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SAMPLE QUESTION PAPER - 3

Hindi B (085)
Class IX (2024-25)

निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80


सामान्य निर्देश:
इस प्रश्नपत्र में चार खंड हैं - क, ख, ग और घ
खंड क में अपठित गदयांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए दीजिए।
खंड ख में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
खंड ग पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
खंड घ रचनात्मक लेखन पर आधारित है आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
प्रश्न पत्र में कु ल 17 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य है।
यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए - [7]
गीता के इस उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं कि कर्म करें , फल की इच्छा न करें । यह
कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता
हुआ उत्साही मनुष्य यदि अन्तिम फल तक न भी पहुँचे, तो भी उसकी दशा कर्म न करने
वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका
जो जीवन बीता वह संतोष या आनन्द में बीता, उसके उपरांत फल के प्राप्त न होने पर भी
उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ
नहीं होता। अनुकू ल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी
मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी
को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो
आनन्द का उन्मेष होता रहता है-यह उसे कदापि न प्राप्त होता , यदि वह रोता हुआ बैठा
रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में
बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश के वल शोक और दु:ख में कटता। इसके अतिरिक्त
रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दु:ख से बचा रहेगा जो
उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।
कर्म में आनन्द अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों
के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फलस्वरूप
लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है।
वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
1. गद्यांश में गीता के किस उपदेश की ओर संके त किया गया है? (1)
(क) फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता
(ख) कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं
(ग) फल के बारे में सोचें
(घ) कर्म करें फल की चिंता नहीं करें
2. “कर्मण्य' किसे कहा गया है? (1)
(क) फल के चिंतन में आनन्द का अनुभव करने वालों को
(ख) काम करने में आनन्द का अनुभव करने वालों को
(ग) काम न करने वालों को
(घ) अधिक सोचने वालों को
3. ____________ कर्म करते हुये चित्त में संतोष का अनुभव ही कर्मवीर का सुख माना गया
है। (1)
(क) अत्याचार का दमन और शमन करने की भावना से
(ख) आत्म-ग्लानि की भावना से
(ग) संतोष या आनन्द की भावना से
(घ) उपचार की भावना से
4. कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा क्यों नहीं होता? (2)
5. घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है? (2)

2. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]


जिस मनुष्य ने अपने भावों को व्यापक बना लिया हो, जिसने विश्व की आत्मा से समन्वय
स्थापित कर लिया हो, वही महान साहित्यकार हो सकता है। जिसकी आत्मा विशाल हो जाती
है वह हँसने वालों के साथ हँसता है; रुदन करने वालों के साथ रुदन करता है; ऐसा साहित्य
एक देश का होने पर भी सार्वभौम होता है। रामायण और महाभारत देशकाल से बँधे हुए
नहीं, इसलिए वे अमर-काव्य हैं। मनुष्य जीवन संघर्ष में अपना देवत्व खो देता है, साहित्य उसे
पुन: देवत्व प्रदान करता है। साहित्य उपदेशों से नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं को प्रेरित
करके हममें ऊँ ची भावनाएँ जगाता है। साहित्य आदर्शों को स्थापित करके मनुष्य के जीवन
का उन्नयन करता है। उसमें नैतिक मूल्यों का संचार करता है। सर्वसामान्य के प्रति प्रेम-भाव
उत्पन्न करता है। भ्रष्टाचारियों और अनाचारियों के प्रति रोष जगाकर समाज को स्वच्छ बनाता
है।
1. कौन सा काव्य अमर हो जाता है? (1)
(क) जो काव्य मनुष्य के जीवन का उन्नयन करता है
(ख) जो काव्य देशकाल से बँधा नहीं होता
(ग) जो काव्य हममें ऊँ ची भावनाएँ जगाता है
(घ) जो काव्य समाज को स्वच्छ बनाता है
2. मनुष्य को पुनः देवत्व कौन प्रदान करता है? (1)
(क) साहित्यकार
(ख) काव्य
(ग) साहित्य
(घ) प्रेम-भाव
3. साहित्यकार महान कै से हो सकता है? (1)
(क) आत्मा को विशाल बनाकर
(ख) अपने भावों को व्यापक बनाकर
(ग) आदर्शों को स्थापित करके
(घ) समाज को स्वच्छ बनाकर
4. लेखक ने रामायण व महाभारत को कै सा काव्य बताया और क्यों? (2)
5. मानव जीवन में साहित्य का क्या महत्व है? (2)

खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण


3. निम्नलिखित प्रश्नों में से निर्देशानुसार किन्हीं दो प्रश्नों का उत्तर दीजिए [2]

(i) एक शब्द से अन्य शब्दों का निर्माण कै से होता है? [1]

(ii) पद कहलाने के लिए शब्द को अपने स्वरूप में क्या परिवर्तन लाना पड़ता है, स्पष्ट करें ? [1]

(iii) एक ही शब्द के अलग- अलग रूप क्या कहलाते हैं ? [1]

4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों में उचित स्थान पर अनुस्वार या अनुनासिक का प्रयोग कर [2]
उन्हें मानक रूप में लिखिए -
i. मजुला
ii. प्रियका
iii. तान्गा

5. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए- [4]


निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग करके लिखिए- (किन्ही दो) (2)
i. आपूर्ति
ii. सपाट
iii. संसार
निम्नलिखित मूल शब्दों में प्रत्यय जोड़कर बनने वाले शब्द लिखिए- (किन्ही दो) (2)
i. विद्या + वान
ii. उदार + ता
iii. चालाक + ई
6. निर्देशानुसार किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [3]
i. अतिशय + उक्ति (संधि कीजिए)
ii. छात्रा + आवास (संधि कीजिए)
iii. हर्षातिरे क (संधि-विच्छे द कीजिए)
iv. वक्रोक्ति (संधि-विच्छे द कीजिए)

7. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्ही दो में उचित विराम-चिह्न लगा लिखिए- [2]
i. माँ ने कहा अविनाश खेलते-खेलते खाना नहीं चाहिए
ii. हे भगवान तुम्हें कब अक्ल आएगी
iii. देश विदेश के समाचार पत्र गाँधी जी की गमग पर टीका टिप्पणी करते थे

8. निर्देशानुसार किन्हीं तीन प्रश्नों का उत्तर दीजिए। [3]


i. कृ पया शांति बनाये रखें। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद)
ii. दशरथ अयोध्या के राजा हैं। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद)
iii. रश्मि आग लगाती है। (प्रश्नवाचक वाक्य)
iv. क्या समीर हँस रहा है। (इच्छावाचक वाक्य)

खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
दोपहर बाद मैंने अपने दल के दू सरे सदस्यों की मदद करने और अपने एक थरमस को जूस
से और दू सरे को गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया। मैंने बर्फीली हवा में
ही तंबू से बाहर कदम रखा। जैसे ही मैं कैं प क्षेत्र से बाहर आ रही थी मेरी मुलाकात मीनू से
हुई। की और जय अभी कु छ पीछे थे। मुझे जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला।
उसने कृ तज्ञतापूर्वक चाय वगैरह पी, लेकिन मुझे और आगे जाने से रोकने की कोशिश की।
मगर मुझे की से भी मिलना था। थोड़ा-सा और आगे नीचे उतरने पर मैंने की को देखा। वह
मुझे देखकर हक्का-बक्का रह गया।
"तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री?"
मैंने उसे दृढ़तापूर्वक कहा, “मैं भी औरों की तरह एक पर्वतारोही हूँ, इसीलिए इस दल में आई
हूँ। शारीरिक रूप से मैं ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं
करनी चाहिए।" की हँसा और उसने पेय पदार्थ से प्यास बुझाई, लेकिन उसने मुझे अपना
किट ले जाने नहीं दिया।

(i) दल से दू सरे सदस्यों की सहायता हेतु लेखिका ने क्या करने का निश्चय किया?

क) सभी विकल्प सही है ख) वापस नीचे जाने का

ग) ऑक्सीजन लेकर जाने का घ) रस्सी को मजबूती से बाँधने का


(ii) लेखिका बर्फीली हवा में ही तंबू से बाहर क्यों निकली?

क) उसे वहाँ गर्मी लग रही थी ख) उसे पीछे रह गए अपने साथियों


की मदद करनी थी

ग) वह अपने साथियों को ढूँ ढना नहीं घ) उसके साथी उससे आगे चले गए
चाहती थी थे

(iii) जय ने लेखिका को और आगे जाने से रोकने का प्रयास क्यों किया?

क) क्योंकि आगे जाने में खतरा था ख) इनमें से कोई नहीं

ग) क्योंकि आगे जाने मे जय का घ) क्योंकि जय को लेखिका स कु छ


परशानी हो रही थी बात करनी थी

(iv) की लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया था?

क) क्योंकि वह दुर्गम मार्ग पर ख) क्योंकि वह काफी डरी हुई थी


साथियों की सहायता के लिए
पुनः वापस आई थी

ग) क्योंकि वह चाय बनाकर लाई थी घ) क्योंकि वह अके ले दुर्गम मार्ग


पर नहीं जाना चाहती थी

(v) इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए कथन से लेखिका
के किस स्वभाव का पता चलता है?

क) साहसी होने का ख) साहसी और परोपकारी होने का

ग) इनमें से कोई नहीं घ) परोपकार की भावना होने का

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया को रोते देखकर लेखक चाहकर भी क्या न कर सका? [2]

(ii) तुम कब जाओगे, अतिथि पाठ में आए कथन की व्याख्या कीजिए- अंदर ही अंदर कहीं [2]
मेरा बटुआ काँप गया।

(iii) वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की? [2]

(iv) महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था? शुक्र तारे के समान पाठ के आधार पर [2]
लिखिए।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


11. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवे सूई, कहा करे तलवारि।।"

(i) बडी चीज को देखकर किसी छोटी चीज की उपेक्षा नहीं करने का क्या अर्थ है?

क) बड़ी चीज का महत्त्व सब जगह ख) हर चीज का अपना महत्त्व है


होता है

ग) के वल छोटी चीज ही काम की घ) छोटी चीज कम काम की होती है


होती है

(ii) कवि के अनुसार सूई के स्थान पर क्या काम नहीं आता है?

क) डोरी ख) धागा

ग) तलवार घ) तार

(iii) प्रस्तुत दोहे में सूई किसका प्रतीक है?

क) असमर्थ का ख) बड़े या प्रभावशाली का

ग) छोटे या कमजोर का घ) शक्तिशाली का

(iv) प्रस्तुत दोहे के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

क) बड़े को देखकर छोटे की उपेक्षा ख) सभी विकल्प सही हैं


नहीं करनी चाहिए

ग) सभी का अपना-अपना महत्त्व है घ) कोई दू सरे का स्थान नहीं ले


सकता

(v) छोटी-से-छोटी वस्तु का अपना महत्त्व है, इस बात को सिद्ध करने के लिए रहीम ने किसका
उदाहरण दिया है?

क) कमल और कीचड़ का ख) समुद्र और मछली का

ग) सूई और धागे का घ) सूई और तलवार का

12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) कवि रै दास ने गरीब निवाजु किसे कहा है और क्यों? [2]

(ii) प्रकृ ति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए। गीत-अगीत के आधार पर [2]
लिखिए।

(iii) अग्निपथ में क्या नहीं माँगना चाहिए? [2]


(iv) व्याख्या कीजिए- [2]
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

खंड ग - संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)


13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए: [8]

(i) लेखिका के पास कई पशु-पक्षी थे, जिनसे लेखिका का पशु-पक्षी प्रेम स्पष्ट होता है। [4]
इसके बावजूद गिल्लू उनमें विशिष्ट कै से था?

(ii) लेखक को पुरस्कार स्वरूप मिली दोनों पुस्तकों का कथ्य क्या था? मेरा छोटा-सा निजी [4]
पुस्तकालय के आधार पर लिखिए।

(iii) टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज कल्याण [4]
के कार्यों में उनका क्या योगदान था? कल्लू कु म्हार की उनाकोटी पाठ के आधार पर
लिखिए।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये: [5]

(i) आज़ादी का अमृत महोत्सव विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द [5]
लिखिए।
आजादी की 75वीं वर्षगाँठ
विभिन्न गतिविधियों का संगम
स्वतंत्रता सेनानियों का परिचय/स्मरण

(ii) अपनी मातृभाषा विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द लिखिए। [5]
मातृभाषा का अर्थ
मातृभाषा की विशेषताएँ
मातृभाषा का महत्त्व

(iii) स्वास्थ्य की रक्षा विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द लिखिए। [5]
आवश्यकता
पोषक भोजन
लाभकारी सुझाव

15. उत्तराखण्ड आपदा में स्वयं भोगी कठिनाइयों का वर्णन करने हुए अपने मित्र को पत्र [5]
लिखिए।
अथवा
विदेश में रहने वाले अपने मित्र को भारतीय पर्वों की विशेषताएँ बताते हुए लगभग 120 शब्दों में
पत्र लिखिए।

16. दिए गए चित्र को देखकर लगभग 100 शब्दों में वर्णन कीजिए। [5]

17. एक पड़ोसी, रोज सुबह अखबार माँग कर पढ़ने ले जाते हैं, उनके विषय में पति और पत्नी के [5]
बीच होने वाले संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

अथवा
खेल के मैदान पर फु टबॉल टीम के कै प्टन और गोलकीपर के बीच हुए संवाद को लगभग 50-60
शब्दों में लिखिए।
Solution
SAMPLE QUESTION PAPER - 3
Hindi B (085)
Class IX (2024-25)
खंड क - अपठित बोध
1. 1. (घ) कर्म करें फल की चिंता नहीं करें |
2. (ख) काम करने में आनन्द का अनुभव करने वालों को कर्मण्य कहा गया है।
3. (क) अत्याचार का दमन और शमन करने की भावना से कर्म करते हुये चित्त में संतोष का अनुभव
ही कर्मवीर का सुख माना गया है।
4. कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा इसलिए नहीं होता क्योंकि उसके मन में यह
संतोष होता कि उसने संबन्धित कार्य के लिए प्रयास किया यदि इच्छा अनुसार फल नहीं मिला तो
भी प्रयत्न न करने का पश्चाताप नहीं होता।
5. सेवा के संतोष के लिए घर के बीमार सदस्य का उदाहरण इसलिए दिया गया है क्यों कि उस
सदस्य की सेवा करते हुये जिस आशा,उम्मीद और संतोष की अनुभूति होती है वह अवर्णनीय है
साथ ही उसके स्वास्थ्य लाभ की दशा में प्राप्त होने वाला सुख और आनंद अलग ही होता जबकि
कर्म न करने की दशा में सिवाय पछतावे के कु छ नहीं मिलता।
2. 1. (ख) जो काव्य देशकाल से बँधा नहीं होता, वही काव्य अमर हो जाता है।
2. (ग) साहित्य मनुष्य को पुनः देवत्व प्रदान करने में सहायक होता है।
3. (ख) अपने भावों को व्यापक बनाकर जो लोगों के सुख-दुख में शामिल रहता है और विश्व की
आत्मा से समन्वय स्थापित करता है वही साहित्यकार महान बन सकता है।
4. लेखक ने रामायण व महाभारत को अमर काव्य बताया क्योंकि ये दोनों देशकाल की सीमा से बँधे
हुये नहीं हैं , जो जन-जन की मानसिक, सामाजिक यहाँ तक कि राजनीतिक भावनाओं को भी
निर्देशित करते हैं इसीलिए ये एक देश का साहित्य होने पर भी सार्वभौम हैं।
5. साहित्य आदर्शों को स्थापित करके मनुष्य के जीवन का उन्नयन करता है। उसमें नैतिक मूल्यों का
संचार करता है। सर्वसामान्य के प्रति प्रेम-भाव उत्पन्न करता है। हमारी भावनाओं को प्रेरित करके
हममें ऊँ ची भावनाएँ जगाता है इसके साथ ही अत्याचारियों और विध्वंसकारियों का कलम से
विरोध कर नयी विचार धारा को जन्म देता है।
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित प्रश्नों में से निर्देशानुसार किन्हीं दो प्रश्नों का उत्तर दीजिए
(i) एक शब्द से अन्य शब्दों का निर्माण उपसर्ग, प्रत्यय और समास से होता है। जैसे- लोक इस पद में
यदि आ उपसर्ग जोड़ा जाए तब नवीन पद बनेगा -आलोक।
आलोक इस शब्द में यदि इक प्रत्यय जोड़ा जाए तब नवीन शब्द बनेगा- अलौकिक
इसी प्रकार से उपसर्ग,प्रत्यय और समास के द्वारा नवीन पदों की संरचना होती है।
(ii) पद कहलाने के लिये शब्द को वाक्य का हिस्सा बनना पड़ता है, जैसे - गाय... यह शब्द है।
गाय घास खाती है। (वाक्य का हिस्सा होने के कारण यहाँ गाय पद है।)
(iii)एक ही शब्द के अलग-अलग रूप पद कहलाते हैं, जैसे- लड़का खेलता है। लड़के ने पुस्तक
पढ़ी। लड़के के लिए फल लाओ।
4. i. मंजुला
ii. प्रियंका
iii. ताँगा
5. उपसर्ग
i. आपूर्ति = 'आ' उपसर्ग और 'पूर्ति' मूल शब्द है |
ii. सपाट = 'स' उपसर्ग और 'पाट' मूल शब्द है |
iii. संसार = 'सन्' उपसर्ग और 'सार' मूल शब्द है |
प्रत्यय
i. विद्या + वान = विद्वान
ii. उदार + ता = उदारता
iii. चालाक + ई = चालाकी
6. i. अतिशयोक्ति
ii. छात्रावास
iii. हर्ष + अतिरे क
iv. व्रक + उक्ति
7. i. माँ ने कहा, "अविनाश, खेलते-खेलते खाना नहीं खाना चाहिए।"
ii. हे भगवान! तुम्हें कब अकल आएगी?
iii. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
8. i. आज्ञावाचक वाक्य
ii. विधानवाचक वाक्य
iii. क्या रश्मि आग लगाती है?
iv. काश समीर हँस रहा हो।
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
दोपहर बाद मैंने अपने दल के दू सरे सदस्यों की मदद करने और अपने एक थरमस को जूस से और
दू सरे को गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया। मैंने बर्फीली हवा में ही तंबू से बाहर
कदम रखा। जैसे ही मैं कैं प क्षेत्र से बाहर आ रही थी मेरी मुलाकात मीनू से हुई। की और जय अभी
कु छ पीछे थे। मुझे जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृ तज्ञतापूर्वक चाय वगैरह
पी, लेकिन मुझे और आगे जाने से रोकने की कोशिश की। मगर मुझे की से भी मिलना था। थोड़ा-सा
और आगे नीचे उतरने पर मैंने की को देखा। वह मुझे देखकर हक्का-बक्का रह गया।
"तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री?"
मैंने उसे दृढ़तापूर्वक कहा, “मैं भी औरों की तरह एक पर्वतारोही हूँ, इसीलिए इस दल में आई हूँ।
शारीरिक रूप से मैं ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए।"
की हँसा और उसने पेय पदार्थ से प्यास बुझाई, लेकिन उसने मुझे अपना किट ले जाने नहीं दिया।
(i) (ख) वापस नीचे जाने का
व्याख्या:
वापस नीचे जाने का
(ii) (ख) उसे पीछे रह गए अपने साथियों की मदद करनी थी
व्याख्या:
उसे पीछे रह गए अपने साथियों की मदद करनी थी
(iii)(क) क्योंकि आगे जाने में खतरा था
व्याख्या:
क्योंकि आगे जाने में खतरा था
(iv)(क) क्योंकि वह दुर्गम मार्ग पर साथियों की सहायता के लिए पुनः वापस आई थी
व्याख्या:
क्योंकि वह दुर्गम मार्ग पर साथियों की सहायता के लिए पुनः वापस आई थी
(v) (ख) साहसी और परोपकारी होने का
व्याख्या:
साहसी और परोपकारी होने का

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया को रोता देखकर लेखक ने उसके दुख को महसूस किया। वह बुढ़िया
के पास बैठकर अपने हृदय की अनुभूति प्रकट करना चाहता था, पर अपनी पोशाक के कारण
चाहकर भी ऐसा न कर सका।
(ii) अन्दर ही अन्दर बटुआ काँप जाने से लेखक का अर्थ- अतिथि के घर आने से उनके रहने और
खाने-पीने से होने वाले खर्चे से है क्योंकि किसी अतिथि के घर में आने से उसके आदर सत्कार में
बहुत खर्च हो जाता है। खर्चा बढ़ने से लेखक का मन डरने लगा। इसी कारण लेखक का अन्दर ही
अन्दर बटुआ काँप गया।
(iii)उस दौर के लोगों का मानना था भारतीय वाद्ययंत्र पश्चिमी वाद्ययंत्र की तुलना में घटिया होते हैं।
रामन् ने वर्षों से फै ली भ्रांति एवं गलत सोच को अपनी खोजों से बदलने एवं भारतीय वाघयंत्र
विदेशी वाघयंत्रों की तुलना में घटिया है इस सोच को वाघयंत्रों पर की गई खोजों से तोड़ने की
कोशिश की।
(iv)सन् 1934-35 में गाँधी जी वर्धा के महिला आश्रम में और मगनबाड़ी में रहने के बाद अचानक
मगनबाड़ी से चलकर गाँव की सरहद पर एक पेड़ के नीचे जा बैठे । उसके बाद वहाँ एक-दो
झोंपड़े बने और फिर धीरे -धीरे मकान बनकर तैयार हुए, तब तक महादेव भाई, दुर्गा बहन और
चि. नारायण के साथ मगनबाड़ी में रहे। वहीं से वे वर्धा की असह्य गर्मी में रोज सुबह पैदल चलकर
सेवाग्राम पहुँचते थे। वहाँ दिन भर काम करके शाम को वापस पैदल आते थे। आते-जाते पूरे 11
मील चलते थे। रोज-रोज का यह सिलसिला लम्बे समय तक चला। कु ल मिलाकर इसका जो
प्रतिकू ल प्रभाव पड़ा, वही उनकी अकाल मृत्यु का कारण बना।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


11. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
"रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवे सूई, कहा करे तलवारि।।"
(i) (ख) हर चीज का अपना महत्त्व है
व्याख्या:
हर चीज का अपना महत्त्व है
(ii) (ग) तलवार
व्याख्या:
तलवार
(iii)(ग) छोटे या कमजोर का
व्याख्या:
छोटे या कमजोर का
(iv)(ख) सभी विकल्प सही हैं
व्याख्या:
सभी विकल्प सही हैं
(v) (घ) सूई और तलवार का
व्याख्या: सूई और तलवार का

12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) कवि ने 'गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे
जाने वाले और अछू त कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-
सम्मान और ऊँ चा स्थान मिल सकता है।
(ii) प्रकृ ति और पशु-पक्षियों का गहरा संबंध होता है। मौसम बदलते ही पशु-पक्षियों का मन भी बदल
जाता है। पशु-पक्षी गुनगुनाते और चहचहाते हैं। नर और मादा पशु-पक्षियों में प्रेम उमड़ने लगता
है। उनके क्रियाकलाप प्रकृ ति के सौन्दर्य के प्रेम में विलीन हो जाते हैं।
(iii)'अग्निपथ' अर्थात् - संघर्षमयी जीवन में हमें चाहे अनेक घने वृक्ष मिलें, परं तु हमें एक पत्ते की छाया
की भी इच्छा नहीं करनी चाहिए। किसी भी सहारे के सुख की कामना नहीं करनी चाहिए।
(iv)व्यक्ति के पास समय का अभाव है। नई परिस्थितियों में सभी काम में व्यस्त हैं। रोज नए परिवर्तन
हो रहे हैं। ऐसे बदलते वातावरण में भी आशा की एक किरण अवश्य रहती है कि सम्भवतः कोई
ऊपर से देखकर पहचान कर पुकार ले।

खंड ग - संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)


13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) लेखिका के पास बहुत से पशु-पक्षी थे, जिनसे लेखिका का गहरा लगाव था। उनमें से किसी को भी
लेखिका के साथ उनकी थाली में खाने की छू ट नहीं थी, लेकिन गिल्लू उनमें अपवाद था। लेखिका
जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, गिल्लू खिड़की से निकलकर आँगन, दीवार, बरामदा पार
करके मेज़ पर पहुँच जाता और लेखिका की थाली में बैठ जाता। लेखिका ने बड़ी मुश्किल से उसे
थाली के पास बैठना सिखाया। वह उनकी थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफ़ाई से
खाता रहता। इस गतिविधि से पता चलता है कि लेखिका के पास रहने वाले पशु-पक्षियों में गिल्लू
सर्वाधिक विशिष्ट था।
(ii) लेखक को पुरस्कार स्वरूप जो दो पुस्तकें मिली थीं, उनमें से एक का कथ्य था दो छोटे बच्चों का
घोंसलों की खोज में बागों और कुं जों में भटकना और इसी बहाने पक्षियों की बोली, जातियों और
आदतों को जानना तथा दू सरी पुस्तक का कथ्य था-पानी के जहाज़ों से जुड़ी जानकारी एवं
नाविकों की जानकारी व शार्क -ह्वेल के बारे में ज्ञान कराना।
(iii)टिलियामुरा कस्बे में लेखक की मुलाकात जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुई उनमें एक हैं- हेमंत
कु मार जमातिया। हेमंत कु मार एक प्रसिद्ध लोकगायक हैं। जो 1996 में संगीत नाटक अकादमी
द्वारा पुरस्कृ त भी हो चुके हैं। जवानी के दिनों में वे पीपुल्स लिबरे शन आर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता
थे।
दू सरे है- गायक मंजु ऋषिदास। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। मंजु ऋषिदास
आकर्षक महिला थीं और रे डियो कलाकार होने के अलावा नगर पंचायत में अपने वार्ड का
प्रतिनिधित्व भी करती थीं। वे निरक्षर थीं। नगर पंचायत को वे अपने वार्ड में नल का पानी पहुंचाने
और इसकी मुख्य गलियों में ईंटें बिछाने के लिए राजी कर चुकी थीं।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये:
(i) आज़ादी का अमृत महोत्सव
भारत विश्व का सबसे बड़ा संविधानिक देश है। भारत में विभित्र प्रकार के जाति धर्म समुदाय रं ग
रूप संस्कृ ति के लोग मिलजुल कर रहते है। 15 अगस्त 1947 को भारत में ब्रिटिश सरकार से
आज़ाद हुआ था। हमारे स्वतंत्रता सेनानी सालों तक अंग्रेज सरकार से लड़ते रहे और अंत में
हिंदुस्तान को आज़ाद किया।
आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरे होने और यहाँ के लोगों, संस्कृ ति और
उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को याद करने और जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की
ओर से की जाने वाली एक पहल है। पूरे देश में यह महोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए हर राज्य
ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। हम सभी जानते हैं कि 12 मार्च, 1930 को
राष्ट्पिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरूआत की थी। 2020 में नमक सत्याग्रह के 91
वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरूआत पदयात्रा को
हरी झंडी दिखाकर की।
15 अगस्त, 2022 को देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते
हुए 75वीं वर्षगाँठ से एक साल यानी 15 अगस्त, 2021 से इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।
जिसमें देश की अदम्य भावना के उत्सव दिखाने वाले सांस्कृ तिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जा
रहे हैं। इनमें संगीत, नृत्य, प्रवचन, प्रस्तावना पठन शामिल है। युवा शक्ति को भारत के भविष्य के
रूप में दिखाते हुए गायकों में 75 स्वर के साथ-साथ 75 नर्तक होंगे। यह कार्यक्रम 15 अगस्त,
2023 तक जारी रहेंगे।
(ii) अपनी मातृभाषा
मातृभाषा वह भाषा है जो मनुष्य बचपन से मृत्यु तक बोलता है घर परिवार में बोली जाने वाली
भाषा ही हमारी मातृभाषा है। भाषा संप्रेषण का एक माध्यम होती है जिसके द्वारा हम अपने
विचारों का आदान प्रदान करते है और अपनी मन की बात दू सरों के समक्ष रखते है। जो शब्द
रूप में सिर्फ अभिव्यक्त ही नहीं बल्कि भाव भी स्पष्ट करती है। एक नन्हा सा बालक अपनी मुख
से वही भाषा बोलता है जो उसके घर परिवार में बड़े लोग बोलते है। इस भाषा का प्रयोग करके
वह अपने विचारों को अपने माता पिता को अपनी मुख से उच्चारण कर बताता है।
हमे अपनी मातृभाषा को कभी भी नही भुलाना चाहिए। जिस तरह से एक गाय का दू ध माँ का दू ध
नही हो सकता और न ही माँ का दू ध गाय का दू ध हो सकता है। हमारी मातृभाषा हमारी अपनी
भाषा है जिसको सदैव याद रखना कि किस तरह से गांधीजी ने विदेशी भाषा का विरोध किया था।
गांधीजी ने कहा था कि यदि हमारा स्वराज अंग्रेजी की तरफ जाता है तो हमे अपनी राष्ट्र भाषा को
अंग्रेजी कर देना चाहिए, यदि हमारा स्वराज हिंदी की तरफ जाता है तो हमे अपनी राष्ट्र भाषा को
हिंदी कर देना चाहिए। इस बात कि परिवर्तित स्थितियों ने भाषा पर बहस को जन्म दिया है।
जीवन में आधुनिकता के प्रवेश ने कई क्षेत्रों के स्वरूपों को प्रभावित करने का कार्य किया है। इसी
क्रम में आधुनिकता मातृभाषा को मात्र भाषा बनाने की दिशा में कोई कसर शेष नहीं रखना
चाहती। किं तु इन सबके बाद भी हमारी मातृभाषा के महत्व पर कोई आँच नहीं आई है।
मातृभाषा के प्रति महात्मा गांधी कहते थे कि हृदय की कोई भी भाषा नहीं है हृदय हृदय से
बातचीत करता है और हिंदी ह्रदय की भाषा है यह पूर्णता सत्य है। हिंदी में वह क्षमता है जो आँखों
से बहते आँसू धारा का वर्णन इस रूप में करती है कि उसे पढ़ने वाले पाठक को आँसू बहा रहे
व्यक्ति की मन स्थिति का बोध हो जाता है। क्या किसी अन्य भाषा के भाव ह्रदय तल तक महसूस
किए जा सकते हैं?
(iii) स्वास्थ्य की रक्षा
वर्तमान समय में प्रत्येक मनुष्य की जीवन-शैली इतनी भागदौड़ से भर गई है कि वे अपने स्वास्थ्य
की रक्षा कर पाने में असमर्थ हो चुके हैं। जहाँ पहले के समय में व्यक्ति की औसत आयु 75 वर्ष
थी, वह आज घटकर 60 वर्ष हो गई है। स्वास्थ्य की रक्षा बहुत ही आवश्यक है। खराब स्वास्थ्य के
साथ व्यक्ति कोई भी कार्य उचित तौर-तरीके से नहीं कर पाता है। प्रत्येक व्यक्ति को आधारभूत
वस्तुओं का संचय करने के लिए स्वस्थ रहने की आवश्यकता है। कहा जाता है स्वस्थ शरीर में ही
स्वस्थ मन का वास होता है, इसीलिए स्वास्थ्य की रक्षा हमारे लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य की रक्षा
के लिए पोषक भोजन लेना अति आवश्यक है।
हरी सब्जियाँ, दू ध, दही, फल आदि का सेवन हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए
हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है। आजकल जंकफू ड और फास्ट फू ड का प्रचलन अपने चरम पर
है। इसकी चपेट में लाखों लोग आ चुके हैं। और इसी कारण वे अपना स्वास्थ्य खराब कर चुके हैं।
आजकल के बच्चों को मोटापा, सुस्ती व भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों ने जकड़ लिया है। हमें
जंक फू ड एवं फास्ट-फू ड से दू री बनाते हुए पौष्टिक आहार लेने चाहिए, जिससे हम अपने स्वास्थ्य
की रक्षा करते हुए, अपने और दू सरों के जीवन को खुशियाँ प्रदान कर सकें । सभी को अपने
भोजन में मांसपेशियों और उत्तकों को सबल बनाने के लिए प्रोटीन, ऊर्जा या शक्ति प्रदान करने
के लिए कार्बोहाइड्रेट और वसा, मजबूत हडि्डयों और रक्त के विकास के लिए खनिज लवण
और स्वस्थ जीवन एवं शारीरिक विकास के लिए विटामिन आदि आवश्यक सभी तत्व डालने
चाहिए।
15. ग्राम पोस्ट -पटना, बिहार
२४ मार्च २०१९
प्रिय मित्र गोविन्द
सस्नेह नमस्कार
आशा है आप सपरिवार सकु शल होंगे। हमारा तुम्हारा बहुत दिनों से संपर्क नहीं था किन्तु मैं तुम्हें
अपने साथ घटी एक दुर्घटना के विषय में बताना चाहता हूँ कि अभी पिछले वर्ष मैं अपने माता-पिता
के साथ चार धाम की यात्रा पर गया था और उत्तराखण्ड में जो भयंकर त्रासदी हुई उसका भोक्ता
बना। मैं माता-पिता के साथ के दारनाथ धाम पहुँचा ही था कि 16 जून को बादल फट जाने से
उत्तराखण्ड की नदियों में भयंकर जल प्लावन हो उठा और उसने पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया
मैं तो ईश्वर की कृ पा और स्थानीय लोगों की सहायता से माता-पिता के साथ सकु शल बच गया। ऐसी
विषम परिस्थितियों में पुजारी जी ने मुझे अपने घर ठहराया था इसलिए प्राण रक्षा हो गयी । बाद में जो
भयंकर त्रासदी टीवी, समाचार पत्रों में देखी-पढ़ी उससे तो यही प्रतीत हुआ कि हम सच में
भाग्यशाली ही थे जो बच पाए हैं।
दो दिनों तक मैं वहीं फँ सा रहा क्योंकि वापस आने के सारे रास्ते बन्द हो चुके थे। किन्तु सरकार ने
तत्परता दिखाई और उस त्रासदी में फँ से लोगों के लिए राहत कार्य शुरू कर दिया तभी सेना का
हेलीकाप्टर वहाँ पहुँचा तब उसकी सहायता से हम तीनों बच पाए और देहरादू न तक आ सके । वहाँ
से मुझे अपने नगर के लिए रे ल मिल गई और मैं सकु शल घर आ गया किन्तु कई दिनों तक मै वहाँ के
दृश्य नहीं भूल पाया ।
हम जब मिलेंगे तब विस्तार से चर्चा होगी और मैं तुम्हें अपना अनुभव बताऊँ गा । शेष फिर-
आपका मित्र
राहुल
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक : 03 मई, 2022
प्रिय मित्र गोविंद,
सस्नेह नमस्कार!
कल ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर एक नई जानकारी प्राप्त हुई। तुमने ऑस्ट्रेलिया में मनाए जाने वाले
त्योहारों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। अब मैं इस पत्र में भारतीय त्योहारों के विषय में लिख रहा
हूँ। भारत त्योहारों का देश है जिनमें दीवाली, दशहरा, होली, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, लोहड़ी,
करवाचौथ, बसंत पंचमी, बैसाखी, 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2अक्टू बर, 14 नवंबर आदि प्रमुख हैं। पर
इसके अतिरिक्त भी यहाँ बहुत-से त्योहार मनाए जाते हैं। दीवाली अज्ञान पर ज्ञान की विजय, दशहरा
असत्य पर सत्य की जीत, होली में सभी पुराने बैरों को भूलकर एक दू सरे से गले मिलते हैं। हर
त्योहार भारतीय बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। दीवाली दीपों का त्योहार है, दशहरा मेलों का त्योहार
तथा होली रं गों का त्योहार है। मित्र, इस पत्र में इतनी जानकारी पर्याप्त है। शेष अगले पत्र में लिखूँगा।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भाई को प्यार देना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
पंकज
16. प्रस्तुत चित्र में खेल के मैदान का दृश्य प्रदर्शित किया गया है। यहाँ महिलाओं की कबड्डी का
मुकाबला चल रहा है। सभी महिला खिलाड़ियों ने टी-शर्ट और नेकर पहना हुआ है। प्रतिद्वंदी टीम
की एक खिलाड़ी दू सरी टीम के पाले में उन्हें मात देने आयी है। कु छ महिला खिलाड़ी दो-दो के समूह
में हाथ पकड़कर प्रतिद्वंदी टीम की खिलाड़ी को घेरने का प्रयास कर रही है। सभी खिलाड़ी पूरी
तन्मयता से खेल रही हैं। दर्शक अपने-अपने खिलाड़ियों का तालियाँ बजा-बजा कर उनका मनोबल
बढ़ा रहे हैं। जो खिलाड़ी आउट हो चुके है वे अलग पंक्ति में बैठे हुए हैं तथा अपनी बारी का इंतजार
कर रहे हैं।
17. पति - ज़रा आज का अखबार तो लाना।
पत्नी - अखबार तो पड़ोसी ले गए।
पति - आज भी ले गए?
पत्नी - अखबार तो मैं लाकर दे देती हूँ, पर क्या इस मुसीबत से किसी तरह छु टकारा नहीं मिल
सकता?
पति - हाँ, इसका एक उपाय है। अखबार वाले से कहना कि कल से हमारा अखबार पड़ोसी के घर
डाल जाया करे । मैं उसे लेने चला जाया करूँ गा। अपना अखबार ले आया करूँ गा तथा उनके घर
नाश्ता भी कर आया करूँ गा।
अथवा
कै प्टन - अरे , रॉकी! तुमने बहुत अच्छा बचाव किया! यह कमाल का था।
गोलकीपर - धन्यवाद कप्तान! इसमें पूरी टीम का साथ था।
कै प्टन - हाँ, बिल्कु ल! पर तुम्हारी मुस्तैदी ने गोल बचा लिया।
गोलकीपर - हम आगे भी इसी तरह का प्रदर्शन करते रहेंगे।
कै प्टन - मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपनी टीम के साथ बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
गोलकीपर - हाँ कप्तान, ज़रूर।
कै प्टन - सब मिलकर जीतेंगे!

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