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SAMPLE QUESTION PAPER - 4

Hindi A (002)
Class X (2024-25)
निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देश:
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए :
- इस प्रश्नपत्र में कु ल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- इस प्रश्नपत्र में कु ल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ।
- खंड-क में कु ल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 10 है।
- खंड-ख में कु ल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए 16 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
- खंड-ग में कु ल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है।
- खंड-घ में कु ल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए ।
खंड क - अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [7]
प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व शय्या त्यागकर खुली हवा में भ्रमण करने से शरीर का अंग-अंग
खुलता है। इस समय उपवन, वन, खेत या नदी तट की सैर मन को अपार आनंद प्रदान
कराती है। शीतल ताज़ी हवा के शरीर में प्रवेश करने वाली ऑक्सीजन साँसों को ताज़गी देती
है। प्रातः काल सूर्य की सुनहरी किरणें मानो स्वर्गीय संदेश लेकर धरती पर आती हैं। उनसे
समस्त सृष्टि में नई चेतना का संचार होता है। इस समय वन-उपवन में पुष्प विकसित होते हैं,
तड़ागों में कमल मुसकाते हैं, पेड़ों पर पक्षी चहचहाते हैं। धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमय पवन
के झोंके हृदय में हिलोर उठाते हैं। ऐसी मोहक प्रकृ ति से दू र सोए रहने वाले अभागे हैं।
उनका भाग्य भी उन्हीं की तरह सोया रहता है, ऐसे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकू ल प्रभाव
पड़ता है।
1. 'अभागा' किसे कहा गया है? (1)
(क) सुबह सैर करने वालों को
(ख) मोहक प्रकृ ति से दू र सोए रहने वालों को
(ग) ठीक से सो न पाने वालों को
(घ) बीमार लोगों को
2. 'शय्या' शब्द का क्या अर्थ है? (1)
(क) चारपाई
(ख) रज़ाई
(ग) कं बल
(घ) ऐनक
3. सूर्योदय का संधि विच्छे द कीजिए। (1)
(क) सूर + उदय
(ख) सूर्यो + दय
(ग) सूर्य + दय
(घ) सूर्य + उदय
4. प्रातः काल के समय किन स्थानों की सैर मन को अपार आनंद प्रदान कराती है? (2)
5. मोहक प्रकृ ति से आप क्या अभिप्राय निकालते हैं? (2)

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]


पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।
पुरुष क्या, पुरुषार्थ हुआ न जो,
हृदय की सब दुर्बलता तजो।
प्रबल जो तुम में पुरुषार्थ हो,
सुलभ कौन तुम्हें न पदार्थ हो?
प्रगति के पथ में विचरों उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न पुरुषार्थ बिना कु छ स्वार्थ है,
न पुरुषार्थ बिना परमार्थ है।
समझ लो यह बात यथार्थ है।
कि पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ है।
भुवन में सुख-शांति भरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न पुरुषार्थ बिना स्वर्ग है,
न पुरुषार्थ बिना अपसर्ग है।
न पुरुषार्थ बिना क्रियत कहीं,
न पुरुषार्थ बिना प्रियता कहीं।
सफलता वर-तुल्य वरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
न जिसमें कु छ पौरुष हो यहाँ-
सफलता वह पा सकता कहाँ?
अपुरुषार्थ भयंकर पाप है,
न उसमें यश है, न प्रताप है।
न कृ मि-कीट समान मरो, उठो।
पुरुष हो, पुरुषार्थ करो, उठो।।
i. काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)
(क) अपुरुषार्थ
(ख) परमार्थ
(ग) सफलता
(घ) पुरुषार्थ का महत्त्व
ii. मनुष्य पुरुषार्थ से क्या-क्या कर सकता है? (1)
(क) पुरुषार्थ से मनुष्य अपना व समाज का भला कर सकता है।
(ख) वह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है
(ग) वह विश्व में सुख-शांति की स्थापना कर सकता है।
(घ) उपरोक्त सभी
iii. काव्यांश के प्रथम भाग के माध्यम से कवि ने मनुष्य को क्या प्रेरणा दी है? (1)
(क) वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम
बढ़ाए।
(ख) वह सफलता से जीवन का आनंद प्राप्त करे ।
(ग) वह यश और प्रताप हासिल करे और दू सरों पर राज करे ।
(घ) वह युद्ध करे ।
iv. 'सफलता वर-तुल्य वरो, उठो'-पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए। (2)
v. 'अपुरुषार्थ भयंकर पाप है'-कै से? (2)

खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण


3. निर्देशानुसार किन्हीं चार के उत्तर लिखिए- [4]
i. पत्थर की मूर्ति पर चश्मा असली था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
ii. मूर्तिकार ने सुना और जवाब दिया। (सरल वाक्य में बदलिए)
iii. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परं परा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
iv. एक चश्मेवाला है जिसका नाम कै प्टन है। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
v. वह व्यस्तता के कारण नहीं आ पाया। (मिश्र वाक्य)

4. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए - [4]
(1x4=4)
i. दुकानदार द्वारा उचित मूल्य लिया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
ii. महात्मा गांधी ने राष्ट्र को शांति और अहिंसा का संदेश दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
iii. मच्छरों के कारण हम रातभर सो न सके । (भाववाच्य में बदलिए)
iv. गाइड द्वारा हमें सब कु छ समझा दिया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
v. कु छ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सँभाल लिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रे खांकित पदों का पद-परिचय लिखिए- (1x4=4) [4]
i. मैं इस ओर से उदासीन हूँ।
ii. मैं अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र में बहुत अधिक अंतर नहीं समझता।
iii. मेरे देखने के बाद चोर और तेज़ भागने लगा।
iv. भगत ने अपनी पतोहू को उसके भाई के साथ विदा किया।
v. आह! मैं तो लुट गया।

6. निम्नलिखित काव्यांशों के अलंकार भेद पहचान कर लिखिए- (किन्हीं चार) [4]


i. देख लो साके त नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
ii. चंचला स्नान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे।
उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।।
iii. शशि-मुख पर घूंघट डाले।
iv. दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या सुन्दरी, परी सी।।
v. पद पातालशीश अज धामा,
अपर लोक अंग-अंग विश्राम।

खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
कार्तिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुईं, जो फागुन तक चला
करतीं। इन दिनों वह सबेरे ही उठते। न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते, गाँव
से दो मील दू र! वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँ चे भिंडे पर
अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। खेत, बगीचा, घर-सब पर कु हासा
छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत मालूम पड़ता था। उस रहस्यमय
वातावरण में एक कु श की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़, बालगोबिन भगत अपनी
खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था, उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर
लगातार चल रही थीं। मैं जाड़े से कँ पकँ पा रहा था, किं तु तारों की छाँव में भी उनके मस्तक
के श्रमबिंदु, जब-तब चमक ही पड़ते।

(i) प्रभातियाँ किसे कहते हैं?


i. तड़के नहाना
ii. भोर का गीत
iii. सुबह टहलना
iv. बातचीत करना

क) कथन i सही है। ख) कथन ii सही है।


ग) कथन i, ii, iii व iv सही है। घ) कथन ii व iii सही है।

(ii) बालगोबिन भगत की कार्तिक महीने में शुरू होने वाली गतिविधियों में शामिल है-

क) खंजड़ी बजाना ख) सभी विकल्प सही हैं

ग) जल्दी उठना घ) नदी स्नान

(iii) वातावरण को रहस्यमयी क्यों कहा गया है?

क) ठं ड के कारण ख) कु हासे के कारण

ग) सुहाने मौसम के कारण घ) निर्जन स्थान होने के कारण

(iv) लेखक बालगोबिन भगत को देखकर आश्चर्य चकित क्यों हो जाता है?

क) ठं ड और कु हासे को देखकर ख) उनके पागलपन को देखकर

ग) दिनचर्या और कारनामे को घ) उनका गाना सुनकर


देखकर

(v) कथन (A): तारों की छाँव में भी उनके मस्तक के श्रमबिंदु, जब-तब चमक ही पड़ते।
कारण (R): कबीर के गानों को पूरी तन्मयता, और नाच-नाच के गाने के ठं ड में भी श्रमबिंदु
झलकते हैं।

क) कथन (A) गलत है, किन्तु ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों
कारण (R) सही है। ही गलत है।

ग) कथन (A) सही है और कारण घ) कथन (A) सही है और कारण


(R) कथन (A) की सही व्याख्या (R) कथन (A) की सही व्याख्या
करता है। नहीं है।

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) वाक्य पात्र की कौन-सी विशेषता की ओर संके त करता है- कै प्टन बार-बार मूर्ति पर [2]
चश्मा लगा देता था।

(ii) मन्नू भंडारी के स्वभाव की दो विशेषताएँ पाठ के आधार पर लिखिए। [2]

(iii) लखनवी अंदाज़ के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए। [2]

(iv) कौसल्यायन जी ने संस्कृ ति किसे कहा है? [2]

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये: [5]
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।
किं तु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।

(i) कवि के अनुसार आज प्रत्येक व्यक्ति क्या करने में लगा हुआ है?

क) स्वयं अपना समय व्यतीत करने ख) दू सरे की दुर्बलताओं का मज़ाक


में बनाने में

ग) अपने घर जाने में घ) दू सरों के साथ खुश होने में

(ii) कवि की जीवनकथा किससे भरी हुई है?

क) सुख व निराशा से ख) प्रसन्नता व हताशा से

ग) प्रसन्नता व निराशा से घ) निराशा व हताशा से

(iii) यह गागर रीती में गागर शब्द का सांके तिक अर्थ है-

क) जीवन रूपी घड़ा ख) घड़ा रूपी जीवन

ग) निराशा रूपी घड़ा घ) ख़ुशी रूपी घड़ा

(iv) कवि के जीवन के आनंद रूपी रस को किसने खाली किया था?

क) किसी ने नहीं ख) इनमें से कोई नहीं

ग) कवि के मित्रों ने घ) स्वयं कवि ने

(v) पद्यांश की अंतिम पंक्तियों में कवि की कौन-सी चारित्रिक विशेषता प्रकट होती है?

क) प्रसन्न रहना ख) जागरूकता

ग) दुखी रहना घ) मित्रों के प्रति विनम्रता

10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए: [6]

(i) उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो -अट नहीं रही है कविता के संदर्भ में आशय [2]
स्पष्ट कीजिए।

(ii) कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है- मिट्टी के गुण-धर्म [2]
को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

(iii) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है? [2]
(iv) ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी कह कर गोपियों ने उद्धव के स्वभाव पर क्या-क्या व्यंग्य [2]
किए हैं?

खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए: [8]

(i) बच्चों के सुख-दुख, झगड़े-खेल क्षणिक होते हैं। - इस कथन का आशय स्पष्ट करते [4]
हुए माता का अँचल पाठ के किन्हीं दो उदाहरणों के संदू र्भ से इस कथन की सत्यता
सिद्ध कीजिए।

(ii) कु छ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी [4]


महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?

(iii) साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के आधार पर बताइए कि पहाड़ के सौंदर्य पर मंत्रमुग [4]
लेखिका पहाड़ों पर किस दृश्य को देख क्षुब्ध और परे शान हो उठती हैं? क्या आपने
भ्रमण या पर्यटन के दौरान ऐसे दृश्य देखे हैं? ऐसे दृश्यों और अपने मन पर पड़े उनके
प्रभाव को अपने शब्दों में लिखिए।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये: [6]

(i) कोरोना काल के सहयात्री विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर अनुच्छे द [6]
लिखिए।
कोरोना महामारी का आरं भ और प्रसार
गत दो वर्षों में जीवन का स्वरूप
जीवन-यात्रा में साथ देने वाले व्यक्ति और वस्तुएँ

(ii) ऑनलाइन गेमिंग का बढ़ता जाल विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर [6]
अनुच्छे द लिखिए।
ऑनलाइन गेमिंग क्या है?
बच्चों और किशोरों पर बढ़ती पकड़
वास्तविक खेलों एवं ऑनलाइन गेमिंग में अंतर
ऑनलाइन गेमिंग के दीर्घकालिक नुकसान

(iii) शिक्षक-शिक्षार्थी संबंध विषय पर दिए गए संके त बिंदुओं के आधार पर 80-100 शब्दों [6]
में अनुच्छे द लिखिए।
संबंधों की परं परा
वर्तमान समय में आया अंतर
हमारा कर्तव्य
13. आपसे अपने बचत खाते की चैक बुक खो गई है। इस सम्बन्ध में तत्काल उचित कार्यवाही [5]
करने के लिए निवेदन करते हुए बैंक प्रबंधक को पत्र लिखिए।

अथवा
आप छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। कमरे में साथ रहने वाले मित्र की विशेषताएँ बताते हुए
अपनी माताजी को पत्र लिखकर बताइए कि उसकी संगति का आप पर क्या असर हुआ है?

14. शिक्षा निदेशालय, दिल्ली को विभिन्न विषयों के प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की आवश्यकता [5]
है। इस पद के लिए शिक्षा निदेशक को स्ववृत सहित एक आवेदन-पत्र लिखिए।

अथवा
आपके घर मेहमान आने वाले हैं तो आपने तुरत-फु रत नामक वेबसाइट से कु छ खाने-पीने की
वस्तुएँ मँगवाई हैं। बीस मिनट में सामान पहुँचाने वाली इस साइट से 50 मिनट में भी सामान नहीं
आया है। इसकी शिकायत करते हुए उपभोक्ता संपर्क विभाग के लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल
लिखिए। आपका नाम साधना/सोमेश है।

15. विद्यालय में आयोजित होने वाले पुस्तक मेले का प्रचार-प्रसार करने हेतु लगभग 50 शब्दों में [4]
एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

अथवा
प्रधानमंत्री द्वारा देशवासियों को कोविड-19 माहामारी में नवरात्रि के पर्व की शुभकामना देते हुए
30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।
Solution
SAMPLE QUESTION PAPER - 4
Hindi A (002)
Class X (2024-25)

खंड क - अपठित बोध


1. 1. (ख) मोहक प्रकृ ति से दू र सोए रहने वालों को अभागा कहा गया है।
2. (क) चारपाई।
3. (घ) सूर्य + उदय
4. प्रातः काल के समय वन, खेत, उपवन या नदी तट की सैर मन को अपार आनंद प्रदान करती है।
5. जब पुष्प विकसित होते हैं, कमल मुसकाते हैं, पेड़ों पर पक्षी चहचहाते हैं और पवन शीतल और
सुगंधमय होती है, तब हमें मोहक प्रकृ ति का अनुभव होता है।
2. i. (घ) शीर्षक-पुरुषार्थ का महत्त्व। अथवा पुरुष हो पुरुषार्थ करो।
ii. (घ) पुरुषार्थ से मनुष्य अपना व समाज का भला कर सकता है। वह विश्व में सुख-शांति की
स्थापना कर सकता है।
iii. (क) इसके माध्यम से कवि ने मनुष्य को प्रेरणा दी है कि वह अपनी समस्त शक्तियाँ इकट्ठी करके
परिश्रम करे तथा उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाए।
iv. इसका अर्थ है कि मनुष्य निरं तर कर्म करे तथा वरदान के समान सफलता को धारण करे । दू सरे
शब्दों में, जीवन में सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक है।
v. अपुरुषार्थ का अर्थ यह है-कर्म न करना। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसे यश नहीं मिलता।
उसे वीरत्व नहीं प्राप्त होता। इसी कारण अपुरुषार्थ को भयंकर पाप कहा गया है।
खंड ख - व्यावहारिक व्याकरण
3. i. वह मूर्ति पत्थर की थी और उस पर चश्मा असली था।
ii. मूर्तिकार ने सुनकर जवाब दिया।
iii. काशी में जो संगीत आयोजन होता है उसकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परं परा है।
iv. एक चश्मेवाला है जिसका नाम कै प्टन है। (संज्ञा आश्रित उपवाक्य)
v. वह इतना व्यस्त है कि वह आ नहीं पाया।
अथवा
जब वह व्यस्त है तभी वह आ नहीं पाया।
4. i. दुकानदार ने उचित मूल्य लिया।
ii. महात्मा गांधी द्वारा राष्ट्र को शांति और अहिंसा का संदेश दिया गया।
iii. मच्छरों के कारण हमसे रात भर सोया न जा सका।
iv. गाइड ने हमें सब कु छ समझा दिया।
v. कु छ छोटे भूरे पक्षियों ने मंच को संभाल लिया। (कर्तृवाच्य)
5. i. मैं - सर्वनाम (पुरुषवाचक), पुल्लिंग/स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘उदासीन होना’ क्रिया का
कर्ता न
ii. हीं - क्रियाविशेषण (रीतिवाचक), ‘समझना’ क्रिया की विशेषता
iii. चोर - संज्ञा (जातिवाचक), एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘भागने लगा’ क्रिया का कर्ता
iv. भाई - संज्ञा (जातिवाचक), एकवचन, पुल्लिंग, / ‘के साथ’ - संबंधबोधक, ‘भाई’ के साथ संबंध
v. आह- अव्यय, विस्मयादिबोधक, दु:खबोधक
6. i. अतिश्योकित अलंकार
ii. उत्प्रेक्षा अलंकार
iii. रूपक अलंकार
iv. मानवीकरण अलंकार
v. अतिश्योकित अलंकार
खंड ग - गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कार्तिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुईं, जो फागुन तक चला करतीं। इन
दिनों वह सबेरे ही उठते। न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते, गाँव से दो मील दू र!
वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँ चे भिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा
बैठते और अपने गाने टेरने लगते। खेत, बगीचा, घर-सब पर कु हासा छा रहा था। सारा वातावरण
अजीब रहस्य से आवृत मालूम पड़ता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कु श की चटाई पर पूरब
मुँह, काली कमली ओढ़, बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता
लगा था, उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। मैं जाड़े से कँ पकँ पा रहा था, किं तु तारों
की छाँव में भी उनके मस्तक के श्रमबिंदु, जब-तब चमक ही पड़ते।
(i) (क) कथन i सही है।
व्याख्या:
कथन i सही है।
(ii) (ख) सभी विकल्प सही हैं
व्याख्या:
सभी विकल्प सही हैं
(iii)(ख) कु हासे के कारण
व्याख्या:
कु हासे के कारण
(iv)(ग) दिनचर्या और कारनामे को देखकर
व्याख्या:
दिनचर्या और कारनामे को देखकर
(v) (ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
व्याख्या:
कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) कै प्टन बार-बार नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने का कारण उसका देशभक्ति की भावना के होने
से है। वह वास्तव में हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों खासकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति
अपने मन में सम्मान की भावना रखता था। इन्हीं भावनाओं के तहत कै प्टन नेताजी की मूर्ति पर
बार-बार चश्मा लगा देता था।
(ii) मन्नू भंडारी के स्वभाव की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
i. वे देशप्रेमी थी। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई थी।
ii. उनका व्यक्तित्व बेहद निश्छल और स्नेह से परिपूर्ण था।
(iii)'लखनवी अंदाज' के पात्र नवाब साहब ने सफर में समय बिताने के लिए खीरे खरीदे तथा खीरे
काफी देर तक तौलिए पर यों ही रखे रहने दिए। फिर उनको सावधानी से छीलकर फाँकों को
सजाया और उन फाँकों पर जीरा मिला नमक-मिर्च बुरक दिया और फिर सूँघ-सूँघकर उनको ट्रेन
की खिड़की से बाहर फें क दिया। हमारा विचार है कि उनका यह व्यवहार उनकी नज़ाकता और
लखनवी संस्कृ ति के साथ ही उनकी जीवन-शैली की कृ त्रिमता और दिखावे को भी प्रदर्शित करता
है। यह उनकी खानदानी रईसी दिखाने का भी तरीका था। नवाब साहब सामंती वर्ग के प्रतीक हैं
जो आज भी अपनी झूठी शान बनाए रखना चाहता है।
(iv)कौसल्यायन जी ने संस्कृ ति को मानवता के लिए कल्याणकारी प्रवृत्तियों और त्याग की भावना से
जोड़ा है। उनका मानना है कि संस्कृ ति वह योग्यता है जो न के वल नए ज्ञान की खोज और
जिज्ञासा को प्रेरित करती है, बल्कि यह समाज के हित में सकारात्मक योगदान देने की प्रवृत्ति को
भी बढ़ावा देती है। इसलिए, संस्कृ ति में कल्याणकारी भावनाएँ और त्याग की प्रवृत्ति प्रमुख होती
हैं।

खंड ग - काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)


9. अनुच्छे द को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।
किं तु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
(i) (ख) दू सरे की दुर्बलताओं का मज़ाक बनाने में
व्याख्या:
दू सरे की दुर्बलताओं का मज़ाक बनाने में
(ii) (घ) निराशा व हताशा से
व्याख्या:
निराशा व हताशा से
(iii)(क) जीवन रूपी घड़ा
व्याख्या:
जीवन रूपी घड़ा
(iv)(ग) कवि के मित्रों ने
व्याख्या:
कवि के मित्रों ने
(v) (घ) मित्रों के प्रति विनम्रता
व्याख्या:
मित्रों के प्रति विनम्रता
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो से कवि का आशय है कि फागुन के महीने में प्रकृ ति
की सुंदरता में ऐसा निखार आ जाता है कि मन प्रसन्नता से भर उठता है। वह उल्लास में भरकर
कल्पना रूपी आकाश में उड़ने लग जाता है। इस प्रकार फागुन प्राकृ तिक सौंदर्य का सृजन कर
आनंद लोक में विचरण करने का माध्यम उपलब्ध करा देता है।
(ii) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम अपनी भूमिका इस तरह प्रस्तुत कर सकते हैं कि-
i. ऐसे कारक जो मिट्टी पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं उनके बारे में पता लगाएँ और उन पर
प्रतिबन्ध लगाएँ ।
ii. अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें क्योंकि वृक्ष मृदा को उपजाऊ बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण
हैं।
iii. प्रदू षण के कारणों का पता लगाएँ एवं उसे रोकने में अपना सहयोग दें।
iv. प्लास्टिक की थैलियों का कम से कम इस्तेमाल करें तथा पानी का सही उपयोग करें ।
(iii)संगतकार जानबूझ कर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से धीमा रखता है क्योंकि वह
चाहता है कि श्रोतागणों के बीच मुख्य गायक के संगीत उसके गायन का सिक्का जमा रहे उसका
स्वयं पृष्ठ्भूमि में रहना और मुख्य गायक को मुख्य कलाकार बने रहने देना उसकी मनुष्यता का
परिचायक है विफलता का नहीं।
(iv)प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से गोपियों ने उद्धव पर व्यंग्य करते हुए कहा कि कृ ष्ण के निकट रहकर
भी कृ ष्ण-प्रेम से अछू ता रहना, इसका तात्पर्य है कि तुमसे ज्यादा मूर्ख कोई नहीं होगा। और इसके
उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कमल के पत्ते पर पानी की बूँद नहीं ठहर पाती है,
उसी प्रकार कृ ष्ण के पास रहकर भी तुम उनके प्रेम में नहीं पड़े, यह तुम्हारा दुर्भाग्य है।

खंड ग - कृ तिका (पूरक पाठ्यपुस्तक)


11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) बच्चों के सुख-दुख, झगड़े-खेल क्षणिक होते हैं। 'माता का अँचल' के पाठ के आधार पर कहें तो ये
बात बिल्कु ल सही है। जैसे कहानी में, जब भोलानाथ को साँप दिखता है, तो वह बहुत डर जाता
है। वह रोता है और अपनी माँ की गोद में छिप जाता है। लेकिन, कु छ ही देर बाद, वह अपने डर
को भूल जाता है और खेलने लगता है। एक बार जब भोलानाथ को नया खिलौना मिलता है, तो वह
बहुत खुश होता है। वह उस खिलौने से खेलता है और उसे अपने दोस्तों को दिखाता है। लेकिन,
कु छ ही दिनों में, उसका खिलौना टू ट जाता है और वह फिर से दुखी हो जाता है। उक्त उदाहरणों
से पता चलता है कि बच्चों के सुख-दुख, झगड़े-खेल क्षणिक होते हैं। बेशक यह कहानी बच्चों के
सरल और निश्छल स्वभाव को दर्शाती है। इसलिए हमें बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए।
(ii) कोई आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव, उसे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं परन्तु इनके साथ-
साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। जो लेखक को लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। ये इस
प्रकार हैं:-
i. आर्थिक लाभ की आकांक्षा
ii. सामाजिक परिस्थितियाँ
iii. संपादकों का आग्रह
iv. विशिष्ट के पक्ष में प्रस्तुत करने का दबाव
(iii)लेखिका जब प्रकृ ति के सौंदर्य में डू बी हुई थी उस समय उसका ध्यान पत्थर तोड़ती हुईं पहाड़ी
औरतों पर गया जिनके शरीर तो गुँथे हुए आटे के समान कोमल थे किं तु उनके हाथों में कु दाल
और हथौड़े थे। उनमें से कु छ की पीठ पर बँधी एक बड़ी टोकरी में उनके बच्चे भी थे। इतने
स्वर्गीय सौंदर्य के बीच मातृत्व और श्रम साधना के साथ-साथ भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की
जंग पहाड़ों में रास्ता बनाने वाली ये श्रमिक औरतें झेल रही हैं।
प्राकृ तिक सौंदर्य के इस दृश्य ने लेखिका की चेतना को झकझोर डाला।
यदि हमें भी पर्यटन या भ्रमण के दौरान ऐसे परे शान करने वाले पहाड़ी दृश्य दिखते हैं, तो निश्चय
ही हमारा मन व्याकु ल हो उठे गा कि ये मेहनती स्त्रियाँ कितना कम पैसा लेकर समाज को बहुत
अधिक वापस लौटा देती हैं। देश के श्रमिक एवं किसान देश की प्रगति के लिए प्रत्येक क्षित्र के
कष्ट साध्य कार्यों में भी सहयोग देती हैं। धन्य हैं हमारे ये श्रमिक एवं किसान।

खंड घ - रचनात्मक लेखन


12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छे द लिखिये:
(i) कोरोना काल के सहयात्री
कोरोना वायरस या कोविड-19 संक्रमण ऐसी बीमारी है, जिसे वैश्विक संगठन द्वारा महामारी
घोषित किया गया है। नवम्बर, 2019 में यह चीन की लैब से निकला था। धीरे -धीरे यह वायरस
इंसान से इंसान में फै लने लगा। देखते ही देखते इस वायरस ने पूरी दुनिया पर कब्ज़ा कर लिया।
अंटार्क टिका जैसे क्षेत्र में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। जनवरी 2020 में यह वायरस भारत में पाया
गया। 21 मार्च 2020 को पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया था। एक साल बाद यानि 2021 में
फिर से कोराना वायरस लगातार बढ़ रहा है।
कोरोना वायरस यह एक ऐसा संक्रमण है जो एक व्यक्ति से दू सरे व्यक्ति में तेजी से फै लता है।
कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छीकता है या साँस छोड़ता है तो उसके नाक या मुँह से
निकली छोटी बूंदों से यह रोग दू सरे में फै ल सकता है। इसलिए सरकार द्वारा जारी निर्देश में कहा
गया है कि बातचीत के दौरान कम से कम 3 फीट की दू री बनाकर रखें। मास्क भी लगाकर रखें
और बार-बार हाथ धोएँ ।
कोविड-19 से बचाव के लिए भारत, रूस समेत अन्य देशों ने वैक्सीन जारी की है। भारत द्वारा 2
वैक्सीन का निर्माण किया गया है। कोविशील्ड वैक्सीन, कोवैक्सीन, इस वैक्सीन का उत्पादन
भारत में सीरम इन्सटीट्यूट द्वारा किया गया है। कोवैक्सीन, इस वैक्सीन का उत्पादन भारत
बायोटिक द्वारा किया जा रहा है।
17 मार्च 2021 के ताजा अपडेट के अनुसार पूरी दुनिया में कु ल संक्रमित लोगों का आँकड़ा
1,21,370,336 पहुँच गया है। भारत में कोरोना, वायरस का कु ल आँकड़ा 1,14,38,734 तक पहुँच
गया है। 1,59,079 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। वर्तमान में इस बीमारी से बचाव के लिए
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए और मास्क लगाया जाए।
(ii) ऑनलाइन गेमिंग का बढ़ता जाल
आजकल बच्चे अपना अधिकांश समय किसी न किसी डिजिटल माध्यम पर ही व्यतीत करते हैं।
दरअसल पिछले करीब डेढ़ वर्षो तक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई डिजिटल माध्यम से होने के कारण
वे उनके जीवन का हिस्सा बन गए। ऐसे में उनका रुझान आनलाइन गेमिंग की ओर भी बढ़ता
गया। हमारे मासूम इसके शिकं जे में आते गए। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि आनलाइन पढ़ाई के
बाद ही बच्चे इसके शिकं जे में आए, लेकिन इसके बाद इस तरह के बच्चों की संख्या बेतहाशा बढ़
गई। युवाओं के साथ अब बच्चे भी तेजी ऑनलाइन गेम्स के एडिक्ट हो रहे है। बच्चों ने ऑनलाइन
गेम्स जैसे पब्बजी,फ्रीफायर ने बच्चो के मानसिक संतुलन को खराब कर दिया है बच्चे अपने
अभिभावकों से ऑनलाइन क्लास का बहाना लगाकर रूम में ऑनलाइन गेम खेलते हैं और वही
बच्चों को अगर गेम्स खेलने के लिए मना किया जाता है। तो उनका गुस्सेल, चिड़चिड़ान
अभिभावकों के लिए दिक्कत साबित हो जाता है और वे भी डरते हैं कहीं मना करने पर बच्चे कु छ
ग़लत कदम ना उठा ले। ऑनलाइन गेम्स के फै शन ने आज बच्चों और युवाओं को भी अपना
शिकार बना लिया है। आठ घंटे मोबाइल में ऑनलाइन गेम्स ने आज सभी की दिनचर्या में बदलाव
कर दिया है। इसका युवा पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटते
दिखाई दे रहें हैं। ऑनलाइन गेम के विपरीत वास्तविक खेल कल्पनाशक्ति को बढ़ाते हैं। ये बच्चों
और युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाते हैं। वास्तव में ऑनलाइन गेमिंग एक
ऐसा जाल है जिसका उपयोग ठीक दिशा में करने पर सकरात्मक परिणाम आते हैं और यदि इसी
का इस्तेमाल बुरी दिशा में करें तो जो परिणाम आगे चलकर भयावक रूप लेता हैं। ऑनलाइन का
मतलब ये नही आज ऑनलाइन गेम्स खेले ,ऑनलाइन चैट करें ऑनलाइन चैट करें , या फिर
ऑनलाइन का मिस यूज़ करें । कोरोना संकट ने हमे ऑनलाइन काम के साथ घर बैठे बहुत कु छ
सीखा दिया आज यही पल जिसमें हम अपने घर 24 घंटे व्यतीत करते हैं और इस समय से
अभिप्राय कोरोना में घर से है। वास्तव में हमे अपने बच्चों को इंटरनेट से जुड़ी उन तमाम
जानकारियों से अवगत और बच्चों को इसका सही उपयोग बताना चाहिए जिससे हम अपने बच्चों
के साथ उनका भविष्य भी उज्जवल बना सकें ।
(iii)संसार में शिक्षक-शिक्षार्थी का संबंध बहुत ही पवित्र माना गया है। शिक्षार्थी ज्ञान के लिए शिक्षक के
पास जाता है और शिक्षक उसे ज्ञानी बनाता है। शिक्षक-शिक्षार्थी का संबंध आयु पर नहीं, अपितु
ज्ञानवृद्धि पर आधारित होता है। भारत वर्ष में इन संबंधों की प्राचीन और सुदृढ़ परं परा है। परन्तु
आज के युग में शिक्षकों और विद्यार्थियों के आपसी सम्बन्ध बहुत हद तक बदल गए हैं। आज ज्ञान
के प्रसार के साधन बहुत बढ़ गए हैं। इससे शिक्षार्थियों का औसत बौद्धिक स्तर भी बढ़ गया है,
लेकिन आजकल अधिकतर मेधावी शिक्षार्थी शिक्षक बनना पसंद नहीं करते हैं। आज के
भौतिकतावादी समाज में ज्ञान से अधिक धन को महत्व दिया जाने लगा है। अतः आज शिक्षण भी
निस्वार्थ नहीं रह कर, एक व्यवसाय बन गया है। शिक्षक और शिक्षार्थी का संबंध भी एक
उपभोक्ता और सेवा प्रदाता के समान होता जा रहा है। इससे शिक्षक के प्रति अगाध श्रद्धा और
शिक्षक का शिक्षार्थी के प्रति स्नेह और संरक्षक भाव लुप्त होता जा रहा है। शिक्षक और शिक्षार्थी
के दोनों रूपों में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम ज्ञान के महत्व को समझें और अपने दायित्व का
निर्वाह करें ।
13. प्रसेवा में,
प्रबन्धक
पंजाब नेशनल बैंक
विकासपुरी (नई दिल्ली)
विषय-चैक बुक खो जाने के संबंध में
महोदय,
निवेदन है कि प्रार्थी आपकी शाखा का नियमित उपभोक्ता है और मेरी बचत खाता संख्या 6918
आपकी शाखा में ही हैं। जिसमें (लगभग 55,000/-रु.) जमा हैं। मैंने कु छ दिन पहले आपके बैंक से
एक चेकबुक 20 चेकों की ली थी, जिसमें से अभी तक के वल 2 चेक ही निर्गत हुए हैं। अभी 18 चेक
उसमें मौजूद हैं। कल शाम को मेरा बैग विकासपुरी से कै लाशपुरी आते समय गाड़ी से कहीं गिर
गया है जिसमें कु छ कागजातों के साथ चेकबुक भी थी, काफी प्रयास के बाद भी नहीं मिली। अतः
आपसे निवेदन है कि आप उस चेकबुक के किसी भी चेक का भुगतान मेरे खाते से रोकने का कष्ट
करें अन्यथा मैं भरी संकट में पड़ जाऊँ गा | इस पत्र के साथ अन्य आवश्यक कागज जैसे
पासबुक,आधारकार्ड आदि संग्लग्न हैं। यद्यपि इस विषय में मैंने अपने क्षेत्रीय थाने में भी सूचना दर्ज
करा दी है।
अत: सूचनार्थ एवं निवेदन हेतु पत्र आपकी शाखा में प्रस्तुत है।
आशा है आप भुगतान नहीं करें गे।
भवदीय
गोविन्द सिंह पंचायत अधिकारी
विकासपुरी नई दिल्ली
दिनांक 17 जनवरी, 2019
अथवा
गोविन्द छात्रावास,
नोएडा, उत्तर प्रदेश।
27 फरवरी, 2019
पूज्या माता जी,
सादर चरणस्पर्श।
आपका पत्र मिला। पढ़कर सब हाल जाना। घर पर आप सभी सकु शल हैं, यह जानकर खुशी हुई।
आपने अपने पत्र में जानना चाहा था कि छात्रावास के कमरे में साथ रहने वाला मित्र कै सा है, वह मैं
पत्र के माध्यम से बता रहा हूँ।
मैं छात्रावास में हरीश नामक छात्र के साथ रहता हूँ। वही मेरा घनिष्ठ मित्र और सहपाठी भी है। हरीश
हँसमुख, उदार तथा विनम्र स्वभाव वाला लड़का है। वह शाकाहारी, परिश्रमी तथा आस्तिक है। वह
प्रातः काल बिस्तर त्यागकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होता है और उद्यान में भ्रमण के लिए जाता है।
वहाँ व्यायाम और कु छ योग कर स्नान करता है। नाश्ता करके पढ़ने बैठ जाता है। माँ, तुम्हें आश्चर्य
होगा कि घर पर आठ बजे तक सोया रहने वाला मैं उसकी संगति के कारण प्रातः पाँच बजे बिस्तर
त्याग देता हूँ। उसकी दिनचर्या के अनुसार पढ़ने बैठ जाता हूँ। इससे मुझे पढ़ने का पर्याप्त समय
मिल जाता है। दिनभर स्फू र्ति बनी रहती है तथा पढ़ाई में मन लगने लगा है।
पूज्य पिता जी को चरणस्पर्श तथा हर्षिता को स्नेह कहना।
आपका प्रिय पुत्र,
गौतम कश्यप
14. प्रति,
शिक्षा निदेशक
शिक्षा निदेशालय
दिल्ली।
विषय-प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की भर्ती हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
मुझे 05 मई, 2019 को प्रकाशित दैनिक जागरण समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि शिक्षा निदेशालय को
विभिन्न विषयों के प्रशिक्षित स्नातक अध्यापकों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी स्वयं को एक उम्मीदवार
के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
नाम - सचिन बंसल
पिता का नाम - श्री बिन्नी बंसल
जन्मतिथि - 25 दिसंबर,1991
पता - सी/125 सागरपुर दिल्ली।
शैक्षिक योग्यताएँ -
दसवीं कक्षा सी०बी०एस०ई० 2006 70%
बाहरवीं कक्षा सी०बी०एस०ई० 2008 79%
बी.ए. दिल्ली विश्वविद्यालय 2011 72%
एम.ए. इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय 2013 76%
अनुभव- अभिनव पब्लिक स्कू ल में अंग्रेजी शिक्षक पद पर एक साल अंशकालिक।
घोषणा- मैं आपको विशवास दिलाता हूँ कि सेवा का अवसर मिलने पर पूरी निष्ठा एव ईमानदारी से
कार्य करूँ गा।
धन्यवाद
भवदीय
सचिन बंसल
हस्ताक्षर .........
दिनांक 08 मई, 2019
संलग्न- शैक्षणिक एवं अनुभव प्रमाण-पत्रों की छायांकित प्रति।
अथवा
From: sadhna12@[Link]
To: Mcf@[Link]
विषय: समय से सामान न पहुँचाने के संदर्भ में।
महोदय,
मैं साधना आप की 'तुरत-फु रत' वेबसाइट की एक उपयोगकर्ता हूँ। मैंने आज आपकी वेबसाइट के
माध्यम से घर में आने वाले मेहमानों के लिए खाने-पीने की वस्तुएँ मँगवाई थी, लेकिन मुझे खेद है कि
सामान अभी तक पहुँचा नहीं है।
मैंने वेबसाइट से कु छ वस्तुओं का ऑर्डर लगभग 50 मिनट पहले किया था, और इसके बाद तक
सामान पहुँचने की कोई सूचना नहीं मिली है। जब की आपके साइट की सामान पहुँचाने का समय
के वल 20 मिनट हैं। यह गैरहाजिर और असुविधा का कारण बना है, क्योंकि मेरे घर में आने वाले
मेहमानों के लिए पर्याप्त खानेपीने की वस्तुएँ अभी तक तैयार नहीं हो पाई हैं।
मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कि आप तुरं त कारवाई करें । मेरी इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए,
कृ पया जल्द से जल्द समस्या का समाधान करें और आगामी दिनों में इस तरह की समस्या दुबारा से
न होने का भी ख्याल रखें।
धन्यवाद
साधना
पुस्तक मेला
15. गोविन्द पब्लिक स्कू ल आयोजित
खुशखबरी! खुशखबरी! खुशखबरी!
सी.बी.एस.ई., एन.सी.ई.आर.टी. की सभी विषयों की कक्षा एक से दस तक की पुस्तकों व कॉपियों
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मेला सिर्फ एक सप्ताह के लिए है।
समय प्रात: 10.00 बजे से सायं 6.00 बजे तक
मोबाइल नंबर: 998877XXXX
अथवा
संदेश
24 मार्च, 2020
रात्रि 8:00 बजे
प्रिय भारतवासियों
आप सभी को नवरात्रि के पर्व की अग्रिम शुभकामनाएँ देता हूँ। आप सभी यह त्यौहार हर्षोल्लास के
साथ मनाएँ व लॉक डाउन के सभी नियमों का पालन भी करें । घर पर रहें, सुरक्षित रहें।
प्रधानमन्त्री
नरें द्र मोदी

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