ल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 21 है।
खंड-घ में कु ल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए ।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
प्रकृ ति की ताकत के सामने इंसान कितना बौना है, यह कु छ समय पहले फिर सामने आया।
यों प्रकृ ति सहनशीलता, धैर्य, अनुशासन की प्रतिमूर्ति के रूप में हमारा पथ-प्रदर्शन करती है,
हमारे भीतर संघर्ष का भाव जगाकर समस्या के हल के लिए उत्प्रेरक का काम करती है,
लेकिन जब भी इंसान ने खुद को जीवन देने वाले प्रकृ ति प्रदत्त उपहारों, जैसे-जल, जंगल और
जमीन का शोषण जोंक की भाँति करने की कोशिश की, तब चेतावनी के रूप में प्रकृ ति के
अनेक रं ग देखने को मिले हैं। जल का स्वभाव है अविरल प्रवाह, जिसे बाँधना वर्तमान समय
में मनुष्य की फितरत बन गई है। वनों ने हमेशा मनुष्य को लाभ ही दिया, लेकिन स्वार्थ में
अंधे मनुष्य ने वनों को बेरहमी से उजाड़ने, पेड़ों को काटने में कभी संकोच नहीं किया।
नदियों की छाती को छलनी कर अवैध खनन के रोज नए रिकॉर्ड बनाना इंसान का स्वभाव
बन चुका है। पहाड़ों को खोदकर अट्टालिकाएँ खड़ी करने में हमें कोई हिचक नहीं होती।
पृथ्वी के गर्भ से भू-जल, खनिज, तेल आदि को अंधाधुंध या बेलगाम तरीके से निकाले जाने
का सिलसिला जारी है। इसलिए नतीजे के तौर पर अगर हर साल तबाही का सामना करना
पड़े तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए।
हमें याद रखना होगा कि जब भी प्रकृ ति अपना अनुशासन तोड़ती है, तब भारी तबाही का
मंजर ही सामने आता है। आज जरूरत इस बात की नहीं कि हम इतिहास का दर्शन कर
खुद को अभी भी पुरानी हालत और रवैए में रहने दें, बल्कि आवश्यकता इस बात की है कि
हम प्रकृ ति के इस रूप को गंभीरता से लेते हुए अपने आचरण में यथोचित सुधार करें और
प्रकृ ति की सीमा का अतिक्रमण न करें ।
1. प्रकृ ति की ताकत के सामने मानव कब बौना हो जाता है? (1)
(क) जब मनुष्य वनों को बेरहमी से उजाड़ता है
(ख) जब हम प्रकृ ति की सीमा का अतिक्रमण करते हैं
(ग) जब प्रकृ ति अपना अनुशासन तोड़ती है
(घ) जब प्रकृ ति हमारा पथ-प्रदर्शन करती है
2. प्रकृ ति के अनुशासन तोड़ने का क्या परिणाम होता है? (1)
(क) प्रकृ ति के अनेक रं ग देखने को मिले हैं
(ख) भारी तबाही का मंजर सामने आता है
(ग) प्रकृ ति हमारा पथ-प्रदर्शन करती है
(घ) प्रकृ ति अनुशासन की प्रतिमूर्ति बन जाती है
3. जल का स्वभाव है अविरल प्रवाह, जिसे बाँधना वर्तमान समय में मनुष्य की फितरत बन
गई है। यहाँ अविरल का क्या अर्थ है? (1)
(क) निरन्तर प्रवाह
(ख) अवरुद्ध प्रवाह
(ग) रुक रुक कर चलना
(घ) अस्थाई प्रवाह
4. प्रकृ ति के अनेक रं ग कब देखने को मिले हैं? (2)
5. इस गद्यांश के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है? (2)

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]


पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।
पुरुष क्या, पुरुषार्थ हुआ न जो,
हृदय की सब दुर्बलता तजो।
प्रबल जो तुम में पुरुषार्थ हो,
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो?
प्रगति के पथ में विचरों उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न पुरुषार्थ बिना कु छ स्वार्थ है,
न पुरुषार्थ बिना परमार्थ है।
समझ लो यह बात यथार्थ है।
कि पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ है।
भुवन में सुख-शांति भरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न पुरुषार्थ बिना स्वर्ग है,
न पुरुषार्थ बिना अपसर्ग है।
न पुरुषार्थ बिना क्रियत कहीं,
न पुरुषार्थ बिना प्रियता कहीं।
सफलता वर-तुल्य वरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न जिसमें कु छ पौरुष हो यहाँ-
सफलता वह पा सकता कहाँ?
अपुरुषार्थ भयंकर पाप है,
न उसमें यश है, न प्रताप है।
न कृ मि-कीट समान मरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
i. काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)
(क) अपुरुषार्थ
(ख) परमार्थ
(ग) सफलता
(घ) पुरुषार्थ का महत्त्व
ii. मनुष्य पुरुषार्थ से क्या-क्या कर सकता है? (1)
(क) पुरुषार्थ से मनुष्य अपना व समाज का भला कर सकता है।
(ख) वह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है
(ग) वह विश्व में सुख-शांति की स्थापना कर सकता है।
(घ) उपरोक्त सभी
iii. काव्यांश के प्रथम भाग के माध्यम से कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है? (1)
(क) वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम
बढ़ाए।
(ख) वह सफलता से जीवन का आनंद प्राप्त करे ।
(ग) वह यश और प्रताप हासिल करे और दू सरों पर राज करे ।
(घ) वह युद्ध करे ।
iv. 'सफलता वर-तुल्य वरो, उठो'-पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए। (2)
v. 'अपुरुषार्थ भयंकर पाप है'-कै से? (2)

खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण


3. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए- [4]
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग करके लिखिए- (किन्ही दो) (2)
i. उपमान
ii. अमर
iii. संचालन
निम्नलिखित मूल शब्दों में प्रत्यय जोड़कर बनने वाले शब्द लिखिए- (किन्ही दो) (2)
i. ओढ़ + ना
ii. बिछा + औना
iii. चल + नी

4. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए। [4]
i. यथाक्रम (विग्रह कीजिए)
ii. राजपुत्र (विग्रह कीजिए)
iii. प्रिय सखा (समस्त पद लिखिए)
iv. तीन भुजाओं का समाहार (समस्त पद लिखिए)
v. सात है खण्ड जिसमें (समस्त पद लिखिए)

5. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए।मैं आज दिल्ली नहीं जा रहा। [4]
i. ऊपर चले जाईये। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद)
ii. शायद मुझे तुमसे प्यार है। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद)
iii. आज मामाजी आएँ गे। (संके तवाचक वाक्य)
iv. यदि आज तुम नहीं होती तो मैं भी नहीं होता। (निषेधवाचक वाक्य)
v. कितना सुंदर फू ल है। (विस्मयावाचक वाक्य)

6. निम्नलिखित काव्यांशों में से किन्हीं चार के अलंकार भेद पहचान कर लिखिए - [4]
i. बरसत बारिद बून्द गहि
ii. मुदित महिपति मंदिर आए।
iii. लहर लहर कर यदि चूमे तो, किं चित विचलित मत होना।
iv. रती-रती सोभा सब रती के सरीर के ।
v. चरण धरत चिंता करत चितवत चारोंहुँ ओर सुवरन को खोजत फिरे , कवि, व्यभिचारी,
चोर।।

खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
नीलाम हो जाने के बाद दोनों मित्र उस दढ़ियल के साथ चले। दोनों की बोटी-बोटी काँप रही
थी। बेचारे पाँव तक न उठा सकते थे, पर भय के मारे गिरते-पड़ते भागे जाते थे; क्योंकि वह
जरा भी चाल धीमी हो जाने पर ज़ोर से डंडा जमा देता था। राह में गाय-बैलों का एक रे वड़
हरे -हरे हार में चरता नजर आया। सभी जानवर प्रसन्न थे, चिकने, चपल कोई उछलता था,
कोई आनंद से बैठा पागुर करता था। कितना सुखी जीवन था इनका, पर कितने स्वार्थी हैं
सब। किसी को चिंता नहीं कि उनके दो भाई बधिक के हाथ पड़े कै से दुः खी हैं।
सहसा दोनों को ऐसा मालूम हुआ कि यह परिचित राह है। हाँ, इसी रास्ते से गया उन्हें ले गया
था। वही खेत, वही बाग, वही गाँव मिलने लगे। प्रतिक्षण उनकी चाल तेज होने लगी। सारी
थकान, सारी दुर्बलता गायब हो गई। आह? यह लो!
अपना ही घर आ गया। इसी कु एँ पर हम पुर चलाने आया करते थे, यही कु आँ है।

(i) दढ़ियल व्यक्ति कौन था?

क) एक बधिक अर्थात् कसाई ख) झूरी

ग) झूरी की पत्नी का भाई घ) एक व्यापारी

(ii) दोनों बैल दढ़ियल के साथ चलते हुए क्यों काँप रहे थे?

क) उन्हें डर था कि वह दढियल ख) उन्हें डर था कि वह उन्हें अब


उन्हें गया को न सौंप दे मार डालेगा

ग) उन्हें स्वर्य को पीटे जाने का डर घ) उन्हें झूरी से दू र हो जाने का डर


था था

(iii) बैलों को किनका जीवन अधिक सुखमय लगा?

क) गाँव के जीवन का ख) राह में मिले गाय-बैलों के झुंड


का

ग) दढ़ियल व्यक्ति का घ) इनमें से कोई नहीं

(iv) दोनों बैलों की चाल अचानक तेज क्यों हो गई?

क) इनमें से कोई नहीं ख) वे गाय-बेलों के रे वड़ में मिल


जाना चाहते थे

ग) उन्हें लगा कि वे जिसं रास्ते से जा घ) उनके मन में दढ़ियल व्यक्ति को


रहे हैं, वह परिचित है मारने का विचार आया

(v) दुर्बलता में क्रमशः उपसर्ग व प्रत्यय कौन-से हैं?

क) दु:, लता ख) दु:, ता

ग) दुर् , ता घ) ता, दुर्

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) डाँड़े तथा निर्जन स्थलों पर डाकू यात्रियों का खून पहले ही क्यों कर देते हैं? [2]

(ii) लॉरें स के बारे में कौन अधिक जानता था? इससे उनके किस गुण का पता चलता है? [2]

(iii) 'क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज' राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल था-स्पष्ट कीजिए। [2]
(iv) पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए- जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते [2]
की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजे, सोई संत सुजान।।

(i) कबीर जी के अनुसार, किसके कारण पूरा संसार भक्ति के वास्तविक मार्ग को भूल गया है?

क) इनमें से कोई नहीं ख) पक्ष-विपक्ष के कारण

ग) नास्तिकता के कारण घ) लड़ाईझगड़े के कारण

(ii) हरिभजन के लिए किस भावना का होना आवश्यक है?

क) भेदभाव की भावना का ख) धर्म पर विश्वास करने की भावना


का

ग) पक्षपात की भावना का घ) मन में निष्पक्षता की भावना का

(iii) निरपख होई के हरि भजै, सोई संत सुजान पंक्ति है क्या आशय है?

क) मनुष्य को बिना किसी पक्ष- ख) मनुष्य को बिना किसी तर्क -


विपक्ष के भक्ति का मार्ग वितर्क के भगवान का भजन
अपनाना चाहिए करना चाहिए

ग) सभी घ) निष्पक्ष भक्ति करने वाला ही


सच्चे अर्थों में संत कहलाता है

(iv) सच्चा ज्ञानी कौन कहलाता है?

क) जो बैर-भाव के साथ ईश्वर भजन ख) जो भेदभाव को सर्वोपरि रखता


करता है है

ग) जिसमें जातिवाद की भावना घ) जो बैर-भाव से दू र रहकर ईश्वर


होती है भजन करता है

(v) सोई संत सुजान में कौन-सा अलंकार है?

क) उपमा ख) यमक

ग) उत्प्रेक्षा घ) अनुप्रास

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]
(i) 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए। [2]

(ii) मेघ आए कविता में अतिथि का जो स्वागत-सत्कार हुआ है, उसमें भारतीय संस्कृ ति की [2]
कितनी झलक मिली है, अपने शब्दों में लिखिए।

(iii) माँझी और उतराई का प्रतीकार्थ समझाइए? यह माँझी कवयित्री को कहाँ पहुँचाता है? [2]

(iv) ग्राम श्री कविता के आधार पर खेतों में कौन-कौन से रं ग किस-किस फ़सल में दिखाई दे [2]
रहे हैं?

खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए: [8]

(i) अच्छा है, कु छ भी नहीं। कलम थी वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कु छ भी नहीं-मेरे [4]
पास। -मूवी कै मरा टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कं ठा होते हुए भी लेखक ने अंत में
उपर्युक्त कथन क्यों कहा? इस जल प्रलय में पाठ के अनुसार बताइए।

(ii) मेरे संग की औरतें पाठ में लेखिका की परदादी ने ऐसी कौन-सी बात कह दी थी, जिसे [4]
सुनकर सभी हैरान हो गए?

(iii) रीढ़ की हड्डी एकांकी में किस समस्या को उठाया गया है? क्या आज भी हमें इस [4]
समस्या का भयंकर रूप दिखाई देता है? स्पष्ट कीजिए।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये: [6]

(i) खेल और अनुशासन विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द [6]
लिखिए।
संके त-बिंदु
अनुशासित व्यवहार
सफलता का रहस्य
सामूहिकता की भावना

(ii) ज़िन्दगी जिन्दादिली का नाम है विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर [6]
अनुच्छे द लिखिए।
भूमिका
नवीन दृष्टिकोण
निष्काम कर्म

(iii) सौर ऊर्जा: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर [6]
अनुच्छे द लिखिए।
भूमिका, स्रोत, देश के लिए क्यों आवश्यक, लाभ

13. आपके बचत खाते का ए. टी. एम. कार्ड खो गया है। इस सम्बन्ध में तत्काल उचित कार्यवाही [5]
करने हेतु बैंक प्रबन्धक को पत्र लिखिए।

अथवा
अपने मित्र को पत्र लिखें जिसमें हिंदी का महत्त्व और लाभ बताए गए हों।

14. राज्य के परिवहन सचिव [email protected] को एक ईमेल लिखिए, जिसमें आपकी [5]
बस्ती तक नया बस मार्ग आरं भ कराने का अनुरोध हो।

अथवा
देखते ही देखते ओले बरसने लगे। टेनिस बॉल जैसे बड़े-बड़े। पहले कभी नहीं देखे ऐसे
ओले ... विषय पर एक लघुकथा लिखिए।

15. मारपीट करने वाले एक छात्र और अनुशासन समिति के अध्यक्ष का संवाद लगभग 50 शब्दों [4]
में लिखिए।

अथवा
आप रोमिल टिक्कू /रोमिला टिक्कू हैं और ग़ैर-सरकारी संगठन मिलाप के अध्यक्ष/की अध्यक्षा हैं।
आपका संगठन खेलों में उत्कृ ष्ट प्रदर्शन हेतु विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देना चाहता है। जनसामान्य
को इसकी जानकारी देने के लिए लगभग 80 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
Solution
SAMPLE QUESTION PAPER - 1
Hindi A (002)
Class IX (2024-25)

खंड क - अपठित बोध


1. 1. (ग) जब हम प्रकृ ति की सीमा का अतिक्रमण करते हैं तो उसका तांडव देखने को मिलता है मानव
प्रकृ ति की विनाशलीला के समक्ष अपने आप को विवश पाता है और प्रकृ ति की ताकत के सामने
मानव बौना जान पड़ता है।
2. (ख) प्रकृ ति के अनुशासन तोड़ने का परिणाम हमारे सामने भारी तबाही के परिदृश्य के रूप में
प्रकट होता है जिस पर नियंत्रण असंभव होता है।
3. (क) निरं तर प्रवाह
4. जब इंसान ने खुद को जीवन देने वाले प्रकृ ति प्रदत्त उपहारों, जैसे-जल, जंगल और जमीन का
शोषण जोंक की भाँति करने की कोशिश की, अर्थात जब हम स्वार्थवश अतिदोहन की प्रक्रिया को
अंज़ाम देते हैं तब चेतावनी के रूप में प्रकृ ति के अनेक रं ग देखने को मिले हैं।
5. इस गद्यांश के माध्यम से लेखक ने यह संदेश दिया है कि हम अपने अधिकाधिक लाभ कमाने के
पुराने रवैए को छोड़कर अपने आचरण में यथोचित सुधार करना होगा ।हमें प्रकृ ति की सीमा का
अतिक्रमण नहीं करना चाहिए अन्यथा हमें गंभीर प्राकृ तिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा।
2. i. (घ) शीर्षक-पुरुषार्थ का महत्त्व। अथवा पुरुष हो पुरुषार्थ करो।
ii. (घ) पुरुषार्थ से मनुष्य अपना व समाज का भला कर सकता है। वह विश्व में सुख-शांति की
स्थापना कर सकता है।
iii. (क) इसके माध्यम से कवि ने मनुष्य को प्रेरणा दी है कि वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके
परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाए।
iv. इसका अर्थ है कि मनुष्य निरं तर कर्म करे तथा वरदान के समान सफलता को धारण करे । दू सरे
शब्दों में, जीवन में सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक है।
v. अपुरुषार्थ का अर्थ यह है-कर्म न करना। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसे यश नहीं मिलता।
उसे वीरत्व नहीं प्राप्त होता। इसी कारण अपुरुषार्थ को भयंकर पाप कहा गया है।
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. उपसर्ग
i. उपमान = 'उप' उपसर्ग और 'मान' मूल शब्द है |
ii. अमर = 'अ' उपसर्ग और 'मर' मूल शब्द है |
iii. संचालन = 'सम्' उपसर्ग और 'चालन' मूल शब्द है |
प्रत्यय
i. ओढ़ + ना = ओढ़ना
ii. बिछा + औना = बिछौना
iii. चल + नी = चलनी
4. i. यथाक्रम = क्रम के अनुसार (अव्ययीभाव समास)
ii. राजपुत्र = राजा का पुत्र (तत्पुरुष समास)
iii. प्रिय सखा = प्रियसखा (कर्मधारय समास)
iv. तीन भुजाओं का समाहार = त्रिभुज (द्विगु समास)
v. सात है खण्ड जिसमें = सतखंडा (बहुब्रीहि समास)
5. i. आज्ञावाचक वाक्य
ii. संदेहवाचक वाक्य
iii. अगर आज मामाजी आए तो हम कहीं बाहर घूमने जाएँ गे।
iv. आज तुम्हारे न होने पर मैं भी नहीं होता।
v. आहा ! बड़ा ही सुन्दर फू ल है।
6. i. अनुप्रास अलंकार
ii. अनुप्रास अलंकार
iii. यमक अलंकार
iv. यमक अलंकार
v. श्लेष अलंकार
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
नीलाम हो जाने के बाद दोनों मित्र उस दढ़ियल के साथ चले। दोनों की बोटी-बोटी काँप रही थी।
बेचारे पाँव तक न उठा सकते थे, पर भय के मारे गिरते-पड़ते भागे जाते थे; क्योंकि वह जरा भी चाल
धीमी हो जाने पर ज़ोर से डंडा जमा देता था। राह में गाय-बैलों का एक रे वड़ हरे -हरे हार में चरता
नजर आया। सभी जानवर प्रसन्न थे, चिकने, चपल कोई उछलता था, कोई आनंद से बैठा पागुर
करता था। कितना सुखी जीवन था इनका, पर कितने स्वार्थी हैं सब। किसी को चिंता नहीं कि उनके
दो भाई बधिक के हाथ पड़े कै से दुः खी हैं।
सहसा दोनों को ऐसा मालूम हुआ कि यह परिचित राह है। हाँ, इसी रास्ते से गया उन्हें ले गया था।
वही खेत, वही बाग, वही गाँव मिलने लगे। प्रतिक्षण उनकी चाल तेज होने लगी। सारी थकान, सारी
दुर्बलता गायब हो गई। आह? यह लो!
अपना ही घर आ गया। इसी कु एँ पर हम पुर चलाने आया करते थे, यही कु आँ है।
(i) (क) एक बधिक अर्थात् कसाई
व्याख्या:
एक बधिक अर्थात् कसाई
(ii) (ख) उन्हें डर था कि वह उन्हें अब मार डालेगा
व्याख्या:
उन्हें डर था कि वह उन्हें अब मार डालेगा
(iii)(ख) राह में मिले गाय-बैलों के झुंड का
व्याख्या:
राह में मिले गाय-बैलों के झुंड का
(iv)(ग) उन्हें लगा कि वे जिसं रास्ते से जा रहे हैं, वह परिचित है
व्याख्या:
उन्हें लगा कि वे जिसं रास्ते से जा रहे हैं, वह परिचित है
(v) (ग) दुर् , ता
व्याख्या:
दुर् , ता

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) तिब्बत के डाँड़े तथा निर्जन स्थलों पर डाकू यात्रियों का खून पहले इसलिए कर देते थे क्योंकि वहाँ
की सरकार पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग पर ज्यादा खर्च नहीं करती थी | इस कारण वहाँ के
डाकु ओं को पुलिस का कोई भय नहीं था | वहाँ कोई गवाह नहीं मिलने पर उन्हें सज़ा का भी डर
नहीं रहता था | वहाँ हथियारों का कानून न होने से अपनी जान बचाने के लिए पिस्तौल और बंदू क
तो लाठी-डंडे की तरह लेकर चलते हैं।
(ii) लॉरें स के बारे में उनकी पत्नी फ्रीडा से भी ज्यादा उनकी छत पर बैठने वाली गौरे या जानती थी।
इसके पीछे प्रमुख कारण था कि लौरें स का अधिकतर समय उसी के साथ बीतता था। अतः वह
उनकी अंतरं ग संगिनी बन गई थी। इससे पता चलता है कि लॉरें स का पक्षी और प्रकृ ति प्रेम
अनूठा था।
(iii)क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज का वातावरण बहुत अलग और बहुत अच्छा था। वहाँ देश के सभी कोनों
से आई लड़कियाँ साथ-साथ पढ़ती थीं। उनमे परस्पर सौहार्द भाव था। सभी लड़कियों के लिए
एक ही मेस थी, जिसमें प्याज तक का प्रयोग नहीं किया जाता था। सभी एक साथ खाना खाया
करती थीं। वे सभी भले ही अगल-अलग प्रांतों या स्थानों से आईं हों और अपनी-अपनी भाषा में
बोलती हों पर सभी हिंदी और उर्दू पढ़ती थीं। सभी एक साथ ही प्रार्थना करती थीं। उनमें जाति-
धर्म या सांप्रदायिकता की भावना न थी। वे सभी एक दू सरे की भाषा को जानने और समझने का
प्रयास करती थीं | उनमें भाषा तथा प्रांतीयता और धर्म के आधार पर कोई मतभेद न था। इस
प्रकार वह कॉलेज राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल था |
(iv)व्यंग्य- जूते को हमेशा ही ताकत और सामर्थ्य का प्रतीक माना जाता रहा है। उसका स्थान नीचे
अर्थात पैरों में होता है। टोपी सर पर पहनी जाती है इसलिए सम्माननीय है। आज लोग अपनी
ताकत और पैसों के बल पर गुनी और सम्मानित व्यक्तियों को अपने सामने झुकने के लिए विवश
कर देते हैं। अनेक बार ऐसा भी होता है कि लोगों को अपना स्वाभिमान और आत्मसम्मान
भुलाकर उनके सामने झुकना पड़ता है।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजे, सोई संत सुजान।।
(i) (ख) पक्ष-विपक्ष के कारण
व्याख्या:
पक्ष-विपक्ष के कारण
(ii) (घ) मन में निष्पक्षता की भावना का
व्याख्या:
मन में निष्पक्षता की भावना का
(iii)(ग) सभी
व्याख्या:
सभी
(iv)(घ) जो बैर-भाव से दू र रहकर ईश्वर भजन करता है
व्याख्या:
जो बैर-भाव से दू र रहकर ईश्वर भजन करता है
(v) (घ) अनुप्रास
व्याख्या:
अनुप्रास

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता में सामाजिक सरोकारों का महत्त्व देते हुए बच्चों के काम पर
जाने की पीड़ा को कवि ने बड़े ही मर्मस्पर्शी ढं ग से व्यक्त किया है। यह बच्चों के खेलने-कू दने
और पढ़ने-लिखने की उम्र है पर सामाजिक विषमता ने उनकी शिक्षा, खेलकू द और भविष्य के
अच्छे अवसर को उनसे छीन लिया है। बच्चों को यूँ काम पर जाने को किसी भूकं प के समान
भयावह कहा गया है। वास्तव में इसमें कवि समाज की संवेदनहीनता पर व्यंग्य कर रहा है।
समाज इन बच्चों को काम पर जाता देखकर भी चिंतित नहीं होता क्योंकि इसमें उनका बच्चा नहीं
होता है और दू सरे बच्चे से उन्हें कोई लेना-देना नहीं। वे के वल मूक बनकर सब कु छ देखते रहते
हैं क्योंकि ये उनके लिए बड़ी सामान्य बात है।
(ii) मेहमान साल बाद अपने ससुराल आ रहा है। मेहमान के आते ही घर का सबसे बुजुर्ग और
सम्मानित सदस्य उसकी अगवानी करता है, उसको सम्मान देते हुए राम-जुहार करते हैं और
कु शलक्षेम पूछते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि मेहमान का जिस तरह स्वागत किया गया है उसमें
भारतीय संस्कृ ति की पर्याप्त झलक मिलती है।
(iii)कवयित्री ने अपने वाख में 'माँझी' और 'उतराई' शब्दों का प्रयोग किया है, जिनका क्रमशः
प्रतीकार्थ है-उसका प्रभु तथा सद् कर्म और भक्ति। यह माँझी (कवयित्री का प्रभु) उसे भवसागर के
पार ले जाता है तथा मुक्ति प्रदान करता है।
(iv)खेतों में नीले-पीले, सुनहरे रं ग अलग से ही अपनी सुंदरता दिखाने लगते हैं। गेहूँ-जौ, अरहर और
सनई पर सुनहरे रं ग की बलियाँ लग गई हैं। सभी खेतों में पीली-पीली सरसों फै ली हुई हरी-भरी
धरती पर अलसी के पौधों पर नीली-नीली कलियाँ झाँकने लगी हैं। इस प्रकार सारी धरती रं ग-
बिरं गी दिखाई देने लगती है।

खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) एक कलाकार होने के कारण लेखक को महसूस हुआ की उन्हें बाढ़ को अपने कै मरे में कै द
करना चाहिए। लेकिन उसी समय उन्हें इस बात का भी आभास हो गया कि अगर वे ऐसा करते हैं
तो सिर्फ एक दर्शक बनकर रहे जाएँ गे। फिर वो बाढ़ का उस तरह से अनुभव नहीं कर पाएँ गे
जैसे कर रहे थे। साथ ही शायद उन्हें लोगों का दर्द, चीखें आदि रिकॉर्ड करने के बाद देखना
अच्छा ना लगता हो और अपने इस भयावह अनुभव को वो आगे कभी उजागर नहीं करना चाहते।
उनकी कलम भी चोरी हो गई थी जिसका शुरू में शायद उन्हें बुरा लगा हो लेकिन बाद में उन्होंने
कहा कि अच्छा ही है कि मेरे पास कु छ नहीं है।
(ii) लेखिका की परदादी को पौत्र की नहीं पौत्री की इच्छा थी। उन्होंने भगवान से यह दुआ माँगी कि
उनकी पतोह की पहली संतान लड़की पैदा हो न कि लड़का। समाज सदा से ही लड़कों की
कामना करता रहा है, पर लेखिका की परदादी ने वह दुआ माँगी जिसे समाज बोझ समझता था।
उनकी मन्नत के बारे में जानकर सभी हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने यह बात सभी को बात दी थी।
(iii)'रीढ़ की हड्डी' एकांकी में मुख्यतः स्त्री-शिक्षा एवं सफ़े दपोश लोगों की रूढ़िवादिता की समस्या को
उठाया गया है। इसी के माध्यम से स्त्री-अस्तित्व या स्त्री-व्यक्तित्व की समस्या भी उभरकर सामने
आई है। समाज में रूढ़िवादी दृष्टिकोण बनाए रखने वाले लोग दोहरा व्यक्तित्व रखते हैं। घर के
अंदर कु छ और तथा घर के बाहर कु छ और, लड़कों के बारे में कु छ और तथा लड़कियों के बारे
में कु छ और। दोहरा व्यक्तित्व रखने वाले ऐसे लोगों को बेनकाब करने की आवश्यकता है। यह
समस्या पहले भी थी और आज भी विद्यमान है।
स्त्री-शिक्षा का विरोध संबंधी रूढ़िवादी दृष्टिकोण जितना प्रबल पहले था, आज वह उतना प्रबल
स्वरूप में नहीं दिखाई देता। आज लोगों में लड़के -लड़कियों की समानता संबंधी दृष्टिकोण में वृद्धि
हुई है।
लोग लड़कियों को भी लड़कों जैसी ही शिक्षा एवं सुविधाएँ देने में पहले की अपेक्षा काफी उदार
हुए हैं। लेकिन आज भी लड़कियों को स्वतंत्र व्यक्तित्व वाला प्राणी मानने में अनेक लोगों को
हिचक होती है। अभी भी अनेक लोग लड़कियों को एक 'वस्तु' के रूप में देखते हैं और लड़कियों
का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना उन्हें रास नहीं आता।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये:
(i) खेल और अनुशासन का एक गहरा संबंध है। खेल हमें अनुशासित व्यवहार करना सिखाता है।
खेल के मैदान में हमें समय का पालन करना होता है, नियमों का पालन करना होता है और टीम
के साथ मिलकर काम करना होता है। ये सभी चीजें हमें अनुशासित बनाती हैं।
अनुशासन ही सफलता का रहस्य है। खेल में सफल होने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होती है
और नियमित रूप से अभ्यास करना होता है। यह अनुशासन ही हमें सफलता की ओर ले जाता
है। खेल हमें सामूहिकता की भावना भी सिखाता है। टीम स्पोर्ट्स में हमें टीम के साथ मिलकर
काम करना होता है। इससे हम दू सरों के साथ तालमेल बिठाना सीखते हैं और समूह में काम
करने की क्षमता विकसित करते हैं।
खेल हमें जीवन के कई मूल्यों से परिचित कराता है। जैसे कि धैर्य, दृढ़ संकल्प, सहनशीलता और
हार-जीत को स्वीकार करना। ये सभी गुण हमें जीवन में सफल बनाने में मदद करते हैं।
(ii) ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है
"ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है।"- इस कथन का अर्थ हैं अपने जीवन को खुलकर जीना। जो अपने
जीवन को खुलकर जीता है उसे सुख-दुख, आशा-अभिलाषा प्रभावित नहीं करती। आज ही
ज़िंदगी की हर खुशी के मजे ले लें और मस्ती से जिएँ यही है जीवन का वास्तविक सुख। ज़िंदगी के
सपनों को पूरा करने के लिए आज का सही उपयोग करें । यह भी याद रखें कि बीता हुआ समय
फिर कभी वापस नहीं आता। आज को उत्साह और खुशी से जीना ही तो ज़िंदादिली है। ज़िंदादिल
के लिए खुशी की अत्यधिक आवश्यकता होती है क्योंकि खुशदिल इंसान ही वास्तविक रूप में
ज़िंदादिल होता है। परं तु खुशी है कहाँ और उसे कै से ढूँ ढ़े ?
कोई खुशी को धन में, कोई प्रसिद्धी में, कोई आध्यत्मिकता में, कोई पढ़ने-लिखने में, कोई समाज
सेवा में और कोई न जाने किस-किस क्षेत्र में ढूँ ढ़ता है। परं तु वास्तविकता तो यह है कि खुशी हमारे
अंदर है और हम उसे बाहर ढूँ ढ़ते हैं जैसे- कस्तूरी मृग कस्तूरी की सुगंध का आनंद लेने के बाद
उसे बाहर ढूँ ढ़ता है जबकि वह उसकी नाभि में होती है। वास्तविक खुशी हमें ज़िंदादिल बनाती है।
वास्तविक अर्थ में हमें खुशी तब मिलती है जब किसी कार्य के परिणाम के विषय में न सोचें।
निष्काम भाव से बिना किसी लाभ-हानि और अपेक्षा से किसी कार्य को करने से ही हम खुश रह
सकते हैं। यदि हम ध्यान से देखें तो हमें संसार में दो प्रकार के लोग मिलेंगे- सकारात्मक और
नकारात्मक। यह कु छ अटपटा लगता है परं तु यह कड़वी सच्चाई है।
कु छ युवकों का जीवन के प्रति नकारात्मक हष्टिकोण होने के कारण उनके जीवन में न कोई
उत्साह है, न कोई उमंग है। उनके चेहरे बुझे-बुझे लगते हैं। इसलिए वे जवानी में ही बूढ़े हो जाते
हैं। कु छ वृद्धों में ज़िंदगी की शाम में भी जीवन के प्रति सकारात्मक हष्टिकोण के कारण चेहरों पर
ताजगी है और दिल में उमंगें हैं। इसी का नाम ज़िंदादिली है। परं तु इसके साथ अपने पारिवारिक
नैतिक, सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करना भी हमारा धर्म है। दोनों स्थितियों में सामंजस्य बनाकर
चलें व जीवन का आनंद लें।
(iii)सौर ऊर्जा, सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा है, जो स्वच्छ और नवीकरणीय स्त्रोत के रूप में उभरी
है। यह ऊर्जा स्रोत पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन को
कम करने में सहायक होती है। भारत जैसे देश के लिए, जहाँ सौर ऊर्जा की प्रचुरता है, यह ऊर्जा
संकट के समाधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सौर ऊर्जा का उपयोग करने से
पारं परिक ऊर्जा स्त्रोतों पर निर्भरता कम होती है, जो वायुमंडल में प्रदू षण की मात्रा घटाने में मदद
करता है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा की लागत कम होने से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुँचाने में भी
सहायता मिलती है। इस प्रकार, सौर ऊर्जा न के वल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि आर्थिक
और सामाजिक विकास में भी योगदान देती है।

13. सेवा में,


श्रीमान शाखा प्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक,
मुख्य शाखा,
मथुरा।
दिनांक
विषय - ए.टी.एम. कार्ड खो जाने के संदर्भ में।
महोदय,
सविनय नम्र निवेदन है कि मेरा नाम अशोक शर्मा है और मेरा अकाउंट नम्बर : 012345XXX है। में
आपके भारतीय स्टेट बैंक, इंडिया का खाताधारक हूँ। में आपको यह बताना चाहता हूँ कि मेरा
ए.टी.एम. कार्ड बाजार में कहीं खो गया है और मुझे वापस नहीं मिला है।
अतः आपसे निवेदन है कि मेरे खो चुके ए.टी.एम. कार्ड को जल्दी ब्लॉक कर दिया जाए ताकि
उसका कोई गलत उपयोग न कर सके । साथ ही नए ए.टी.एम. कार्ड के लिए मेरा आवेदन स्वीकार
करते हुए जल्द ही मुझे उपलब्ध कराने की कृ पा करें । आभार सहित।
धन्यवाद ।
भवदीय,
नीरज
खाता सं. 012345XXX
मो. नं. 001001001
अथवा
75, कै लाशपुरीी
दिल्ली।
दिनांक : 30 मार्च, 2019
प्रिय तृप्ति,
नमस्कार।
अभी पिछले हफ्ते तुम्हारा स्नेहभरा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकार अत्यंत ख़ुशी हुई कि तुमने वार्षिक
परीक्षा के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। तुम हिंदी भाषा के विषय में जानना चाहती थी । मैं
तुम्हें यह विवरण भेज रहा हूँ।
हिंदी भारत की राजभाषा और राष्ट्र भाषा है। इसका ज्ञान प्रत्येक भारतीय को होना चाहिए। सन् 1965
से कें द्र सरकार के सभी कार्यालयों में हिंदी में कार्य आरं भ हो चुका है। हालांकि उसके साथ अंग्रेजी
में कार्य करने का प्रावधान भी संविधान में किया गया है। भारत सरकार ने निश्चय किया कि कें द्र के
सभी कर्मचारियों को शीघ्र प्रबोध, प्रवीण व प्राज्ञ परीक्षाएँ पास कर लेनी चाहिए। ये परीक्षाएँ भारत का
गृह मंत्रालय लेता है। जो व्यक्ति स्कू ल स्तर तक हिंदी पढ़कर आए हैं, उन्हें इन परीक्षाओं में बैठने की
आवश्यकता नहीं है।
.हर साल सितम्बर १४ को हिंदी दिवस मनाया जाता है।भारत देश मे अत्यधिक लोग हिंदी बोलते है।
अगर हम हिंदी बोल सकते है तो सारे भारत मे कहीं भी घूम सकते है। हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं
नेपाल, इंडोनेशिया, चीन इत्यादि देशों में भी बोली जाती है।आज हिंदी अंतर्जातीय स्तर पर है। यही
नहीं स्वतन्त्र उद्यम के समय सब भारतीयों को एक सूत्र मे बांधने मे हिंदी का बड़ा महत्त्व था। देश के
लेख कों ने हिंदी के ऊपर कई गीत और रचनाएँ लिखी है। इसके अलावा, हिंदी व्यापार की भाषा भी
है। सभी धर्मस्थलों पर हिंदी का प्रयोग होता है। हिंदी देश की एकता की कड़ी है। हिंदी विकसित
भाषा है। इसका साहित्य विशाल है। उम्मीद है कि तुम हिंदी के महत्त्व को समझ चुके होगे। शेष
कु शल है।
आपका दोस्त
गोविन्द
14. From: [email protected]
To: [email protected]
CC ...
BCC ...
विषय - अपनी कॉलोनी तक नए बस मार्ग हेतु।
महोदय,
मैं उत्तर-पश्चिम दिल्ली के विकासपुरी, डी ब्लॉक का निवासी हूँ। हमारे क्षेत्र में बड़ी जनसंख्या निवास
करती है, जिसमें अधिकांश लोग दिल्ली के विभिन्न भागों में कार्यरत हैं। हमारी कॉलोनी से कोई बस
नहीं चलती।
अतः आपसे अनुरोध है कि विकासपुरी डी-ब्लॉक तक एक नया बस मार्ग (बस रूट) आरं भ करने
की कृ पा करें । मुझे विश्वास है कि आप इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारी को इसके लिए
उचित निर्देश देंगे।
पवन
अथवा
ओलावृष्टि
सांगानेर में शुक्रवार को दोपहर बाद एकदम से मौसम बदला और आँधी-बारिश का दौर शुरू हो
गया। शाम के करीब 4 बजे से बारिश के साथ पहले चने और बेर के बराबर ओले गिरे , पाँच-दस
मिनट हल्के ओले गिरने के बाद दौर थम गया। लेकिन कु छ ही देर बाद फिर ओले बरसने लगे।
सिविल लाइन, गोपालगंज, गोविंद बाज़ार से बड़ा बाज़ार तक जमकर ओलावृष्टि हुई। इस दौरान
कहीं नीबू के आकार के कहीं टेनिस बॉल आकर तक के गोले गिरे । ओलावृष्टि और तेज बारिश ने
कु छ समय के लिए जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। मुख्य बाजारों में यहाँ तक कु छ दुकानों में भी
पानी भर गया। मकानों की छतों, चादरों, वाहनों पर जब ओले गिरे तो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे
आसमान से पत्थर बरस रहे हों। मकरोनिया क्षेत्र में तो करीब टेनिस बॉल के आकार के ओले जमीन
पर गिरे । काफी देर तक ओले शहर की सड़कों पर बिखरे थे। घरों की चादर और छप्पर उड़ गए।
कई वाहनों के तो काँच टू ट गए। मंडियों में अनाज भीग गया। प्रशासन भी सर्वे के नाम पर पलड़ा
झाड़ने का प्रयास करता नजर आ रहा था। समिति प्रबंधकों को त्रिपाल बिछाकर माल को सुरक्षित
रखने के लिए निर्देश दिए गए।
15. (कक्षा में एक छात्र ने दू सरे छात्र की पिटाई कर दी है। इसकी लिखित शिकायत मिलने पर अभियुक्त
छात्र को अनुशासन समिति के अध्यक्ष ने अपने कार्यालय बुलाया। उनके बीच की बातचीत इस
प्रकार हुई होगी।)
अध्यक्ष : कहो गोविन्द! तुम्हारे विरुद्ध किशोर ने मारपीट की शिकायत की है? तुम तो अच्छे छात्र हो,
फिर यह मारपीट क्यों?
छात्र : सर, मैं पिछले पाँच साल से विद्यालय में पढ़ रहा हूँ। मेरे विरुद्ध आपको कोई शिकायत न
मिली होगी पर उस दिन किशोर ने मुझे जानबूझकर छे ड़ा और जब गाली दी तो मैंने उसकी पिटाई
कर दी।
अध्यक्ष : तुम जैसे अच्छे छात्र से सद्व्यवहार की आशा की जाती है। तुम्हें किशोर के साथ मारपीट न
करके उसके दुर्व्यवहार की शिकायत अपने अध्यापक या अनुशासन समिति से करनी चाहिए थी।
छात्र : सॉरी सर, अब आगे आपको शिकायत का कोई मौका न दूँगा इस बार माफ कर दीजिए।
अध्यक्ष : तो ठीक है, इस बार चेतवानी देकर छोड़ रहा हूँ। आशा है तुम अपना सद्व्यवहार बनाए
रखोगे।
छात्र : जी सर, जैसा आप कहें।
अथवा
सूचना
मिलाप संगठन
छात्रवृत्ति हेतु सूचना
दिनांकः 12/02/20XX
जनसाधारण को सूचित किया जाता है कि हमारा संगठन खेलकू द के लिए छात्रों को प्रशिक्षित
करता है। बच्चों को खेलकू द के प्रति उत्साहित करने के लिए हमारा संगठन प्रतिवर्ष उत्कृ ष्ट प्रदर्शन
हेतु छात्रवृत्ति प्रदान करता है। इसके लिए योग्य अभ्यर्थी से 20 फरवरी तक आवेदन माँगे जा रहे हैं।
योग्य अभ्यर्थी अंतिम दिनांक से पहले संपर्क करें ।
रोमिल टिक्कू
अध्यक्ष
मिलाप संगठन

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