SAMPLE QUESTION PAPER - 3
Hindi A (002)
Class X (2024-25)
निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देश:
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए :
- इस प्रश्नपत्र में कु ल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- इस प्रश्नपत्र में कु ल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ।
- खंड-क में कु ल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 10 है।
- खंड-ख में कु ल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए 16 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
- खंड-ग में कु ल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है।
- खंड-घ में कु ल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए ।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [7]
शिक्षा और गुरु के माध्यम से ही अपने आंतरिक गुणों को हम प्रकाश में लाते हैं। यदि धर्म के
मार्ग पर चलकर मानव विज्ञ बनता है। तो वह अपने जीवन के मार्ग के विकास के लिए
अनवरत लगकर जीवन को सफल बनाता है और सम्यक ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को
ब्रह्म से जोड़कर करोड़ों जन्मों के कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है, किन्तु यह शिक्षा के द्वारा ही
संभव है। शिक्षा भी दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनती है तथा
दू सरी से जीवन-साधना संभव होती है। दोनों में परिपूर्णता गुरु के माध्यम से ही होती है।
जीविकोपार्जन की शिक्षा पाकर यह संसार बड़ा सुखमय प्रतीत होता है और जलते हुए दीपक
के प्रकाश जैसा वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है। दू सरी शिक्षा पाने के लिए सद्गुरु की
तलाश होती है। वह सद्गुरु कहीं भी कोई भी हो सकता है, जैसे तुलसीदास की सच्ची गुरु
उनकी पत्नी थी, जिनकी प्रेरणा से उनके अंतर्मन में प्रकाश भर गया और सारे विकार धुल
गए। मन स्वच्छ हो गया। अपने दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर हमेशा-हमेशा के लिए सुखद
जीवन जिए। ऐसे ही ब्रह्म-ज्ञान व आत्मनिरूपण की सच्ची शिक्षा के बिना सार्थक जीवन नहीं
मिलता। सच्चा ज्ञान मुक्ति का मार्ग है।
1. व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से कै से मुक्ति पाता है? (1)
(क) धर्म के मार्ग पर चलकर
(ख) कर्मों से मुक्ति प्राप्त कर
(ग) अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर
(घ) जीवन को सफल बनाकर
2. हम अपने आन्तरिक गुणों को कै से प्रकाश में लाते हैं? (1)
(क) शिक्षा और गुरु के माध्यम से।
(ख) धर्म और ज्ञान के मार्ग पर चलकर
(ग) जीविकोपार्जन की शिक्षा पाकर
(घ) दुर्लभ जीवन को सफल बनाकर
3. तुलसीदास की गुरु कौन थीं? (1)
(क) तुलसीदास की बहन
(ख) तुलसीदास की दादी
(ग) तुलसीदास की माता
(घ) तुलसीदास की पत्नी
4. शिक्षा किन-किन माध्यमों से मिलती है? (2)
5. जीविकोपार्जन की शिक्षा से मनुष्य को क्या प्राप्त होता है? (2)
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
माना आज मशीनी युग में, समय बहुत महँगा है लेकिन
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुमसे दो बातें करनी हैं।
उम्र बहुत बाकी है लेकिन, उम्र बहुत छोटी भी तो है
एक स्वप्न मोती का है तो, एक स्वप्न रोटी भी तो है
घुटनों में माथा रखने से पोखर पार नहीं होता है
सोया है विश्वास जगा लो, हम सब को नदिया तरनी है।
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुमसे दो बातें करनी हैं।
मन छोटा करने से मोटा काम नहीं छोटा होता है,
नेह-कोष को खुलकर बाँटो, कभी नहीं टोटा होता है,
आँसू वाला अर्थ न समझे, तो सब ज्ञान व्यर्थ जाएँ गे
मत सच का आभास दबा लो, शाश्वत आग नहीं मरनी है।
तुम थोड़ा अवकाश निकालो, तुमसे दो बातें करनी हैं।
i. सच का आभास क्यों नहीं दबाना चाहिए? (1)
(क) क्योंकि इससे पोखर पार नहीं होता है ।
(ख) क्योंकि इससे वास्तविक समस्याएँ समाप्त नहीं हो जातीं।
(ग) क्योंकि इससे समस्या और बड़ी हो जाती है।
(घ) क्योंकि आग लग सकती है।
ii. मशीनी युग में समय महँगा होने का क्या तात्पर्य है? (1)
(क) हर चीज महँगी है।
(ख) समय भी क़ीमती है।
(ग) बहुत महंगाई है।
(घ) समय को ख़रीदा जा सकता है।
iii. 'घुटनों में माथा रखने से पोखर पार नहीं होता है'-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। (1)
(क) समय बहुत महँगा है
(ख) हम सब को नदिया तरनी है
(ग) सब ज्ञान व्यर्थ हैं।
(घ) मानव निष्क्रिय होकर आगे नहीं बढ़ सकता।
iv. 'मोती का स्वप्न' और 'रोटी का स्वप्न' से क्या तात्पर्य है? दोनों किसके प्रतीक हैं? (2)
v. 'मन’ और ‘स्नेह' के बारे में कवि क्या परामर्श दे रहा है और क्यों? (2)
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. निर्देशानुसार किन्हीं चार के उत्तर लिखिए: [4]
i. वे इंदौर से अजमेर आ गए, जहाँ उन्होंने अपने अके ले के बल-बूते अधूरे काम को आगे
बढ़ाया। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद लिखिए)
ii. कानाफू सी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
iii. अगली बार जाने पर भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। (मिश्र वाक्य में बदलकर
लिखिए)
iv. हालदार साहब जीप में बैठकर चले गए। (संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए)
v. मैंने कहा कि मैं स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में सब जानती हूँ।
(आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।)
4. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए - [4]
(1x4=4)
i. नेताजी ने देश के लिए अपना सब कु छ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
ii. दर्द के कारण वह खड़ा ही नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
iii. परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
iv. नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में
बदलिए)
v. क्या अब चला जाए? (कर्तृवाच्य में)
5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रे खांकित पदों का पद-परिचय लिखिए: (1x4=4) [4]
i. सुरभि विद्यालय से अभी-अभी आई है।
ii. उसने मेरी बातें ध्यानपूर्वक सुनी।
iii. शाबाश ! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
iv. वहाँ दस छात्र बैठे हैं।
v. परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती।
6. निम्नलिखित काव्यांशों के अलंकार भेद पहचान कर लिखिए- (किन्हीं चार) [4]
i. मैं तो चंद्र खिलौना लैंहों।
ii. सहसबाहु सम रिपु मोरा।
iii. बहुत काली सिल
जरा-से लाल के सर-से कि जैसे धुल गई हो
iv. बीती विभावरी जाग री अम्बर पनघट में डु बो रही तारा घट उषा नागरी।
v. सिर फट गया उसका वहीं
मानो अरुण रं ग का घड़ा।
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका
बेटा मरा। इकलौता बेटा था वह! कु छ सुस्त और बोदा-सा था, किन्तु इसी कारण बालगोबिन
भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नजर रखनी चाहिए
या प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध
से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबन्धिका
बनकर भगत को बहुत कु छ दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है,
इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फु रसत! किन्तु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान
खींचकर ही रहती है।
(i) प्रस्तुत गद्यांश के लेखक का नाम लिखिए।
क) विष्णु प्रभाकर ख) प्रेमचंद
ग) रामवृक्ष बेनीपुरी घ) इनमें से कोई नहीं
(ii) भगत की पुत्रवधू में क्या गुण था?
क) वह घर के प्रबन्ध में कु शल थी ख) वह सुन्दर व सुशील थी
ग) घर की जिम्मेदारी को सँभालने घ) सभी विकल्प सही हैं
वाली थी
(iii) निवृत्त शब्द में से उपसर्ग व मूल शब्द अलग कीजिए-
क) निवृ + त्त ख) निर् + वत्त
ग) न + इवृत्त घ) नि + वृत्त
(iv) बालगोबिन भगत का पुत्र कै सा था?
i. सुस्त और बोदा
ii. सुस्त और क्रोधी
iii. फु र्तीला और बलवान
iv. लम्बा-चौड़ा और हैंसमुख
क) विकल्प (iv) ख) विकल्प (iii)
ग) विकल्प (ii) घ) विकल्प (i)
(v) बालगोबिन भगत के कितने बेटे थे?
क) तीन ख) दो
ग) चार घ) एक
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]
(i) हालदार साहब किस बात के बारे में बार-बार सोच रहे थे? उनके ऐसा सोचने में किस [2]
प्रकार का भाव निहित था?
(ii) एक कहानी यह भी के आधार पर लिखिए कि मन्नू भंडारी को नए सिरे से अपने [2]
अस्तित्व का बोध कब हुआ?
(iii) किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिये आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं? [2]
(iv) संस्कृ ति पाठ के आधार पर बताइए कि संस्कृ त व्यक्ति कौन होता है? उसकी खूबियों [2]
पर टिप्पणी कीजिए।
खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कं था की?
छोटे से जीवन की कै से बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
(i) कवि ने अपने जीवन को कै सा बताया है?
क) बड़ा ख) छोटा
ग) भरा हुआ घ) बच्चा
(ii) कवि ने किसे संजो कर रखा है?
क) अपने जीवन को ख) नई यादों को
ग) पुरानी यादों को घ) बड़ी कथाओं को
(iii) कवि आत्मकथा क्यों नहीं लिखना चाहता?
क) क्योंकि वह बहुत खुश है ख) क्योंकि उसका जीवन सुख से
भरा हुआ है
ग) क्योंकि उसने जीवन में कोई घ) क्योंकि उसका मन नहीं है
उपलब्धि प्राप्त नहीं की
(iv) पद्यांश में कवि ने किसे अच्छा माना है?
क) अपने दुः ख को ख) अपनी आत्मकथा लिखने को
ग) अपने जीवन को घ) दू सरों की आत्मकथा सुनने को
(v) थकी सोई है मेरी मौन व्यथा- कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
क) क्योंकि वे अपने दुखद क्षणों को ख) क्योंकि वे स्वयं बहुत सुखी हैं
याद करना चाहते हैं
ग) क्योंकि वे अपने मित्रों को खुश घ) क्योंकि वे अपने अतीत को कु रे द
देखना चाहते हैं कर दुखी नहीं होना चाहते
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]
(i) कवि निराला की आँख फागुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही है? [2]
(ii) फसल नदियों के पानी का जादू , हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा तथा मिट्टी का [2]
गुण धर्म किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए।
(iii) संगतकार की भूमिका पर कविता के संदर्भ में अपने विचार लिखिए। [2]
(iv) कृ ष्ण को हरिल की लकड़ी कहने से गोपियों का क्या आशय है? [2]
खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए: [8]
(i) भोलानाथ बचपन में कै से-कै से नाटक खेला करता था ? इससे उसका कै सा व्यक्तित्व [4]
उभरकर आता है ?
(ii) मैं क्यों लिखता हूँ? पाठ के अनुसार अणु-बम के विस्फोट के प्रभाव को देखकर भी [4]
लेखक ने तत्काल कु छ नहीं लिखा। क्यों?
(iii) साना-साना हाथ जोड़ि पाठ में लेखिका को कब और क्यों लगा कि तमाम भौगोलिक [4]
विविधता और वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भारत की आत्मा एक ही है?
खंड घ - रचनात्मक लेखन
12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये: [6]
(i) गया समय फिर हाथ नहीं आता विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर [6]
अनुच्छे द लिखिए।
समय ही जीवन है
समय का सदुपयोग
समय के दुरुपयोग से हानि
(ii) वन संरक्षण विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द लिखिए। [6]
क्या है? और क्यों?
वन कटाव पर रोक
वृक्षारोपण आज की जरूरत, सुझाव
(iii) तकनीक पर हमारी निर्भरता विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द [6]
लिखिए।
तकनीक का जीवन में स्थान
उसके लाभ
उस पर आश्रय के नुकसान
13. आपका नाम अनामिका/अनामय है। पिछले महीने आपने अपना घर बदला है। अपने बैंक [5]
खाते में पुराने पते के स्थान पर अपना नया पता बदलवाने के लिए संबंधित बैंक प्रबंधक को
लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखें।
अथवा
अपनी गलत आदतों का पश्चात्ताप करते हुए अपनी माताजी को पत्र लिखिए और उन्हें आश्वासन
दिलाइए कि फिर ऐसा न होगा।
14. किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में पत्रकार पद के लिए स्ववृत सहित आवेदन-पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आप परमजीत कौर/जितेंदर सिंह हैं। आपके मोहल्ले के पार्क में अनपेक्षित व्यक्तियों का
जमावड़ा रहता है। जिसके कारण बच्चों को खेलने का स्थान नहीं मिल पाता। इस समस्या के
निदान के लिए नगर-निगम अधिकारी को लगभग 80 शब्दों में ई-मेल लिखिए।
15. किसी मोबाइल फ़ोन बनाने वाली कं पनी के लिए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में [4]
तैयार कीजिए।
अथवा
खाते में से पैसे निष्कासित होने पर बैंक द्वारा ग्राहक को 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।
Solution
SAMPLE QUESTION PAPER - 3
Hindi A (002)
Class X (2024-25)
खंड क - अपठित बोध
1. 1. (ग) सम्यक ज्ञान, गुण, धर्म से अपने जीवन को ब्रह्म से जोड़कर व्यक्ति करोड़ों जन्मों के कर्मों से
मुक्ति प्राप्त करता है।
2. (क) शिक्षा और गुरु के माध्यम से।
3. (घ) तुलसीदास की गुरु उनकी पत्नी थीं।
4. शिक्षा दो माध्यमों से मिलती है। एक जीविकोपार्जन का माध्यम बनता है तथा दू सरी से जीवन
साधना संभव होती है।
5. जीविकोपार्जन की शिक्षा प्राप्त कर मनुष्य को यह संसार बड़ा सुखमय प्रतीत होता है और जलते
हुए दीपक के प्रकाश जैसे वह बाहरी जीवन में प्रकाश पाता है।
2. i. (ख) सच का आभास इसलिए नहीं दबाना चाहिए, क्योंकि इससे वास्तविक समस्याएँ समाप्त नहीं
हो जातीं।
ii. (ख) इस युग में व्यक्ति समय के साथ बाँध गया है । उसे हर घंटे के हिसाब से मज़बूरी मिलती है।
iii. (घ) इसका भाव यह है कि मानव निष्क्रिय होकर आगे नहीं बढ़ सकता। उसे परिश्रम करना होगा,
तभी उसका विकास हो सकता है।
iv. 'मोती का स्वप्न' का तात्पर्य वैभवयुक्त जीवन की आकांक्षा से है तथा 'रोटी का स्वप्न' का तात्पर्य
जीवन की मूल जरूरतों को पूरा करने से है। दोनों अमीरी व गरीबी के प्रतीक हैं।
v. 'मन' के बारे में कवि का मानना है कि मनुष्य को हिम्मत रखनी चाहिए। हौसला खोने से कार्य या
बाधा खत्म नहीं होती। 'सेह' भी बाँटने से कभी कम नहीं होता। कवि मनुष्य को मानवता के गुणों
से युक्त होने के लिए कह रहा है।
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. i. यह वाक्य मिश्रित वाक्य है।
ii. सरल वाक्य: कानाफू सी के बाद मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई।
iii. मिश्र वाक्य: जब अगली बार गया, तब भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था।
iv. संयुक्त वाक्य: हालदार साहब जीप में बैठे और चले गए।
v. कि मैं स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में सब जानती हूँ। (संज्ञा उपवाक्य)
4. i. नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कु छ त्याग दिया गया।
ii. दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ गया।
iii. परीक्षा के बारे में अध्यापक ने क्या कहा?
iv. नवाब साहब के द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लज़ीज होता है।
v. क्या अब चलें ?
5. i. विद्यालय से - जातिवाचक संज्ञा,पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक
ii. ध्यानपूर्वक - रीतिवाचक क्रियाविशेषण, 'सुन्ने क्रिया की विशेषता
iii. तुमने - मध्यम पुरुष सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, संप्रदान कारक
iv. दस - संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन,'छात्र' विशेष्य का विशेषण
v. के बिना - संबद्धबोधक, अव्यय, ' परिश्र्म' के साथ संबंध
6. i. रूपक अलंकार
ii. उपमा अलंकार
iii. उत्प्रेक्षा अलंकार
iv. मानवीकरण अलंकार
v. उत्प्रेक्षा अलंकार
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका बेटा
मरा। इकलौता बेटा था वह! कु छ सुस्त और बोदा-सा था, किन्तु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे
और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नजर रखनी चाहिए या प्यार करना
चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी
कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबन्धिका बनकर भगत को बहुत
कु छ दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों
को कहाँ फु रसत! किन्तु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है।
(i) (ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
व्याख्या:
रामवृक्ष बेनीपुरी
(ii) (घ) सभी विकल्प सही हैं
व्याख्या:
सभी विकल्प सही हैं
(iii)(घ) नि + वृत्त
व्याख्या:
नि + वृत्त
(iv)(घ) विकल्प (i)
व्याख्या:
सुस्त और बोदा
(v) (घ) एक
व्याख्या:
एक
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) हालदार साहब बार-बार इस बात के बारे में सोच रहे थे कि जो कौम अपने देश के लिए घर-
गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कु छ होम कर देने वालों का मजाक उड़ाती है उसका भविष्य क्या
होगा। अर्थात् जहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता हो और नैतिकता को त्यागकर स्वार्थ व
अवसरवादिता अपनाने को आदर्श माना जाता हो, उस देश व अंधकारमय ही है। हालदार साहब
के ऐसा सोचने में विक्षोभ व हार्दिक पीड़ा का भाव था।
(ii) मन्नू भंडारी को नए सिरे से अपने अस्तित्व का बोध बड़े भाई-बहनों की छत्र-छाया के हटने के बाद
हुआ। इस स्थिति में उन्होंने अपने व्यक्तिगत अस्तित्व और स्वतंत्रता की गहराई से समझ
विकसित की।
(iii)फल खाने के लिये उसे धोकर काटना पड़ता है तथा मसाला छिड़कना पड़ता है। सब्जी खाने के
लिये उसे साफ करना, धोना, तेल-घी में छौंकना तथा पकाना पड़ता है। फल का रस पीना हो तो
उसका जूस निकालना पड़ता है, रोटी खानी हो तो आटा पानी के साथ गूंथना पड़ता है, लोई
बनाकर बेलना पड़ता है फिर तवे पर आग पर सेंकना पड़ता है। इसी प्रकार खाने का स्वाद बढ़ाने
के लिए सलाद बनाकर उस पर स्वादानुसार नमक-मिर्च-नींबू निचोड़ कर उसे स्वादिष्ट बनाया
जाता है | रायता और चटनी बनाकर उसे खाने के साथ खाया जाता है |
(iv)संस्कृ त व्यक्ति वह होता है जो अपनी संस्कृ ति, परं पराओं और मूल्यों को गहराई से समझता और
मानता है। उसकी खूबियों में समर्पण, संवेदनशीलता, और समर्पण शामिल हैं। वह समाज के प्रति
जिम्मेदार होता है और अपने कृ त्यों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है।
संस्कृ त व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक और सहिष्णु होता है, जिससे वह विभिन्न संस्कृ तियों का
सम्मान करता है। उसकी शिक्षा और अनुभव उसे जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कं था की?
छोटे से जीवन की कै से बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
(i) (ख) छोटा
व्याख्या:
छोटा
(ii) (क) अपने जीवन को
व्याख्या:
अपने जीवन को
(iii)(ग) क्योंकि उसने जीवन में कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं की
व्याख्या:
क्योंकि उसने जीवन में कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं की
(iv)(घ) दू सरों की आत्मकथा सुनने को
व्याख्या:
दू सरों की आत्मकथा सुनने को
(v) (घ) क्योंकि वे अपने अतीत को कु रे द कर दुखी नहीं होना चाहते
व्याख्या:
क्योंकि वे अपने अतीत को कु रे द कर दुखी नहीं होना चाहते
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) फागुन मास में प्रकृ ति का सौन्दर्य अपने चरम पर होता है | ऐसा कोई सहृदय नहीं जो इससे
अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता | फागुन में वसंत की मादकता है, प्रफु ल्लता है | कवि प्रकृ ति
प्रेमी है | उसे प्रकृ ति के कण-कण में सुन्दरता नज़र आती है | उसका ह्रदय कोमल है इसलिए वह
फागुन की सुन्दरता से आँख नहीं हटा पा रहा |
(ii) फसल के लिये पानी बेहद आवश्यक है। नदियाँ अपने साथ जो खनिज बहाकर लाती हैं वे उनके
पानी को अमृत बना देते हैं जो किसी जादू की भाँति फसलों में आकार, रस, गंध, स्वाद आदि की
भिन्नता पैदा करते हैं। इसमें अनेक व्यक्तियों के परिश्रम तथा सेवा के साथ-साथ बीज-खाद व
मिट्टी का भी योगदान होता है। विभिन्न प्रकार की मिट्टियों की विशेषताओं के अनुसार फसलों का
स्वरूप बनता है। अतः फसल इन सबके सम्मिलित योगदान की महिमा है।
(iii)"संगतकार" कविता के संदर्भ में, संगतकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और बहुपरकारी होती
है। संगतकार मुख्य गायक का साथ देकर उसकी प्रस्तुतियों को समृद्ध बनाता है। उसकी भूमिका
के वल प्रदर्शन में सहयोग देने तक सीमित नहीं है; वह गायक का उत्साह बनाए रखने और उसे
अके लेपन का अहसास न होने देने में भी योगदान करता है। जब मुख्य गायक अनहद में खो जाता
है, तो संगतकार स्थायी को सँभालकर उसकी मदद करता है, जिससे गायक को समर्थन और
आत्म-विश्वास मिलता है। इस प्रकार, संगतकार की भूमिका गायक के प्रदर्शन को सशक्त और
संतुलित बनाने में महत्वपूर्ण होती है, और वह पूरी प्रक्रिया को सफल और प्रभावी बनाता है।
(iv)गोपियों ने कृ ष्ण को हारिल की लकड़ी कहकर प्रेम की दृढ़ता एवं एकनिष्ठा को प्रकट किया हैं।
हारिल पक्षी सदैव अपने पंजे में एक लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है| किसी भी दशा में उसे नहीं
छोड़ना चाहती है इसी प्रकार गोपियों ने भी कृ ष्ण के प्रेम को अपने हृदय में दृढ़तापूर्वक बसाया
हुआ है, जो किसी भी प्रकार निकल नहीं सकता। गोपियां जीवन भर कृ ष्ण प्रेम में ही नींद रहना
चाहती हैं उन्हें और कोई भी मार्ग अच्छा ही नहीं लगता और न ही वह अपनाना चाहती हैं।
खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) भोलानाथ बचपन में तरह-तरह के नाटक खेला करते थे। चबूतरे का एक कोने को ही नाटकघर
बना लिया जाता था। बाबूजी जिस छोटी चौकी पर बैठकर नहाते थे, उसे रं गमंच के रूप में काम
में लिया जाता था। सरकं डे के खम्भों पर कागज का चंदोआ उस रं गमंच पर तान दिया जाता था |
वहीँ पर मिठाइयों की दुकान लगाई जाती। इस दुकान में चिलम के खोंचे पर कपड़े के थालों में
ढे ले के लड्डू , पत्तों की पूरी-कचौरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, फू टे घड़े के टुकड़ों के बताशे
आदि मिठाइयाँ सजाई जातीं । ठीकरों के बटखरे और जस्ते के छोटे टुकड़ों के पैसे बनते । इससे
भोलानाथ का यह व्यक्तित्व उभरकर आता है कि वह घर की अनावश्यक वस्तुओं को ही खिलौने
बना लेते थे | आज की तरह वे दिखावे से कोसों दू र थे |
(ii) लेखक ने हिरोशिमा में हुए अणु-बम के विस्फोट के प्रभाव को प्रत्यक्ष देखा फिर भी कु छ नहीं
लिखा। इसका कारण यह था कि लेखक के अनुभूति में कसर थी। अनुभूति-पक्ष के अभाव में
लिखने से उतनी सार्थकता नहीं होती जितनी अनुभूति के होने पर होती है।
(iii)लेखिका को यह अहसास तब हुआ जब उन्होंने एक कु टिया में घूमता चक्र देखा, जो मान्यता के
अनुसार सारे पाप धुलने का कार्य करता है। इस अनुभव ने उन्हें यह समझने में मदद की कि
भारत की आत्मा एक ही है, भले ही भौगोलिक विविधता और वैज्ञानिक प्रगति कितनी भी हो।
धार्मिक मान्यताओं, जैसे तीर्थयात्रा और गंगास्नान, तथा पाप-पुण्य और स्वर्ग-नरक की समान
धारणाएँ इस एकता की पुष्टि करती हैं।
खंड घ - रचनात्मक लेखन
12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये:
(i) महापुरुषों ने कहा है, "समय बहुत मूल्यवान है। एक बार निकल जाने पर यह कभी वापस नहीं
आता।" वास्तव में, समय ही जीवन है। इसकी गति को रोकना असंभव है। संसार में अनेक
उदाहरण हैं, जो समय की महत्ता को प्रमाणित करते हैं। जिसने समय के मूल्य को नहीं पहचाना,
वह हमेशा पछताया है। इसके महत्त्व को पहचानकर इसका सदुपयोग करने वाले व्यक्तियों ने
अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त की। जो व्यक्ति समय मिलने पर भी अपने जीवन में कु छ
नहीं कर पाते, वे जीवन में असफल रहते हैं।
जो विद्यार्थी पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं करते, वे फे ल होने पर पछताते हैं। तब यह उक्ति कि 'अब पछताए
होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' चरितार्थ होती है। विद्यार्थी को समय का मूल्य पहचानते हुए
हर पल का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि जो समय को नष्ट करता है, एक दिन समय उसे नष्ट
कर देता है। महान् पुरुषों ने समय का सदुपयोग किया और अपने जीवन में सफल हुए। स्वामी
दयानंद, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मदर टेरे सा आदि इसके ज्वलंत प्रमाण हैं। अतः हमें
समय की महत्ता को समझते हुए इसका सदुपयोग करना चाहिए।
(ii) वन संरक्षण
वनों का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। वन पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखता है।
पेड़ पौधों को बचाना एक बहुत जरूरी कार्य बन गया है। क्योंकि लोग दिन प्रतिदिन वनों की
कटाई करते जा रहे हैं, जिससे पृथ्वी का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। पौधे तेजी से विलुप्त होते जा
रहे हैं। जिससे वनों में रहने वाले पशु, पक्षी, जंगली जानवर सब बेघर होते जा रहे हैं। इससे जंगली
जानवर इंसानों के इलाकों में घुस जाते हैं जिससे लोगों में भय का माहौल होता हैं।
वनों की कटाई की वजह से नदियाँ, झीलों पर भी असर पड़ता है। वन एक विशाल भूमि क्षेत्र है।
दुनिया में विभित्र प्रकार के वन हैं, जिन्हें उनकी मिट्टी, पेड़-पौधों, वनस्पतियों एवं उसमें रहने वाले
कई प्रकार के जीव-जंतुओं के आधार पर वर्गीकृ त किया जाता है। वनों की वजह से वातावरण में
हवा शुद्धिकरण होता रहता है। यह जलवायु परिवर्तन होने में भी मदद करता है। वनों से प्रत्यक्ष
लाभ कु छ ही व्यक्तियों को होता हैं। लेकिन अप्रत्यक्ष हानि सारे जीव-जंतुओं को होती है। इसलिए
वनों का संरक्षण अत्यावश्यक है। वनों के संरक्षण के लिए सरकार भी उत्तरदायी है क्योंकि वनों के
अस्तित्व का सार्वजनिक महत्व एवं आवश्यकता है। वन, बाढ़ और अकाल से हमें बचाते हैं जंगलों
की वजह से हमें शुद्ध हवा प्रदान होती है।
वनों को बचाने के लिए हमें कई तरह से कदम उठाना चाहिए। वनों की कटाई करने से रोकना
और ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए। हम जिस वातावरण में रहते हैं, शांति और शुद्ध
होता है। हम जितना हो सके उतना पैदल चले इससे हमारी सेहत और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।
पानी का सीमित उपयोग करना चाहिए, अनावश्यक पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। सभी
लोगों को वृक्षारोपण और जल संरक्षण करना चाहिए। प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए
तथा जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। वनों में रहने वाले जीव-जंतुओं का शिकार न हो,
इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। हमें वनों को बचाने के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना
चाहिए।
(iii) तकनीक पर हमारी निर्भरता
आज का समय मानव के लिए तकनीकी और विज्ञान का समय है। हमने विज्ञान और तकनीकी
को सहारे अपने भौतिक जीवन को काफी सरल बना लिया है। नयी तकनीक के कारण ही हमने
कु छ ऐसे उपकरणों का निर्माण किया है जो हमें दुनिया भर से एक साथ जोड़े रखता है।
टेक्नोलॉजी या तकनीकी के वल एक शब्द नहीं एक विचार की अवधारणा है जो की हमारे
जरूरतों के रूप में हमारे जीवन को आसान बनाने में लगा है। हम हर दिन एक नई तकनीकी से
परिचित होते है, जो हमारे जीवन के तरीकों को और आसान बनाने का काम करती हैं। आज हर
कोई तकनीक और विज्ञान से घिरा हुआ है। इन तकनीकों के चलते हर कोई अपनी जीवन शैली
को आसान बना रहा है। विज्ञान के उन्नत होने के साथ ही नई तकनीकें भी सामने आती रही हैं।
इसके साथ ही नए-जए मुद्दों पर भी बहस प्रारम्भ हुई है। ज्ञान और प्रयोग-कौशल के संयोग से ही
तकनीक जन्म लेती है। रोबोट तकनीक से उद्योगों और कठिन कार्यों के संपादन में सहायता
मिली। अंतरिक्ष अभियानों ने ब्रह्माण्ड के संबंध में हमारा ज्ञानवर्धन किया। नई तकनीकों को
अपनाए जाने के अनेक लाभ गिनाए जाते हैं जैसे रोबोटिक्स की तकनीक अपनाकर अनेक
संकटपूर्ण प्रयोग, बिना हानि के संपन्न किए जा सकते हैं। उद्योगों में रोबोट के प्रयोग से उत्पादन
बढ़ाया जा सकता है। जीन एडिटिंग (जीन के स्तर पर बदलाव) से मनचाहे गुणों वाले ‘डिजायनर
बेबी’ उत्पन्न किए जा सकते है। नई तकनीक से ही अमेरिका में जीन संवर्द्धित सुनहले चावल पैदा
किए गए। जीन एडिटिंग द्वारा कई असाध्य रोगों का उपचार हो सकता है। नैतिक आचरण को
मान्यता देते हुए एक सभ्य और समानता युक्त समाज को सुरक्षित बनाए रखना संवैधानिक दृष्टि से
भी परम आवश्यक है। नई तकनीक का प्रयोग मानव जीवन के उत्थान के लिए हो। लेकिन अन्य
प्राणियों की विविधता और सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान रखा जाये। नई तकनीक का बहिष्कार भी
बुद्धिमानी नहीं है। उसके हर पक्ष पर बारीकी से विचार करते हुए अपनाना ही उचित है।
13. सेवा में,
श्रीमान शाखा प्रबंधक महोदय,
स्टैट बैंक ऑफ इंडिया
विषय: बैंक खाते में पता परिवर्तन हेतु आवेदन
महाशय,
सविनय निवेदन है कि मैं अनामिका/अनामय, आपके बैंक का खाताधारक हूँ। मेरा खाता संख्या
[110XXXXXXXX] है। पिछले महीने मैंने अपना घर बदला है और अब मेरा नया पता [नया पता]
है। अतः कृ पया मेरे बैंक खाते में पुराने पते के स्थान पर नया पता अपडेट करने की कृ पा करें ।
मेरे खाते से संबंधित सभी दस्तावेज़ों को नए पते पर भेजा जाए, ताकि मुझे किसी प्रकार की असुविधा
न हो। मैंने अपने पहचान पत्र और नए पते का प्रमाण पत्र भी संलग्न किया है।
आपकी सहायता के लिए मैं आभारी रहूँगा/रहूँगी।
धन्यवाद।
भवदीय,
अनामय/अनामिका
खाता संख्या- XX
मोबाइल नंबर- XX
अथवा
रीठोला, नई दिल्ली
२४ मार्च २०१९
आदरणीया माताजी,
चरण कमल स्पर्श
कल २३ मार्च की शाम को मैं बाज़ार गया था वहाँ एक दुकान के काउंटर पर किसी का सुंदर पेन
देखकर मेरा मन ललचा गया और आपको पता है कि पेन इकठ्ठा करने का मुझे कितना शौक है
इसीलिए मैंने बिना कु छ सोचे समझे उसे उठा लिया यद्यपि मैं सिर्फ उसे अपने हाथों में देखना चाहता
था,वहाँ बहुत भीड़ थी और पेन न पाकर दुकानदार ने शोर मचा दिया और लोग मुझे देख रहे थे
क्योंकि मैं उस पेन को देखने में व्यस्त था। मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई और इससे पूरे परिवार का नाम
बदनाम हुआ। मुझे खेद है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
अतः आपसे क्षमा याचना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति नहीं
होगी।
आपका आज्ञाकारी बेटा
दिनेश
14. प्रति,
संपादक
नवभारत टाइम्स
बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग,
नई दिल्ली ११०००१,
विषय- ‘पत्रकार’ पद हेतु आवेदन-पत्र।
मान्यवर,
दिनांक 06 मार्च, 2020 को इस प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में छपे विज्ञापन संख्या 007/2020 से ज्ञात हुआ
कि आपके प्रकाशन समूह को कु छ पत्रकारों की आवश्यकता है। इस पद के लिए मैं भी अपना
आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है-
नाम - सतपाल राणा
पिता का नाम - श्री सलेकचन्द राणा
जन्मतिथि - 20 जून , 1995
पता - ए 4/120, महावीर इक्लेव, उत्तमनगर, दिल्ली।
शैक्षणिक योग्यताएँ -
दसवीं कक्षा सी०बी०एस०ई० दिल्ली 2007 85 %
बारहवीं कक्षा सी०बी०एस०ई० दिल्ली 2009 76 %
बी.ए. दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली 2012 68 %
पत्रकारिता डिप्लोमा जे.एन.यू. दिल्ली 2014 प्रथम श्रेणी
कार्यानुभव- सांध्य टाइम्स (दिल्ली से प्रकाशित) में 25 नवंबर, 2014 से अब तक।
घोषणा- मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मुझे सेवा का अवसर मिला तो पूरी निष्ठा एवं
ईमानदारी से कार्य करूँ गा और अपने कार्य-व्यवहार से आपको संतुष्ट रखने का पूर्ण प्रयास करूँ गा।
धन्यवाद
प्रार्थी
सतपाल राणा
हस्ताक्षर ......
दिनांक 07 जुलाई , 2020
संलग्न- शैक्षणिक योग्यताओं एवं अनुभव प्रमाण-पत्र की छायांकित प्रति।
अथवा
From:
[email protected]To:
[email protected]विषय: पार्क में अवैध जमावड़ा की समस्या
प्रिय नगर-निगम अधिकारी,
सादर नमस्ते,
मैं, परमजीत कौर/जितेंदर सिंह, आपके ध्यान में यह समस्या लाना चाहता/चाहती हूँ कि हमारे
मोहल्ले के पार्क में अनपेक्षित व्यक्तियों का जमावड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसके कारण बच्चों को
खेलने का स्थान नहीं मिल पा रहा है। कृ पया इस समस्या का समाधान शीघ्र करें और पार्क में
अनुशासन बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाएं ताकि बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त स्थान
मिल सके ।
धन्यवाद।
सादर,
जितेंदर सिंह
सम्राट मोबाइल
सुन्दर-सस्ता मन को बहाने वाला
आया नया मोबाइल आया
प्रमुख खूबियाँ
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अथवा
संदेश
10 अक्टू बर 2020
दोपहर 12:00 बजे
प्रिय खाता धारक,
आपके खाता संख्या xxxxxxxx115 से ₹ 10,000 निष्काषित किए गए हैं। कु ल जमा राशि ₹
100,059.45 उपलब्ध है।
पंजाब नैशनल बैंक