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SAMPLE QUESTION PAPER - 5

Hindi B (085)
Class X (2024-25)

निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80


सामान्य निर्देश:
इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं - क, ख, ग और घ
खंड क में अपठित गदयांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए दीजिए।
खंड ख में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
खंड ग पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
खंड घ रचनात्मक लेखन पर आधारित है आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
प्रश्न पत्र में कु ल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य है।
यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए - [7]
मैं यह नहीं मानता कि समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की
इच्छा रखना कोई गलत सोच है। उदाहरण के तौर पर, मैं खुद न्यूनतम वस्तुओं का भोग
करते हुए जीवन बिता रहा हूँ, लेकिन मैं सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ, क्योंकि समृद्धि अपने
साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है, जो अंततः हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है।
आप अपने आस-पास देखेंगे तो पाएँ गे कि खुद प्रकृ ति भी कोई काम आधे-अधूरे मन से नहीं
करती। किसी बगीचे में जाइए। मौसम में आपको फू लों की बहार देखने को मिलेगी। अथवा
ऊपर की तरफ ही देखें, यह ब्रह्माण्ड आपको अनंत तक फै ला दिखाई देगा, आपके यकीन
से भी परे । जो कु छ भी हम इस संसार में देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है। जैसा कि
महर्षि अरविंद ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के ही अंश हैं। इसलिए जब हमने यह जान लिया
है कि आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्सा हैं, वे एक-दू सरे से पूरा तादात्म्य रखे हुए
हैं तो हमें यह एहसास भी होगा कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से
शर्मनाक या गैर-आध्यात्मिक बात नहीं है।
1. लेखक के अनुसार समृद्धि और आध्यात्म में क्या सम्बन्ध है? (1)
(क) एक-दू सरे के विरोधी हैं
(ख) एक-दू सरे के पूरक हैं
(ग) एक-दू सरे से संबंधित नहीं हैं
(घ) समृद्धि, आध्यात्म से बेहतर है
2. भौतिक शब्द का विलोम शब्द क्या है? (1)
(क) अभौतिक
(ख) सांसारिक
(ग) ईश्वरीय
(घ) स्थूल
3. समृद्धि को आवश्यक क्यों बताया गया है? (1)
(क) समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है
(ख) समृद्धि हमारी आज़ादी को बनाए रखने में सहायक है
(ग) समृद्धि और आध्यात्म एक-दू सरे के पूरक हैं
(घ) उपरोक्त सभी
4. भौतिक वस्तुओं की इच्छा के बारे में लेखक का क्या मत है? (2)
5. लेखक ने प्रकृ ति का क्या स्वभाव बताया है? (2)

2. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]


समय परिवर्तनशील है। जो आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साथ होगा और हम अपने
दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम
दू सरे की सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते
हैं कि यह उसके पास तो है किन्तु हमारे पास नहीं है। यह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण
है और यही बात अन्दर विकट असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं।
सहज भाव लाने के लिए हमें एक तो नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के
साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन और विचारों के विकार
बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की
बात है कि हमारे विकार ही अन्दर हैं। ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा जैसे दुर्गुण हम अनजाने में ही
अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर पल असहज होते हैं और उससे बचने के लिए
आवश्यक है कि हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
1. अधिकतर लोग हमेशा ही असफल क्यों होते हैं? (1)
(क) जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण
(ख) आध्यात्म के प्रति रुझान न होने के कारण
(ग) गरीबी के कारण
(घ) सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता के कारण
2. असहजता से बचने का क्या उपाय है? (1)
(क) ईर्ष्या -द्वेष और परनिंदा को छोड़कर
(ख) योगासन-प्राणायाम और ध्यान करके
(ग) अधिक धन कमाकर
(घ) आध्यात्म के प्रति रुझान रखकर
3. कौन से विचार हमें सहजता प्रदान कर सकते हैं? (1)
(क) आध्यात्मिक विचार
(ख) परनिंदा के विचार
(ग) धन अर्जन के विचार
(घ) स्वस्थ शरीर के विचार
4. विचारों की गरीबी से लेखक का क्या अभिप्राय है? (2)
5. हम सहजता का विकास कै से कर सकते हैं? (2)

खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण


3. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [4]
i. मुझे ऋतु घर से दिखाई दे रही है। वाक्य में क्रिया पदबंध ढूँ ढ कर लिखिए।
ii. शेर की तरह दहाड़ने वाले तुम काँप क्यों रहे हो। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।
iii. विरोध करने वाले व्यक्तियों में से कोई नहीं आया। इस वाक्य में प्रयुक्त सर्वनाम पदबंध
लिखिए।
iv. दिन-रात एक करने वाला छात्र कक्षा में प्रथम आएगा। इस वाक्य में संज्ञा पदबंध क्या है?
v. वह बाजार की ओर आया होगा। रे खांकित पदबंध का नाम लिखिए।

4. नीचे लिखें वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य [4]
रूपांतरण कीजिए-
i. जब वह गया, उसकी बड़ी आवभगत की गई। (सरल वाक्य में)
ii. मैं स्टेशन गया पर गाड़ी छू ट चुकी थी। (सरल वाक्य में)
iii. अभी-अभी आने वाले लड़के को पानी पिलाओ। (संयुक्त वाक्य में)
iv. वह रोज व्यायाम करता है, इसलिए स्वस्थ रहता है। (सरल वाक्य में)
v. हरिहर काका ने ठाकु रबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की जो काली करतूतें थीं उनका
पर्दाफाश करना शुरू किया। (सरल वाक्य में)

5. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए। [4]
i. प्रत्येक घर (विग्रह कीजिए)
ii. माखनचोर (विग्रह कीजिए)
iii. शूल है पाणी में जिसके (समस्त पद लिखिए)
iv. ऋषि और मुनि (समस्त पद लिखिए)
v. तीन वेणियों का समूह (समस्त पद लिखिए)

6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार मुहावरों का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका [4]
आशय स्पष्ट हो जाए:
i. नमक-मिर्च लगाना
ii. दौड़-धूप करना
iii. बाल-बाल बचना
iv. कमर कसना
v. आसमान के तारे तोड़ना

खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
एक दिन संध्या समय, होस्टल से दू र मैं एक कनकौआ लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था।
आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से
झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से
नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो। बालकों की पूरी सेना लग्गे और झाड़दार बाँस लिए
इनका स्वागत करने को दौड़ी आ रही थी। किसी को अपने आगे-पीछे की खबर न थी। सभी
मानो उस पतंग के साथ ही आकाश में उड़ रहे थे, जहाँ सब कु छ समतल है, न मोटरकारें हैं,
न ट्राम, न गाड़ियाँ।
सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई, जो शायद बाजार से लौट रहे थे। उन्होंने वहीं हाथ
पकड़ लिया और उग्र भाव से बोले-इन बाजारी लौंडों के साथ धेले के कनकौए के लिए दौड़ते
तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम्हें इसका भी कु छ लिहाज नहीं कि अब नीची जमात में नहीं हो,
बल्कि आठवीं जमात में आ गए हो और मुझसे के वल एक दरजा नीचे हो। आखिर आदमी
को कु छ तो अपनी पोजीशन का खयाल रखना चाहिए।

(i) संध्या समय होस्टल से दू र लेखक बेतहाशा क्यों दौड़ा जा रहा था?

क) कनकौआ लूटने के लिए ख) बड़े भाई साहब की मार से बचने


के लिए

ग) भाई साहब रास्ते में न मिल जाएँ घ) अध्यापक से डरकर

(ii) आकाशगामी पथिक से लेखक किसकी ओर इंगित कर रहा है?

क) पक्षी की ओर ख) पतंग की ओर

ग) बड़े भाई साहब की ओर घ) सूर्य की ओर

(iii) बाजार में लेखक की किससे मुठभेड़ हो गई?

क) अध्यापक से ख) पिताजी से

ग) बड़े भाई साहब से घ) एक मित्र से

(iv) अब नीची जमात में नहीं हो, बल्कि आठवीं जमात में आ गए हो यह कथन किसके लिए
कहा गया है?

क) लेखक के लिए ख) लेखक के मित्र के लिए


ग) बड़े भाई साहब के लिए घ) इनमें से कोई नहीं

(v) मुझसे के वल एक दरजा नीचे हो कथनानुसार लेखक के बड़े भाई साहब किस कक्षा में थे?

क) आठवीं कक्षा में ख) सातवीं कक्षा में

ग) दसवीं कक्षा में घ) नौवीं कक्षा में

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं? डायरी [2]
का एक पन्ना पाठ के आधार पर लिखिए।

(ii) टी-सेरे मनी किस प्रकार से लाभदायक होती है? [2]

(iii) लेफ्टिनेंट को ऐसा क्यों लगा कि कं पनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई [2]
है? कारतूस पाठ के आधार पर बताइए।

(iv) तीसरी कसम फ़िल्म में दुख के भाव को किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है? दुख के [2]
वीभत्स रुप से यह दुख किस प्रकार भिन्न है? लिखिए।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
क्षुधार्त रं तिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर-क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे ?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।।

(i) रं तिदेव कौन थे?

क) एक दानी राजा ख) महाराजा

ग) ऋषि घ) सेनापति

(ii) कबूतर को बचाने के लिए राजा शिवि ने क्या किया?

क) इनमें से कोई नहीं ख) अपना राज्य दान किया

ग) अपना भोजन दान दिया घ) अपने मांस का दान दिया

(iii) किसने अपने कवच-कुं डल दान में दिए?


क) दधीचि ने ख) रं तिदेव ने

ग) कुं ती पुत्र कर्ण ने घ) राजा शिवि ने

(iv) वास्तव में असली मनुष्य किसको माना है?

क) जो दू सरों की चिंता करता है। ख) जो संसार को त्यागकर तपस्वी


बन जाता है।

ग) जो अपने लिए जीता है। घ) जो परोपकारी भाव रखता है।

(v) दधीचि ने समाज के लिए क्या त्याग किया ?

क) अपना ऐश्वर्य ख) अपने शरीर की हड्डियाँ

ग) अपनी धन संपत्ति घ) अपना राजपाट

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर। इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। [2]

(ii) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँ चे-ऊँ चे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस [2]
बात को प्रतिबिंबित करते हैं? पर्वत प्रदेश में पावस कविता के आधार पर लिखिए।

(iii) भाव स्पष्ट कीजिए- [2]


खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई

(iv) आत्मत्राण कविता की आपको क्या बात सबसे अच्छी लगी? विस्तार सहित लिखिए। [2]

खंड ग - संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) हरिहर काका कहानी के आधार पर लिखिए कि रिश्तों की नींव मजबूत बनाने के लिए [3]
किन गुणों की आवश्यकता है और स्पष्ट कीजिए कि ऐसा क्यों जरूरी है?

(ii) सपनों के से दिन पाठ के आधार पर बताइए कि अभिभावकों को बच्चों का अधिक [3]
खेलकू द करना पंसद क्यों नहीं आता? छात्र जीवन में खेलों का क्या महत्व है? इनसे हमें
किन गुणों की प्रेरणा मिलती है?

(iii) टोपी शुक्ला पाठ के आधार पर लिखिए कि इफ़्फ़न के पिता के तबादले के बाद टोपी [3]
शुक्ला बूढ़ी नौकरानी सीता के नज़दीक क्यों चला गया।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये: [5]
(i) मेरा प्रिय खेल - बैडमिंटन विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द [5]
लिखिए।
संके त-बिंदु
बैडमिंटन ही प्रिय क्यों
खेल-भावना
मेरी ताक़त

(ii) कमरतोड़ महँगाई विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दो में अनुच्छे द लिखिए। [5]

(iii) जीवन संघर्ष का दू सरा नाम है विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर [5]
अनुच्छे द लिखिए।
संके त बिंदु:
जीवन और संघर्ष क्या है?
संघर्ष : सफलता का मूलमंत्र
असफलता से उत्पन्न निराशा और उत्कट जिजीविषा
जीवन का मूलमंत्र

13. आप विद्यालय के सांस्कृ तिक सचिव हैं; विद्यालय की रं ग-मंडली द्वारा प्रस्तुत नाटक को देखने [5]
और उसके बाद श्रेष्ठ अभिनेताओं को पुरस्कृ त करने का आग्रह करते हुए शिक्षा निदेशक को
पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए।

अथवा
अपने प्रधानाचार्य को कारण सहित सेक्शन बदलने का अनुरोध करते हुए पत्र लिखिए।

14. अभिषेक वर्मा, दिल्ली पब्लिक विद्यालय के हेड ब्वाय की ओर से सुनामी पीड़ितों के लिए [4]
धनराशि दान करने हेतु 25-30 शब्दों में सूचना लिखिए।

अथवा
आप के न्द्रीय विद्यालय की सुचेता हैं। आप दसवीं कक्षा की छात्रा हैं। विद्यालय में आपका परीक्षा
प्रवेश-पत्र खो गया है। विद्यालय सूचना-पट के लिए लगभग 50 शब्दों में एक सूचना लिखिए।

15. देश की जनता को मतदान अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए मुख्य निर्वाचन [3]
आयुक्त कार्यालय की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

अथवा
पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।

16. ई-मेल द्वारा किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 80 शब्दों में सूचित कीजिए [5]
कि आपके निवास स्थान के आसपास अधिक वर्षा के कारण बाढ़ का-सा माहौल बन गया है।
जल-भराव से मुक्ति के लिए तुरं त सहायता अपेक्षित है।

अथवा
परीक्षा संकट में फं सा बेचारा विद्यार्थी विषय पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथा
लिखिए।
Solution
SAMPLE QUESTION PAPER - 5
Hindi B (085)
Class X (2024-25)
खंड क - अपठित बोध
1. 1. (ख) लेखक के अनुसार समृद्धि और आध्यात्म एक दू सरे के विरोधी न होकर एक-दू सरे के पूरक
हैं।
2. (क) अभौतिक
3. (घ) समृद्धि प्राप्त होने पर मनुष्य अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है तथा उसमें विश्वास का
प्रसार होता है, जो अंततः हमारी आजादी को बनाए रखने में सहायक है इसलिए सर्वत्र समद्धि
होने को आवश्यक माना गया है।
4. लेखक भौतिक वस्तुओं की इच्छा को गलत नहीं मानता। आत्मा और पदार्थ दोनो ही अस्तित्व का
हिस्सा हैं व एक दू सरे से तालमेल रखते हैं और अध्यात्म के पूरक हैं अतः भौतिक पदार्थों की इच्छा
रखना किसी भी दृष्टिकोण से शर्मनाक या गैर- आध्यात्मिक बात लेखक को नहीं लगती।
5. लेखक ने प्रकृ ति के स्वभाव के बारे में बताया है कि उसके द्वारा कोई भी काम आधे-अधूरे मन से
नहीं किया जाता। उपयुक्त मौसम में बगीचे में फू लों की बहार दिखती है तो ऊपर देखने पर हमें
ब्रह्माण्ड अनंत तक विस्तृत दिखाई देता है। प्रकृ ति उद्दाम और खुलकर कार्य करती है उसमें कहीं
कहीं कोई कमी दिखाई नहीं देती।
2. 1. (क) जीवन में सहजता का भाव न होने की वजह से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं
अर्थात हमें अपनी स्थिति से संतुष्ट होना चाहिए।
2. (घ) हम आध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रख कर दू सरों के प्रति ईर्ष्या आदि से
मुक्त हो सकते हैं और इस तरह असहजता से बच सकते हैं।
3. (क) आज हमारे साथ नहीं है कल हमारे साथ होगा अर्थात यदि हमारे मन में धैर्य और संयम का
वास होगा तो हम अपने दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे यह विचार ही हमें सहजता प्रदान
कर सकता है।
4. दू सरे की सम्पन्नता, ऊँ चा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धि अर्थात सम्पन्नता को देखकर
अपना आत्मसंयम खो देना, उनसे ईर्ष्या रखना तथा यह सोचना कि यह उसके पास तो है लेकिन
हमारे पास नहीं हैं, ऐसे तुच्छ विचारों को मन में लाना ही विचारों की गरीबी है।
5. सहजता के विकास के लिए हमें नियमित रुप से योगासन, प्राणायाम और ध्यान करना चाहिए
साथ ही ईश्वर का स्मरण भी अवश्य करना चाहिए। इससे हमारे तन-मन और विचारों में संयम
आएगा और विकार बाहर निकलेंगे जिससे हम सहजता का अनुभव कर सकते हैं।
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. i. दिखाई दे रही है
ii. सर्वनाम पदबंध
iii. विरोध करने वाले व्यक्तियों में से कोई
iv. दिन रात एक करने वाला छात्र
v. क्रिया पदबंध
4. i. वहाँ जाने पर उसकी बड़ी आवभगत हुई।
ii. मेरे स्टेशन जाते ही गाड़ी छू ट गई।
iii. वह लड़का अभी- अभी आया है इसीलिए उसे पानी पिलाओ।
iv. रोज व्यायाम करने से वह स्वस्थ रहता है।
v. हरिहर काका ने ठाकु रबारी के महंत, पुजारी और साधुओं की काली करतूतों का पर्दाफ़ाश करना
शुरु किया।
5. i. प्रत्येक घर = घर-घर (अव्ययीभाव समास)
ii. माखनचोर =माखन को चुराने वाला (तत्पुरुष समास)
iii. शूल है पाणी में जिसके = शूलपाणी (बहुब्रीहि समास)
iv. ऋषि और मुनि = ऋषि-मुनि (द्वंद्व समास)
v. तीन वेणियों का समूह = त्रिवेणी (द्विगु समास)
6. i. नमक-मिर्च लगाना - उसने नमक-मिर्च लगाकर कहानी को रोचक बना दिया।
ii. दौड़-धूप करना - उसे अपनी नौकरी बचाने के लिए बहुत दौड़-धूप करनी पड़ी।
iii. बाल-बाल बचना - वह दुर्घटना में बाल-बाल बच गया।
iv. कमर कसना - अब हमें चुनाव लड़ने के लिए कमर कसनी होगी।
v. आसमान के तारे तोड़ना - हर माँ-बाप अपने बच्चों के लिए आसमान के तारे तोड़ लाते हैं।
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
एक दिन संध्या समय, होस्टल से दू र मैं एक कनकौआ लूटने बेतहाशा दौड़ा जा रहा था। आँखें
आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की
ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने
जा रही हो। बालकों की पूरी सेना लग्गे और झाड़दार बाँस लिए इनका स्वागत करने को दौड़ी आ
रही थी। किसी को अपने आगे-पीछे की खबर न थी। सभी मानो उस पतंग के साथ ही आकाश में
उड़ रहे थे, जहाँ सब कु छ समतल है, न मोटरकारें हैं, न ट्राम, न गाड़ियाँ।
सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई, जो शायद बाजार से लौट रहे थे। उन्होंने वहीं हाथ पकड़
लिया और उग्र भाव से बोले-इन बाजारी लौंडों के साथ धेले के कनकौए के लिए दौड़ते तुम्हें शर्म नहीं
आती? तुम्हें इसका भी कु छ लिहाज नहीं कि अब नीची जमात में नहीं हो, बल्कि आठवीं जमात में आ
गए हो और मुझसे के वल एक दरजा नीचे हो। आखिर आदमी को कु छ तो अपनी पोजीशन का
खयाल रखना चाहिए।
(i) (क) कनकौआ लूटने के लिए
व्याख्या:
कनकौआ लूटने के लिए
(ii) (ख) पतंग की ओर
व्याख्या:
पतंग की ओर
(iii)(ग) बड़े भाई साहब से
व्याख्या:
बड़े भाई साहब से
(iv)(क) लेखक के लिए
व्याख्या:
लेखक के लिए
(v) (घ) नौवीं कक्षा में
व्याख्या:
नौवीं कक्षा में

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) 26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कलकत्ता के लोगों को अपने मकानों तथा
सार्वजनिक स्थानों पर झंडा फहरान का निश्चय किया था। के वल प्रचार में 2000 रू खर्च किए गए
थे। घरों को ऐसे सजाया गया था मानो आजादी मिल गई हो। सायं चार बजे एक सार्वजनिक सभा
का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को हर दिशा से जुलूस में शामिल होकर धर्म को लेकर मोड़
पर पहुँचना था।
(ii) यह झेन संस्कृ ति की देन है। इससे मानसिक रोग का उपचार होता है, मानसिक सन्तुलन कायम
होता है तथा भूत-भविष्य की चिंता नहीं रहती। टी-सेरे मनी का शांतिपूर्ण वातावरण सभी प्रकार के
तनावों से मुक्ति प्रदान कर वर्तमान में जीना सिखाता है।
(iii)लेफ्टिनेंट को टीपू सुल्तान और वजीर अली के किस्से सुनने के बाद ऐसा लगा कि कं पनी के
खिलाफ पूरे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ रही है क्योंकि कं पनी की फौज भी इन विद्रोहियों से
निपटना में कामयाब नहीं हो पा रही थी।
(iv)'तीसरी कसम' फ़िल्म में दुख के भाव को सहज स्थिति में प्रकट किया गया है। इस फ़िल्म में दुखों
को जीवन के सापेक्ष रूप में प्रस्तुत किया है। दुख के वीभत्स रूप से यह सर्वथा भिन्न है क्योंकि
यहाँ दुखों से घबराकर लोग पीठ नहीं दिखाते। दुखों से हमें घबराना नहीं चाहिए। दुखों का
साहसपूर्वक सामना करना चाहिए। दुख के इस रूप को देखकर मनुष्य 'व्यथा' व 'करुणा' को
सकारात्मक ढं ग से स्वीकार करता है। वह दुखों से परास्त नहीं होता, निराश नहीं होता। इस
फ़िल्म में दुख की सहज स्थिति लोगों को आशावादी बनाती है।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
क्षुधार्त रं तिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर-क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे ?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।।
(i) (क) एक दानी राजा
व्याख्या:
एक दानी राजा
(ii) (घ) अपने मांस का दान दिया
व्याख्या:
अपने मांस का दान दिया
(iii)(ग) कुं ती पुत्र कर्ण ने
व्याख्या:
कुं ती पुत्र कर्ण ने
(iv)(घ) जो परोपकारी भाव रखता है।
व्याख्या:
जो परोपकारी भाव रखता है।
(v) (ख) अपने शरीर की हड्डियाँ
व्याख्या:
अपने शरीर की हड्डियाँ

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) ‘द्रौपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।’ इस कथन का भाव यह है कि द्रौपदी की लाज बचाते
हुए कृ ष्ण ने कौरवों की सभा में द्रौपदी चीर-हरण के समय द्रौपदी का चीर बढ़ाकर उसकी
सहायता की थी। इस पद में हरि से अपनी पीड़ा को हरने की विनती करती हुई मीरा चाहती है कि
उसी प्रकार अपनी इसी मर्यादा के अनुरूप ही हरि उनकी पीड़ा का भी हरण कर लें।
(ii) कविता के अनुसार पर्वत के हृदय से उठकर ऊँ चे-ऊँ चे वृक्ष शांत और चिंतित होकर एकटक
आकाश की ओर देख रहे थे क्योंकि उनमें और ऊँ चा उठने की कामना थी। कवि ने इन्हें मनुष्य
की महत्वाकांक्षाओं के लिए प्रतिबिम्बित किया है। जिस प्रकार मनुष्य की महत्वाकांक्षाओं का अंत
नहीं होता है, उसी प्रकार ये भी ऊँ चा उठना चाहते हैं।
(iii)सैनिक अपने देश की युवा शक्ति का आह्वान करते हुए, पौराणिक कथा के माध्यम से उन्हें देश
की रक्षा हेतु बलिदान देने के लिए उत्साहित व प्रेरित करता है। वह कहता है कि अपनी सीमाओं
पर अपने खून से ऐसी लकीर खींच दो कि किसी 'रावण' को उस ‘लक्ष्मण रे खा' को पार करने के
लिए कई बार सोचना पड़े अर्थात् सुरक्षा का घेरा बना दो कि यदि कोई भी विदेशी ताकत इस
सीमा का अतिक्रमण करे तो उसे उचित जवाब दो जिससे फिर कोई भारतमाता के आँचल को
मलिन करने का दुस्साहस न कर सके । सैनिक युद्ध में इसी प्रकार अपना रक्त बहाकर लकीर
खींचते हैं और देश को दुश्मनों से बचाते हैं।
(iv)'आत्मत्राण' कविता की कु छ पंक्तियाँ, जो मुझे अच्छी लगी, निम्नलिखित हैं-
"हे प्रभु! मेरे दुखों को दू र मत करना।"
"मुझे के वल इतनी शक्ति देना कि मैं उन दुखों को सहन कर सकूं ।"
"मुझे मेरे कर्मों का फल भोगने की शक्ति देना।"
ये पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि ये हमें जीवन के कठिन समय में भी हार न मानने की
प्रेरणा देती है। ये हमें सिखाती है कि दुख जीवन का एक हिस्सा हैं और हमें उनसे भागने के बजाय
उनका सामना करना चाहिए। ये हमें ईश्वर पर विश्वास करने और उनसे शक्ति प्राप्त करने की
प्रेरणा देती है। इन पंक्तियों में कवि का संदेश स्पष्ट है कि हमें दुखों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि
उनका सामना करना चाहिए। इसके अलावा, कविता में प्रयुक्त भाषा बहुत ही सरल और सुंदर है।
कवि ने बहुत ही प्रभावशाली शब्दों का प्रयोग किया है जो पाठक के मन में एक गहरी छाप छोड़ते
हैं।

खंड ग - संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) 'हरिहर काका' कहानी के आधार पर रिश्तों की नींव मज़बूत करने के लिए अनेक गुणों की
आवश्यकता होती है। सामाजिक या पारिवारिक रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने के लिए आदमी
को निज की भावना से ऊपर उठना होता है। आधुनिक परिवर्तित समाज तथा रिश्तों में बदलाव
आ रहा है। उनमें स्वार्थ लोलुपता बढ़ती जा रही है। कथावस्तु के आधार पर हरिहर काका एक
वृद्ध निः संतान व्यक्ति हैं, परिवार के सदस्यों को जब लगता है कि काका कहीं अपनी जमीन महंत
के नाम न कर दें तब वे उनकी सेवा करने लगते हैं। बाद में अपनी स्वार्थ सिद्धि न होती देखकर वे
काका के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं। पारिवारिक संबंधों में भ्रातृभाव को बेदखल कर पाँव
पसारती जा रही स्वार्थ लिप्सा, हिंसावृत्ति को समाप्त करने के लिए परस्पर सहयोग, सद्भाव और
सौहार्द जैसे गुणों की आवश्यकता है जिससे समाज में, रिश्तों में दू रियाँ और विघटन समाप्त हो
जाए।
(ii) प्रायः अभिभावक बच्चों की खेलकू द में ज्यादा रुचि लेने पर इसलिए रोक लगाते हैं क्योंकि वे
चाहते हैं कि बच्चे ज्यादा-से-ज्यादा पढ़ाई करें । परीक्षा में अच्छे अंक लाएँ । वे खेलों में समय लगाने
को समय की बरबादी मानते हैं। उन्हें लगता है कि वे खेलों में ही लगे रहेंगे तो वे पढ़ाई नहीं कर
पाएँ गे। इससे वे उन्नति नहीं कर पाएँ गे।
बच्चों के लिए जितनी पढ़ाई आवश्यक है, उतनी ही आवश्यकता खेलों की भी है। खेलों के कारण
उनके जीवन में रुचि बढ़ती है। खेलों से मानसिक शक्ति तथा अच्छे स्वास्थ्य का विकास होता है।
मन में साहस, हिम्मत, अनुशासन प्रियता और सहनशीलता आती है। अतः खेल जीवन के लिए
जरूरी है।
(iii)टोपी शुक्ला को सदैव अपने परिवारजनों से प्रताड़ना और उपेक्षा ही मिली। अपने भरे पूरे घर में
भी वह अके ला था। परिवार के किसी भी सदस्य को उसकी परवाह नहीं थी। कभी उसकी दादी
उस दुत्कारती तो कभी माँ के द्वारा उसे ही गलत समझा जाता। उसके पिता अपने काम में ही लगे
रहते और उसका बड़ा भाई उसके साथ हमेशा नोकरों के समान व्यवहार करता। अपने ही घर में
उपेक्षित होने पर उसका मन घर की बूढ़ी नौकरानी सीता के प्रति खिंचने लगा क्योंकि सीता की
भी घर में कोई परवाह नहीं करता था। उसे भी दुत्कारा जाता। उसके मन में टोपी के प्रति प्रेम
और सहानुभूति थी इसलिए टोपी सीता के नज़दीक चला गया।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये:
(i) बैडमिंटन मेरा सबसे प्रिय खेल है। इसकी गति और रोमांच मुझे बेहद पसंद है। शटलकॉक को
रै के ट से मारना और उसे हवा में उछालना मेरे लिए एक मज़ेदार अनुभव है। बैडमिंटन खेलने से
न के वल शारीरिक फिटनेस बल्कि मानसिक तनाव भी कम होता है।
बैडमिंटन खेलते समय खेल भावना का होना बहुत जरूरी है। जीत-हार से ज्यादा महत्वपूर्ण है
खेल का मजा लेना। इस खेल ने मुझे धैर्य, अनुशासन और टीम वर्क का महत्व सिखाया है।
बैडमिंटन में मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी गति और चपलता है। मैं जल्दी से एक जगह से दू सरी
जगह जा सकता हूँ और शटलकॉक को आसानी से पकड़ सकता हूँ। इस खेल ने मुझे कई
प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका दिया है और मुझे कई नए दोस्त बनाने में भी मदद की है।
(ii) वर्तमान समय में निम्न-मध्यम वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। महँगाई भी ऐसी, जो रुकने का
नाम ही नहीं लेती, बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई
नियन्त्रण रह ही नहीं गया है। महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि
होना महँगाई का प्रमुख कारण है। कभी-कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृ तिक प्रकोप भी
उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है।
जमाखोरी से शुरू होती है कालाबाजारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अन्धाधुन्ध मुनाफाखोरी की
प्रवृत्ति। सरकारी अंकु श का अप्रभावी होना महँगाई तथा जमाखोरी को बढ़ावा देता है। सरकार
अखबारों में तो महँगाई कम करने की बात करती है। पर वह भी महँगाई बढ़ाने में किसी से कम
नहीं है। सरकारी उपक्रम भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाते रहते हैं। इस जानलेवा महँगाई ने आम
नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है।
पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है। महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है
कि हमारी आवश्यकताएँ तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं। इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है।
महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अन्धाधुन्ध
बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदायी है। इस पर भी नियन्त्रण करना होगा। महँगाई ने आम आदमी की
कमर तोड़ दी है। 80 से 100 रुपए किलो की दाल आम आदमी खरीदकर भला कै से खा सकता
है। सरकार को खाद्य महँगाई पर प्रभावी अंकु श लगाना परमावश्यक है जिससे आम आदमी को
राहत मिल सके ।
(iii) जीवन संघर्ष का दू सरा नाम है
जीवन "संघर्ष" का दू सरा नाम है।
संन्यास संघर्ष से भागने का नाम है।
जिंदा मनुष्य बनकर जीना चाहते हो तो
संघर्षों में जीना सीखना ही होगा।
जन्म से मृत्यु तक की यह कालावधि जीवन कहलाती है। संघर्ष जीवन में चीज़ों को प्राप्त करने के
लिए प्रतिकार है। यह हमें उत्साह और साहस प्रदान करता है। जीवन संघर्ष, व्यक्ति के जीवन में
आने वाली चुनौतियों और परिस्थितियों का सामना करने का प्रकार है। इसमें यथार्थता, संघर्षी
भावना, समर्थन, और जीवन के मौलिक मूल्यों के प्रति समर्पण शामिल होता है। यह असफलता से
सीखने और पुनः प्रयास करने को प्रेरित करता है, साथ ही सफलता की खुशियों को भी स्वीकारता
है। जीवन संघर्ष व्यक्ति को सामर्थ्यवान बनाता है और उसे उन्नति और समृद्धि के मार्ग पर आगे
बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इससे व्यक्ति का अनुभव, समझदारी, और धैर्य का विकास होता है,
जिससे उसे जीवन की हर मुश्किलात से निपटने की क्षमता मिलती है। जीवन संघर्ष हमें अपनी
हढ़ता और निर्णायक योजनाओं से परिचित कराता है जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर
सकते हैं और सामाजिक समृद्धि और संतुष्टि के साथ जीवन का आनंद उठा सकते हैं।

13. प्रिय शिक्षा निदेशक जी,


सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय की रं ग-मंडली द्वारा प्रस्तुत नाटक की उत्कृ ष्टता को देखते हुए,
कृ पया आप इसे देखने का कष्ट करें । यह नाटक हमारे छात्रों की प्रतिभा और मेहनत का परिणाम है
और इसका मंचन बहुत प्रभावशाली रहा। नाटक के बाद, श्रेष्ठ अभिनेताओं को पुरस्कृ त करने का
विचार हमारे विद्यार्थियों की प्रेरणा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहन से
न के वल उनकी मेहनत की सराहना होगी, बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी। कृ पया इस
अवसर को साकार करने में हमारी सहायता करें ।
सधन्यवाद,
तुषार सिंह
सांस्कृ तिक सचिव
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय नं. 2,
पालम कॉलोनी, दिल्ली -110045
अथवा
प्रधानाचार्य महोदय,
ग्रीन वुड पब्लिक स्कू ल,
जयपुर, राजस्थान।
01 मार्च, 2019
विषय- सेक्शन बदलवाने के संबंध में
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की नौवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। इस विद्यालय का अच्छा
शैक्षणिक वातावरण तथा उत्तम परीक्षाफल देखकर मैंने यहाँ प्रवेश लिया था। यहाँ अन्य विषयों के
साथ मैंने अंग्रेजी पाठ्यक्रम ‘अ’ का चुनाव किया, किं तु अंग्रेजी विषय में कमज़ोर होने के कारण
पाठ्यक्रम ‘अ’ मुझे समझ में नहीं आ रहा है। मैं कक्षा में अध्यापक के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता हूँ।
मासिक टेस्ट में मेरे अंक बहुत खराब थे। मैंने कोशिश तो की पर स्थिति वही ‘ढाक के तीन पात'
वाली रह गई। इस कक्षा के सेक्शन ‘ब' में अंग्रेजी का पाठ्यक्रम ‘ब' पढ़ाया जाता है। मैंने अपने मित्र
की पुस्तकें देखकर जाना कि पाठ्यक्रम 'ब' आसान है, जिसे मैं आसानी से पढ़ सकता हूँ। यह
पाठ्यक्रम पढ़ने के लिए मैं अपना सेक्शन बदलवाना चाहती हूँ।
आपसे प्रार्थना है कि मेरी कठिनाइयाँ देखते हुए मुझे नौंवी ‘अ’ से नौवीं ‘ब' में स्थानांतरित करने की
कृ पा करें , जिससे मैं अपनी पढ़ाई सुगमता से जारी रख सकें । आपकी इस कृ पा के लिए मैं आपका
आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सचिन बंसल
दिल्ली पब्लिक विद्यालय
सूचना
20 मई 201
हमारे विद्यालय के प्रशासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अधिक-से-अधिक धन राशि एकत्रित
करके सुनामी पीड़ितों की सहायता की जाए। अतः आप सबको सूचित किया जाता है कि अधिक-
से-अधिक दान देकर इस अमूल्य कार्य में सहयोग दें। अतिरिक्त जानकारी हेतु स्कू ल प्रशासन द्वारा
नियुक्त अधिकारी से संपर्क करें ।
अभिषेक वर्मा
14. हेड ब्वाय
अथवा
कें द्रीय विद्यालय
दिल्ली कैं ट, दिल्ली
सूचना
परीक्षा प्रवेश-पत्र खो जाने हेतु
मैं सुचेता सिंह कक्षा दसवीं 'अ' कक्षा की छात्रा आप सभी को यह सूचित करती हूँ कि मेरी दसवीं
कक्षा का प्रवेश-पत्र आज सुबह ही कक्षा में कहीं खो गया है। आप सभी से यह निवेदन है कि जिस
किसी को यह पत्र मिले वह कृ पया मुझे नीचे दिए गए फोन नंबर पर तत्काल सूचित करें ।
फोन नंबर - 992211XXXX
सुचेता सिंह
कक्षा - दसवीं 'अ'
आपका मतदान लोकतंत्र की पहचान

आपके हाथ में है ताकत देश का नया नेता चुनने की


आपका वोट आपका अधिकार
वोट करें और देश निर्माण में अपनी भूमिका निभाएँ ! देश की तरक्की में भागीदार बनें।
"मतदान सोच समझकर कीजिए, किसी के द्वारा दिए गए प्रलोभन में आकर नहीं।"
15. मुख्य निर्वाचन आयुक्त कार्यालय की ओर से जन-जागरण हेतु
अथवा

आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ , जीवन को खुशहाल बनाएँ


पर्यांवरण संरक्षण करके , धरती माँ की गोद सजाएं ।
आओ लें
एक सबत्प
पर्यावरण संरक्षण का
प्रकृ ति से प्रेम करें जल बचाएँ वृक्ष लगाएँ
स्वच्छ एवं सुरक्षित रहे हमारा पर्यावरण यह संकल्प लें।
16. From: Nehasharma20@[Link]
To: [Link]@[Link]
विषय - जल भराव से मुक्ति हेतु
महोदय,
मैं नेहा शर्मा शांति नगर की निवासी हूँ। मेरा निवास स्थान बाढ़ के कारण बहुत बुरी तरह प्रभावित हो
गया है। यहाँ पर जल-भराव के कारण एक बाढ़ सा माहौल पैदा हो गया है। वर्षा तीव्र गति से होने के
कारण यहाँ पर अधिक जल भरा हुआ है और नालियों के पानी का भी निकास नहीं हो रहा है। इससे
मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है और डेंगू के एक-दो मामले भी प्रकाश में आए हैं। यह समस्या हम
सभी को स्कू ल और काम जाने में भी असुविधा पहुँचा रही है। मुझे तत्परता से तुरं त सहायता की
आवश्यकता है ताकि जल-भराव से मुक्ति मिल सके । कृ पया पानी की निकासी की उचित व्यवस्था
करवाएँ और मच्छरों को मारने की दवाई भी डालवाएँ । नगर निगम से सुनवाई का इंतजार है। कृ पया
जल्द से जल्द सहायता प्रदान करें ।
सधन्यवाद
नेहा शर्मा
अथवा
परीक्षा संकट में फं सा बेचारा विद्यार्थी
विद्यार्थी और परीक्षा दोनी में घनिष्ठ संबंध है क्योंकि विद्यार्थी जीवन परीक्षा के बिना पूर्ण नहीं होता।
बोर्ड की परीक्षाएँ शुरू होने वाली थी गोविन्द का बुरा हाल था पूरा साल तो उसने मौज-मस्ती में बिता
दिया था एक महीने बाद क्या होगा। पापा ने उसका टाईमटेबल बना दिया था घर से निकलने की
मनाही थी, मम्मी को भी उसपर नजर रखने का सख्त आदेश था, मोबाइल की घंटी बंद कर दी गई
थी। बेचारा गोविन्द उसका तो बुरा हाल था, कु र्सी पर बैठ कर लगातार पढ़ाई करना उसको दिन में
ही तारे दिखा रहा था। गणित के सवाल, इतिहास के प्रश्नों की खिचड़ी उसके दिमाग में पक रही थी।
पढ़ाई करने में उसका मन नहीं लग रहा था उसे लग रहा था कि वह अच्छे नंबरों से तो दू र बोर्ड
परीक्षा उत्तीर्ण ही नहीं कर पायेगा। तभी बगल के कमरे से उसे पापा की आवाज सुनाई दी जो फोन
पर दादाजी से बात करते हुए उन्हें बता रहे थे कि गोविन्द कितनी लगन से पढ़ाई कर रहा है और
उनको विश्वास था कि गोविन्द के अच्छे नंबर अवश्य आयेंगे, पापा के इस विश्वास ने बेचारे गोविन्द को
इस परीक्षा संकट का सामना करने के लिए तैयार कर दिया था।

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