पययावरण नोट्स
पययावरण की पररभयषय
सी.पी. पयका के अनुसयर , ‘पययावरण’ कय अथा उन दशयओं के योग से होतय है जो मनुष्य को नननित समय में नननित स्थयन पर
आवृत्त करतीं हैं ’। आददकयल यय प्रयरम्भ में मनुष्य के पययावरण की रचनय के वल भौनतक पक्षों तथय जैनवक समुदययों द्वयरय ही
होती थी परन्तु समय के सयथ-सयथ मनुष्य ने अपने बदलते सयमयनजक स्वरूप को नवस्तृत और नवकनसत दकयय नजससे मनुष्य के
नलए पययावरण कय अथा बदलतय गयय। अतः मनुष्य के पययावरण में अब भौनतक पययावरण के सयथ सयमयनजक पययावरण , आर्थथक
पययावरण, रयजनैनतक पययावरण, सयांस्कृ नतक पययावरण आदद सनम्मनलत हो गये।
पययावरण (सांरक्षण) अनधननयम, 1986 के अनुसयर, पययावरण दकसी जीव के चयरों तरफ नघरे भौनतक एवां जैनवक दशयएँ एवां
उनके सयथ अांतः दियय को सनम्मनलत करतय है।
प्रकृ नत में जीव के वल उपयुक्त वयतयवरण में ही जीनवत रह सकते हैं , वे एक - दूसरे के सयथ पयरस्पररक दियय करते हैं एवां
पययावरण के सांपूणा जरिल कयरकों द्वयरय प्रभयनवत होते हैं । पययावरण सभी जैनवक तथय अजैनवक अवयवों कय सनम्मश्रण है ।
पययावरण के नवनभन्न अवयव एक - दूसरे से जुड़े हुए और परस्पर आनश्रत रहते हैं । पययावरण के कु छ कयरक सांसयधन के रूप में ,
जबदक दूसरे कयरक, ननयांत्रण के रूप में कयया करते हैं।
पययावरण के तत्व
पययावरण कय ननमयाण भौनतक, जैनवक और सयांस्कृ नतक तत्वों के अांतर्क्रियय पद्धनत के द्वयरय हुआ है जो आपस में नवनभन्न तरीकों से सांबांनधत
हैं, व्यनक्तगत के सयथ-सयथ सयमूनहक रूप से भी इन तत्वों को ननम्न रूप में समझययय जय सकतय है-
भौनतक तत्व: भौनतक तत्व जैसे-अांतररक्ष, स्थलयकृ नतययँ, जल रयनशययँ, नमट्टी, चट्टयन, खननज आदद। ये तत्व मयनव अनधवयसों के
नवनभन्न लक्षणों को ननधयाररत करते हैं। ये उपलनधध के सयथ-सयथ सीमय कय भी ननधयारण करते हैं।
o स्थलमांडलीय पययावरण: पययावरण कय वह भयग नजसमें रे त , नमट्टी, चट्टयने आदद हैं और जो पेड़-पौधों कय पोषण करतय
है।
o जल मांडलीय पययावरण: पययावरण कय वह भयग नजसमें जल नस्थत है।
o वययुमांडलीय पययावरण: स्थलमांडल तथय जलमांडल के ऊपर लगभग 300 दकलोमीिर तक फै लय हुआ गैसीय वयतयवरण।
जैनवक तत्व: जैनवक तत्व जैसे दक पयदप, जन्तु, सूक्ष्म जीव और मयनव जो एक जैवमांडल कय ननमयाण करते है।
सयांस्कृ नतक तत्व: सयांस्कृ नतक तत्व जैसे दक आर्थथक , सयमयनजक, रयजनैनतक तत्व जो महत्वपूणा मयनवीय रूप है जो सयांस्कृ नतक
अनधवयस बनयतय है।
पययावरण के सांघिक
पययावरण के सांघिकों को 3 प्रमुख भयगों में वगीकृ त दकयय जयतय है:
1. भौनतक यय अजैनवक सांघिक: इसके अांतगात स्थल, वययु, जल आदद सनम्मनलत होते हैं।
2. जैनवक सांघिक: इसके अांतगात पयदप, मनुष्य सनहत जांतु तथय सूक्ष्म जीव सनम्मनलत होते हैं।
3. ऊजया सांघिक: सौर ऊजया एवां भूतयपीय ऊजया को ऊजया सांघिक के अांतगात सनम्मनलत करते हैं।
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भौनतक यय अजैनवक सांघिक (physica। or abiotic components):
भौनतक सांघिक के अांतगात सयमयन्य रूप से स्थलमांडल , वययुमांडल तथय जलमांडल को सनम्मनलत दकयय जयतय है। इन्हें िमशः
मृदय, वययु तथय जल सांघिक भी कहय जयतय है। ये तीनों भौनतक सांघिक पयररतांत्र के उपतांत्र होते हैं। भौनतक पययावरण वययु ,
प्रकयश, तयप, जल, मृदय, वषाण और गुरुत्वयकषाण जैसे कयरकों से ननर्थमत होतय है।
ये अजैनवक कयरक जीवो की सफलतय कय ननधयारण एवां उनकी वनयवि , जीवन चि , शरीर दियय नवज्ञयन तथय व्यवहयर पर
प्रभयव डयलते है। जीवों के नवकयस तथय प्रजनन पर जैनवक कयरकों कय भी प्रभयव पड़तय है।
वययुमांडल (atmosphere):
o वययुमांडल से आशय पृथ्वी के चयरों ओर नवस्तृत गैसीय आवरण से है। पृथ्वी पर नस्थत अन्य मांडलों की भयांनत वययुमांडल
भी जैव व अजैव कयरकों के नलए महत्वपूणा है , क्योंदक वययुमांडल की सरां चनय व सांघिन जीवों व वनस्पनत की दिययओं
को प्रभयनवत करती है।
o वययुमांडल गैस , जलवयष्प एवां धूल कणों कय नमश्रण पौधों के प्रकयश सांश्लेषण , ग्रीन हॉउस प्रभयव तथय जीव व
वनस्पनतयों को जीनवत रहने के नलए एक आवश्यक स्त्रोत है।
जल (Water) -
o जल पृथ्वी पर प्रयकृ नतक रूप से पययय जयने वयलय एकमयत्र अकयबाननक तरल पदयथा है। यह सांसयधन , पयररनस्थनतकी यय
आवयस के रूप में कयया करतय है। पृथ्वी पर जल की कु ल मयत्रय सयमयन रहती है , जबदक यह एक रूप से दूसरे रूप में
पररवर्थतत होतय रहतय है। यह प्रदियय ही जल चि कहलयती है।
o जल जीवों की नवनभन्न प्रदिययओं को ननयांनत्रत करतय है। यह वनस्पनत प्रकयर तथय उसके सांघिन पर भी प्रभयव डयलतय
है। जलीय तांत्र में ऑक्सीजन, कयबान डयइऑक्सयइड तथय अन्य गैसें आांनशक रूप से घुली रहती हैं।
मृदय (soi।) -
o मृदय, भू-पपािी की सबसे ऊपरी परत है , जो दक खननज तथय आांनशक रूप से अपघरित कयबाननक पदयथों से ननर्थमत
होती है। मृदय कय ननमयाण शैलों कय अपने स्थयन पर अपक्षय यय स्थयनयांतररत तलछिों कय जल यय वययु द्वयरय अपरदन से
होतय है।
जैनवक सांघिक (Biotic Components):
पययावरण के जैनवक सांघिक कय ननमयाण तीन ननम्ननलनखत उपतांत्रों द्वयरय होतय है-
पयदप (p।ant) -
o पयदप जैनवक सांघिकों में सवयानधक महत्वपूणा होते हैं क्योंदक पौधे ही जैनवक पदयथों कय ननमयाण करते हैं , नजनकय
उपभोग वे स्वयां करते हैं। सयथ ही, मयनव सनहत जांतु तथय सूक्ष्म जीव प्रत्यक्ष यय अप्रत्यक्ष रूप में इन्ही पौधों पर ननभार
रहते है। पौधे पययावरण के नवनभन्न सांघिकों में जैनवक पदयथों तथय पोषक तत्वों के गमन को सांभव बनयते हैं। हरे पौधे
अपनय आहयर स्वयां ननर्थमत करते हैं अतः वे स्वपोनषत कहलयते हैं।
जीव (organism) –
o जीव स्वपोनषत एवां परपोनषत दोनों प्रकयर के होते हैं , परन्तु अनधकयांशतः जीव परपोनषत ही होते हैं। स्वपोनषत जीव
अपने आहयर कय ननमयाण स्वयां करते हैं जैसे सयइनोबैक्िीररयय पणाहररत (क्लोरोदफल) की उपस्थनत में प्रकयश सांश्लेषण
से ऊजया उत्पयदन करते हैं। ई क्लोरोरिकय, एक प्रकयर कय समुद्री घोघय , जो शैवयल से क्लोरोदफल ग्रहण कर , अपनय
भोजन स्वयां ननर्थमत करतय है।
जैनवक पदयथो की सुलभतय के आधयर पर परपोषी जीव 3 प्रकयर के होते हैं:
मृतजीवी (saprophytes)-
o वे जीव जो मृत पौधे तथय जीवों से घुनलत रूप में कयबाननक यौनगकों को प्रयप्त करते हैं।
परजीवी (parasites) –
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o वे जीव जो अपने आहयर हेतु अन्य जीनवत जीवों पर ननभार होते हैं।
प्रयणीसमभोजी (ho।ozoic) –
o वे जांतु जो अपनय आहयर अपने मुख द्वयरय ग्रहण करते हैं। सभी बड़े जन्तु इसी श्रेणी के अांतगात आते हैं। उदयहरण- हयथी,
गयय, ऊि आदद।
सूक्ष्मजीव (micro- organism) –
o सूक्ष्मजीवों को नवयोजक भी कहते हैं। ये मृत पौधों , जन्तुओं के जैनवक पदयथों को सड़य-गलय कर नवयोनजत करते हैं।
नवयोजन प्रदियय के दौरयन ये अपनय आहयर भी ग्रहण करते हैं। सयथ ही , इन्हें सरल रूप में रूपयांतररत कर हरे पौधों
हेतु पुनः उपलधध करयते हैं। सूक्ष्म जीवों के अांतगात सूक्ष्म बैक्िीररयय तथय कवक शयनमल होते हैं।
ऊजया सांघिक (energy components)-
इसके अांतगात सौर प्रकयश, सौर नवदकरण तथय उसके नवनभन्न पक्षों को शयनमल दकयय जयतय है। सौर ऊजया नवद्युत चुांबकीय तरां ग
के रूप में होती है। अतः इसे नवद्युत चुांबकीय नवदकरण भी कहय जयतय है।
सूया उत्पयदकों के नलए ऊजया कय सबसे महत्वपूणा स्रोत होतय है। ऊजया सांघिक के अांतगात प्रकयश तथय तयपमयन को भी शयनमल
दकयय जयतय है।
पययावयस अथवय आवयस
पययावयस (habitat) वह भौनतक पययावरण है नजसमें कोई जीव रहतय है। प्रत्येक जीव को अपनी उत्तरजीनवतय के नलये नवनशष्ट
वस्तुओं की आवश्यकतय होती है और यह जीव उस स्थयन पर रहतय है जहयँ पययावरण के द्वयरय इन आवश्यकतयओं की पूर्थत होती
है। जैसे हयथी की पययावरण सम्बन्धी आवश्यकतय एक जांगल है। आप दकसी समुद्र में हयथी के पयये जयने की आशय नहीं कर सकते
और न ही दकसी जांगल में व्हेल के पयये जयने की आशय की जय सकती है।
पययावयस उन नवनभन्न प्रजयनतयों को सहयरय प्रदयन कर सकतय है नजनकी आवश्यकतयएँ समयन हैं। अतः नवनभन्न प्रजयनतययां एक ही
पययावयस में रहती हैं। पययावयस के लक्षणों को इसके सांरचनयत्मक घिकों के द्वयरय प्रस्तुत दकयय जय सकतय है। ये घिक हैं:
1. स्थयन
2. भोजन
3. जल
4. आश्रय
ननके त
प्रकृ नत में अनेक प्रजयनतययँ एक ही पययावयस में पययी जयती हैं। परन्तु उनके कयया नभन्न-नभन्न होते हैं। पययावयस में दकसी प्रजयनत के
कयययात्मक लक्षण ‘‘ननके त’’ कहलयते हैं। ननके त कय तयत्पया दकसी प्रजयनत के समस्त दिययकलयपों और सम्बन्धों के उस योग से है
नजसके द्वयरय यह प्रजयनत अपनी उत्तरजीनवतय तथय जनन के नलये अपने पययावयस के सांसयधनों कय उपयोग करती है। प्रत्येक
प्रजयनत कय एक नवनशष्ट ननके त होतय है तथय कोई भी दो प्रजयनत एक ही ननके त में नहीं रह सकती हैं।
इकोमयका योजनय
पययावरण के बयरे में उपभोक्तयओं में जयगरूकतय बढ़यने के नलये भयरत सरकयर के पययावरण और वन मांत्रयलय ने 1991 में
पययावरण के अनुकूल उत्पयदों की पहचयन के नलये इको मयका योजनय आरां भ की।
इस योजनय कय लक्ष्य नयगररकों को ऐसे उत्पयद खरीदने के नलये प्रोत्सयनहत करनय है, नजनकय पययावरण पर प्रभयव कम घयतक हो
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और नजनसे अांतत: पययावरण की गुणतय में सुधयर हो और सांसयधनों के धयरणीय प्रबांधन को प्रोत्सयहन नमले।
1991 से लेकर अब तक ईको मुहर सांचयलन सनमनत ने ननम्ननलनखत 18 उत्पयद सांवगों की पहचयन की है:
(1) सयबुन तथय अपमयजाक ( 2) कयगज (3) खयद्य सयमग्री ( 4) स्नेहन तेल ( 5) पैकेजबांदी के नलये सयमग्री/पैकेज ( 6) वयस्तुकलय
सांबांधी रां ग-रोगन तथय पयउडर कोटिग ( 7) बैिररययँ ( 8) नवद्युत/इलैक्रॉननक वस्तुएँ ( 9) खयद्य सांयोजी पदयथा ( 10) लकड़ी के
स्थयनयपन्न (11) सौंदया प्रसयधन सयमग्री ( 12) ऐरयसोल प्रोपैलेंि ( 13) प्लयनस्िक के उत्पयद ( 14) वस्त्रयदद (15) कीिनयशी (16)
औषनधययँ (17) अनिशयमक उपकरण तथय (18) चमड़य
इसके पियत नवनभन्न रुनच रखने वयले समूहों से प्रयप्त प्रनतदियय और नवनभन्न सनमनतयों पर नवचयर करके दो उत्पयद सांवगों
कीिनयशक तथय औषनधयों को ननकयलने कय ननणाय नलयय गयय। इसके पररणयमस्वरूप इस समय इकोमयका योजनय के अांतगात 16
समूह हैं।
पययावरण सांबांधी प्रमुख आांदोलन
आांदोलन सांबांनधत तथ्य
नवष्णोई आांदोलन सन् 1730 में जोधपुर के महयरयजय अजय ससह ने एक नवशयल महल बनयने की योजनय बनयई। इसके नलए अनेकों
पेड़ों को कयिनय थय अतः 363 नवश्नोईयों ने इस स्थयन पर अपनय बनलदयन दे ददयय।
सांबांनधत व्यनक्त: सांत जम्भोजी, अमृतय देवी नवश्नोई
नचपको आांदोलन नचपको आांदोलन मूलतः: उत्तरयखांड के चमौली के वनों की सुरक्षय के नलए वहयां के लोगों द्वयरय 1973 में आरम्भ
दकयय गयय आांदोलन है। इसमें लोगों ने पेड़ों को गले लगय नलयय तयदक उन्हें कोई कयि न सके ।
नेतृत्वकतया: सुांदर लयल बहुगुणय, चांडीप्रसयद भट्ट
अनप्पको आांदोलन यह नचपको आांदोलन दनक्षण में ‘अनप्पको’ आांदोलन के रूप में उभरकर सयमने आयय। अनप्पको कन्नड़ भयषय कय शधद
है जो कन्नड़ में नचपको कय पययाय है। पययावरण सांबांधी जयगरुकतय कय यह आांदोलन अगस्त , 1983 में कनयािक के
उत्तर कन्नड़ क्षेत्र में शुरू हुआ।
सांबांनधत व्यनक्त: पयांडुरांग हेगड़े
नमादय बचयओ 1989 में नमादय बचयओ आांदोलन ने सरदयर सरोवर पररयोजनय तथय इससे नवस्थयनपत लोगों के पुनावयस की
आांदोलन नीनतयों के दिययांवयन की कनमयों को उजयगर दकयय है। शुरू में आांदोलन कय उददेश्य बयांध को रोककर पययावरण
नवनयश तथय इससे लोगों के नवस्थयपन को रोकनय थय। बयद में आांदोलन कय उद्देश्य बयांध के कयरण नवस्थयनपत लोगों
को सरकयर द्वयरय दी जय रही रयहत कययों की देख-रे ख तथय उनके अनधकयरों के नलए न्ययययलय में जयनय बन गयय।
सांबांनधत व्यनक्त: मेघय पयिकर, अरुां धती रयय, बयबय आम्िे, अननल पिेल
सयइलेंि घयिी के रल की शयांत घयिी 89 वगा दकलोमीिर क्षेत्र में है जो अपनी घनी जैव-नवनवधतय के नलए मशहूर है। 1980 में यहयँ
आांदोलन: कुां तीपूांझ नदी पर एक पररयोजनय के अांतगात 200 मेगयवयि नबजली ननमयाण हेतु बयांध कय प्रस्तयव रखय गयय। लोगों ने
इसकय नवरोध दकयय। अांत में तत्कयलीन प्रधयनमांत्री श्रीमती इां ददरय गयांधी ने इस नववयद में मध्यस्थतय की और अांतत:
रयज्य सरकयर को इस पररयोजनय को स्थनगत करनय पड़य जो घयिी के पयररनस्थनतकी के सांतुलन को बनयये रखने में
मील कय पत्थर सयनबत हुआ।
सांबांनधत व्यनक्त: सुगयथय कु मयरी, जॉन सी/जैकब
नचल्कय बचयओ नचल्कय उड़ीसय में नस्थत एनशयय की सबसे बड़ी खयरे पयनी की झील है नजसकी लम्बयई 72 दक०मी० तथय चौड़यई
आांदोलन
25 दक०मी० और क्षेत्रफल लगभग 1000 वगा दक०मी० है। सन 1991 में इस सांघषा ने जन्म नलयय। नचल्कय के 192
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गयांवों के मछु आरों ने ‘मत्स्य महयसांघ ’ के अांतगात एकजुि होकर अपने अनधकयरों की लड़यई शुरू की। इस सांघषा में
उनकय सयथ उट्टकल नवश्वनवद्ययलय के छयत्रों ने भी ददयय। 15 जनवरी, 1992 में गोपीनयथपुर गयांव में यह सांघषा जन
आांदोलन में तधदील हो गयय। ‘नचल्कय बचयओ आांदोलन ’ ने नवकयस के उस प्रनतमयन के नवरुद्ध सांघषा दकयय नजससे
क्षेत्रीय पययावरण, नवकयस तथय लोगों की आजीनवकय को खतरय थय।
रिहरी बयांध रिहरी बयांध उत्तरयखांड के गढ़वयल क्षेत्र में भयगीरथी और नभलांगनय नदी पर बनने वयलय ऐनशयय कय सबसे बड़य तथय
नवरोधी आांदोलन नवश्व कय पयांचवय सवयानधक ऊँचय (अनुमयननत ऊँचयई 260.5 मी०) बयांध है। इस बयांध कय मुख्य उद्देश्य जल सांसयधनों
कय बेहतर इस्तेमयल करनय तथय पननबजली पररयोजनयओं कय ननमयाण करनय है। इस पररयोजनय कय सुांदरलयल
बहुगुणय तथय अनेक पययावरणनवदों ने कई आधयरों पर नवरोध दकयय है।
वषया जल सांरक्षण इसकी शुरुआत रयजस्थयन में तरुण भयरत सांघ के प्रमुख रयजेंद्र ससह, वयिर मेन, के द्वयरय की गई।
अनभययन
बीज बचयओ इसकय उदय परम्परयगत बीजों की नवलुप्त होती प्रजयनतयों कय सांरक्षण तथय व्ययवसयनयक नहतों के नलए कु छ ही
आांदोलन प्रकयर के बीजों - पौधों को बोने के नवरोध में हुआ। इस अनभययन कय आरां भ 1990 के शुरू के वषों में गयांधीवयदी
कययाकतयाओं मुख्यत: धुमससह नेगी, कुँ वर प्रशुन तथय नवजय जरधयरी द्वयरय रिहरी गढ़वयल क्षेत्र के हेवलघयिी क्षेत्र में
हुआ।
पययावरण सांबांधी पुरस्कयर
पुरस्कयर रयनश स्थयपनय प्रदयन करने वयली सांस्थय नवशेषतयएां
वषा
रयईि 2.8 लयख 1980 रयईि नलवलीहुड सोसयइिी पययावरण और सयमयनजक न्ययय के क्षेत्र में योगदयन देने वयलों
नलवलीहुड (लांदन) को प्रदयन दकयय जयतय है।
डॉलर
अवयडा इसे वैकनल्पक नोबेल कहय जयतय है।
ग्लोबल 500 1987 United Nation पययावरण रक्षय एवां सांरक्षण हेतु।
पुरस्कयर Environment 2005 से इसके स्थयन पर चैनम्पयन ऑफ द अथा पुरस्कयर ददयय
Programme जयतय है।\
2003 में नवन्देश्वरी पयठक और 2019 में नरें द्र मोदी को ददयय
गयय।
िययलर 2 लयख 1973 University of पययावरण, ऊजया और स्वयस्थ्य के क्षेत्र में योगदयन देने हेतु।
पुरस्कयर डॉलर southern ca।ifornia
गोल्डमैन 2 लयख 1989 गोल्डमैन फयउां डेशन हर वषा पययावरण सांरक्षण के नलये जमीनी स्तर कयया करने वयले
पुरस्कयर पययावरणनवदों को ददयय जयतय है।
डॉलर
इसे ग्रीन नोबेल पुरस्कयर के नयम से भी जयनय जयतय है।
गोल्डन पयांडय 1982 वन्यजीव सांरक्षण न्ययस इसे ग्रीन ऑस्कर के नयम से जयनय जयतय है।
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पुरस्कयर वन्यजीव सांरक्षण के क्षेत्र में ददयय जयतय है।
सयसयकयवय 50 हजयर 1986 United Nation पययावरण प्रबांधन और सांरक्षण के क्षेत्र में योगदयन देने वयले
पुरस्कयर व्यनक्त को प्रदयन दकयय जयतय है।
डॉलर Environment
Programme
जी.डी. नबड़लय 2.5 लयख 1991 नबड़लय फयउां डेशन भयरतीय सांस्कृ नत व ग्रयमीण क्षेत्रों में पययावरण सांरक्षण एवां
पुरस्कयर नचदकत्सीय देखभयल हेतु प्रदयन दकयय जयतय है।
रूपये
इां ददरय गयांधी 1987 भयरत सरकयर पययावरण सांरक्षण के क्षेत्र में योगदयन देने वयले व्यनक्त और
पययावरण सांगठन को प्रदयन दकयय जयतय है।
पुरस्कयर
बयइननयल रयष्ट्रीय बयघ सांरक्षण ियइगर ररजवा के प्रबांधन में स्थयनीय जनतय की भयगीदयरी को
पुरस्कयर प्रयनधकरण प्रोत्सयहन करने हेतु
पययावरण सांबांधी व्यनक्त
व्यनक्त रयज्य/देश कयया
डॉ. रयमदेव नमश्र भयरत भयरत में पयररनस्थनतकी के जनक, रोनपकल इकॉलोजी के क्षेत्र में ख्ययती प्रयप्त
डॉ. नॉमान बोरलॉग अमेररकय कृ नष नवज्ञयनी, शयनन्त के क्षेत्र में नोबेल प्रयप्त (1970), नवश्व में हररत ियांनत के जन्मदयतय
बांगयरी मथयई के न्यय के न्यय में ग्रीन बेल्ि मूवमेंि , धयरणीय नवकयस के नलए प्रनसद्ध , शयनन्त के क्षेत्र में नोबेल प्रयप्त
(2004)
डॉ. सलीम अली भयरत पक्षीनवज्ञयनी, book of indian birds के लेखक
डॉ. एम , भयरत भयरत में हररत ियांनत के जनक, मैनक्सकन बौनी प्रजयती के गेहूां को भयरत में नवकनसत दकयय
एस.स्वयमीनयथन
रयजेंद्र ससह भयरत जल पुरुष के नयम से चर्थचत , रे मन मैग्सेसे ( 2001) और स्िॉकहोम वयिर प्रयइज ( 2015) से
सम्मयननत
पययावरण से सांबांनधत नवनभन्न ददवस
नवश्व आद्रा भूनम सांरक्षण ददवस 2 फरवरी
नवश्व गौरे यय ददवस 20 मयचा
नवश्व वयननकी ददवस 21 मयचा
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नवश्व जल ददवस 22 मयचा
नवश्व मौसम नवज्ञयन ददवस 23 मयचा
जल सांसयधन ददवस 10 अप्रैल
अांतरयाष्ट्रीय पृथ्वी ददवस 22 अप्रैल
नवश्व जैव नवनवधतय ददवस 22 मई
नवश्व पययावरण ददवस 5 जून
रयष्ट्रीय पक्षी ददवस 12 नवम्बर
जैव मांडल एवां बययोम
पृथ्वी कय समस्त भयग जहयँ जीवन होतय है , जैवमांडल कहलयतय हैं। इसमें सूक्ष्म से सूक्ष्म बैक्िीररयय से लेकर नवशयलकयय जीव
शयनमल होते हैं। इसके सयथ-सयथ नवस्तृत और नवनवध वनस्पनत जीव जन्तु और मनुष्य, इस जैवमांडल कय भयग होते हैं।
पृथ्वी की ठोस सतह को हम स्थलमांडल कहते हैं। जलीय भयग को जलमांडल और धरयतल से ऊपर वयलय भयग जहयँ गैसें पयई
जयती हैं, वययुमांडल कहलयतय हैं। जब ये तीनों मांडल एक दूसरे के सम्पका में आते हैं तो जैवमांडल की रचनय होती हैं।
की-स्िोन प्रजयनत
दकसी भी पयररनस्थनतकी तांत्र में वह प्रजयनत नजसके कयरण पयररनस्थनतकी तांत्र की 'दिययशीलतय' बनी रहती है यय तांत्र कय
नवकयस होतय है उसे 'की-स्िोन प्रजयनत' कहते है। जैसे - जीवीय अनुिमण प्रदियय के प्रयरां भ में 'अपघिक' की- स्िोन प्रजयनत होते
हैं वहीं जीवीय अनुिमण की प्रदियय के समयप्त हो जयने के बयद हरी वनस्पनतययँ 'की स्िोन प्रजयनत' बन जयती हैं।
दकसी प्रजयनत की सांख्यय में कमी आने के कयरण वे सांकिग्रस्त सांवेदनशील यय नवलुप्त होने की कगयर पर पहुांच जयते हैं। जैसे खयद्य
श्रृांखलय के बयनधत होने के बयद तांत्र की दिययशीलतय पर प्रभयव पड़तय है, तब वैसी प्रजयनत को ही की-स्िोन प्रजयनत कहते है। इस
प्रकयर की-स्िोन प्रजयनत कय पयररनस्थनतकी तांत्र के नवकयस पर सकयरयत्मक ही नहीं नकयरयत्मक प्रभयव भी पड़तय है।
फयउां डेशन प्रजयनत
o दकसी पयररनस्थनतकी तांत्र में पयई जयने वयली प्रजयनत जो अन्य प्रजयनतयों के सांरक्षण एवां नवकयस में सहययक हो यय अन्य
प्रजयनतयों के ननमयाण व सांरक्षण में महत्वपूणा भूनमकय ननभयती है। उसे फयउां डेशन प्रजयनत कहते हैं। जैसे प्रवयल नभनत्त
नजस पर अन्य जयनतययां ननवयस करती हैं।
सांकेतक प्रजयनत
o यह ऐसे जीव व पौधे होते हैं जो पययावरण पररवतान के प्रनत अत्यनधक सांवेदनशील होते हैं। इसकय अथा यह है दक यह
प्रजयनत पयररनस्थनतकी तांत्र की हयनन से तुरांत प्रभयनवत होती है नजस कयरण एक चेतयवनी के रूप में इसकय प्रयोग दकयय
जय सकतय है।
अांब्रेलय प्रजयनत
o यह एक नवशयल समुदयय होतय है नजस पर बहुत सी प्रजयनतययां ननभार होती हैं। यह कयफी हद तक की स्िोन प्रजयनत की
तरह कयया करते हैं। इनकय सांरक्षण उसी ननवयस में रहने वयली अन्य प्रजयनतयों के नलए भी सांरक्षण कय कयया करतय है ,
जैसे-पौधे।
इकोिोन (सांिनमकय)
इकोिोन दो पयररनस्थनतक तांत्रों के मध्य अथवय दो नभन्न समुदयय के मध्य नस्थत सांिमण क्षेत्र है , नजसमें दोनों पयररनस्थनतक तांत्रों
की नवशेषतयएां पयई जयती हैं। इकोिोन में जैव-नवनवधतय दोनों ही ओर के समुदयय की तुलनय में अनधक होती है। इस पररघिनय
को 'एज इफे क्ि' (Edge Effect) कहते हैं। इसकय कयरण यह है दक इकोिोन न के वल दोनों ओर से समुदयय के सदस्यों के
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अनुकूल होते हैं , बनल्क कई ऐसी प्रजयनतययां इकोिोन में पयई जयती हैं , जो के वल इकोिोन के नलए ही अनुकूनलत होती है। घयस
भूनमययां, ज्वयरनदमुख व नदी ति आदद भी इकोिोन के उदयहरण हैं।
कोर प्रभयव
कोर प्रभयव एक अत्यनधक नवनवधतय वयलय क्षेत्र होतय है यहयां पर दो क्षेत्र परस्पर व्ययप्त होते हैं। कोर प्रभयव में दोनों क्षेत्रों की
प्रजयनतययां पयई जयती हैं। इसके अनतररक्त कु छ नवनशष्ट प्रजयनतययां भी पयई जयती हैं जो दकसी भी पयररतांत्र में अके ले ननवयस नहीं
कर पयती हैं। कोर प्रभयव के कु छ क्षेत्र ननम्ननलनखत हैं:
o नदी ति के दकनयरे घयस कय मैदयन
o पवात और घयिी कय नमलन सबदु
o जांगलों के अांनतम सबदु
o एिुअरी समुद्र कय नमलन सबदु
बययोम
इसे दो वृहत् और छह उपनवभयगों में बयांिय है:
सदयहररत वन:
उष्णकरिबांधीय सदयहररत वन:
नवषुवतीय प्रदेशों और उष्णकरिबांधीय तिीय प्रदेशों के भयरी वषया और उच्च तयपमयन की दशयओं में सघन , ऊँचे व नवश्व के
सवयानधक नवनवधतयपूणा जैव-सम्पदय वयले कठोर लकनड़यों वयले यथय महोगनी, आबनूस, रोजवुड और डेल्ियई भयगों में मैंग्रोव के
वन पयये जयते हैं। पृथ्वी के 12% भयग इन्हीं वनों से ढँके हैं।
वृक्षों की सघनतय के कयरण यहयँ प्रकयश नहीं पहुांच पयतय व अांधेरय छययय रहतय है। लतयएां (नलययनय) व अनधपयदप (एपीफयइि)
इस बययोम की सवाप्रमुख नवशेषतय है। ये वन अत्यनधक जैव-नवनवधतयपूणा है। पृथ्वी के आधे से अनधक जन्तुओं व वनस्पनतयों की
प्रजयनतययां यहीं पयई जयती है।
इन वनों में नमलने वयले जीवों में हयथी , गैंडय, जांगली सुअर, शेर, घनड़ययल तथय बांदर व सयांपों की अनेक प्रजयनतययां नमलती हैं।
आमेजन बेनसन, कयांगो बेनसन, अफ्रीकय कय नगनी ति , जयवय-सुमयत्रय आदद इन वनों के प्रमुख क्षेत्र हैं। ब्रयजील में इन वनों को
सेलवयस कहय जयतय है।
वतामयन समय में झूम खेती एवां अवैज्ञयननक व अत्यनधक दोहन के कयरण पृथ्वी के इस सबसे जरिल पयररनस्थनतक तांत्र तथय इसके
नवशयल आनुवांनशकी सांसयधन पर खतरय उत्पन्न हो गयय है । अतः इनकय सांरक्षण जरूरी है।
मध्य अक्षयांशीय सदयहररत वन:
उपोष्ण प्रदेशों में महयद्वीपों के पूवी तिीय भयगों के ये वषया वन हैं। यहयँ प्रययः एक ही जयनत वयले वृक्षों की प्रधयनतय पययी जयती
है। चौड़ी पत्तीवयले कठोर लकड़ी ओक , लॉरे ल, मैिेनलयय, यूकेनलप्िस आदद के वन यहयँ प्रमुख हैं। द. चीन , जयपयन, द.पू. सांयुक्त
रयज्य अमेररकय, दनक्षण ब्रयजील आदद इसके प्रमुख क्षेत्र हैं।
भूमध्यसयगरीय वन:
मध्य अक्षयांशों में महयद्वीपों के पनिमी सीमयांतों पर शीतकयलीन वषया प्रदेशों में ये वन होते हैं। यहयँ के प्रमुख वृक्ष कयका , ओक,
जैतून, चेस्िनि, पयइन हैं। इस बययोम में अनि से नष्ट न होने वयले पौधे और सूखे में रहने योग्य जांतु पयए जयते हैं । यहयँ रां ग -
नबरां गी नचनड़यों की अनधकतय है।
ग्रीष्मकयल की शुष्क जलवययु से बचयव के नलए नवनभन्न प्रकयर के वृक्षों ने स्वयां को अनुकूनलत दकयय है । भूमध्य सयगरीय प्रदेश
‘नसरस फलों’ के नलए प्रनसद्ध इनमें अांगूर , नींबू, नयरां गी, शहतूत, नयशपयती व अनयर प्रमुख है । चैपेरल , लैवेन्डर, लॉरे ल तथय
अन्य सुगनन्धत जड़ी-बूरिययँ (मैक्वीस) कय भी यहयां उत्पयदन होतय है ।
शांकुधयरी वन:
उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र के चयरों ओर यूरोप, एनशयय व उत्तरी अमेररकय महयद्वीपों में व अन्य भयगों में ऊँचे पवातों पर जयए जयने वयले
ये मुलययम लकड़ी के वन हैं। इन वनों के प्रमुख वृक्ष चीड़ , देवदयर, फर, हेमलॉक, स्प्रूस हैं नजसकय वधान कयल ग्रीष्मकयल तक
सीनमत रहतय है।
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इन वृक्षों की पनत्तययँ मोिी व सुइयों के आकयर की होती हैं जो कम वयष्पोत्सजान करती है एवां शीत ऋतु में ठां ड से बचयव में
सहययक होती है। शांकुधयरी वन नवश्व के वन क्षेत्रों के अांतगात सवयानधक नवस्तयर रखते हैं। िैगय वनों के प्रदेश में लोमड़ी , समक,
समूर व सयइबेररयन िे न नमलते है।
पणापयती वन:
मध्य अक्षयांशीय पणापयती वन:
o ये शीतल जलवययु के तिीय प्रदेशों में पयए जयते हैं । उ.पू. अमेररकय , द. नचली आदद में इन वन क्षेत्रों की व्ययनप्त है। इन
वनों के प्रमुख वृक्ष ओक , बीच, वयलनि, मैपल, ऐश, चेस्िनि आदद हैं । शीत ऋतु में ठां ड से बचयव के नलए इनकी
पनत्तययँ झड़ जयती हैं ।
उष्णकरिबांधीय पणापयती वन यय मयनसूनी वन:
o एनशयय के मयनसूनी प्रदेशों , ब्रयजील, मध्य अमेररकय, उत्तरी ऑस्रेनलयय में पयए जयने वयले इन वन क्षेत्रों में एक स्पष्ट
शुष्क ऋतु होती है एवां उसके बयद वषया होती है। यहयँ सयगवयन , शीशम, सयल, बयँस आदद प्रमुख वृक्ष पयए जयते हैं।
उष्णकरिबांधीय सदयहररत वनों के बयद सवयानधक नवनवधतय इन्हीं वन क्षेत्रों में पयई जयती है।
सवयनय बययोम:
o यहयँ आद्रा-शुष्क उष्णकरिबांधीय जलवययु पययी जयती है। यह पयका लैंड भूनम है जहयँ घयसभूनमयों के क्षेत्र में यत्र-तत्र कु छ
वृक्ष रहते हैं । 5 मीिर लांबी और सघन हयथी घयस सवयनय प्रदेश की प्रमुख घयस है। अफ्रीकय , भयरत, ब्रयजील, पूवी
आस्रेनलयय आदद इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। वेनेजुएलय में इस बययोम को लयनोस कहय जयतय है।
o सवयनय बययोम में पेड़-पौधे और जन्तुओं में सूखे को सहन करने की क्षमतय होती है तथय वृक्षों में अनधक नवनवधतय नहीं
होती। इस बययोम में हयथी , दररययई घोड़य , जांगली भैंस , नहरण, जेब्रय, ससह, चीतय, तेंदआ
ु , गीदड़, घनड़ययल,
नहप्पोपोिैमस, सयांप, ऐमू व शुतुरमुगा नमलते है।
o यह प्रदेश ‘बड़े-बड़े नशकयरों की भूनम ’ के नयम से प्रनसद्ध है तथय नवश्व प्रनसद्ध ‘जू’ है। मयनवीय हस्तक्षेप के कयरण इस
क्षेत्र के पयररनस्थनतक सांतुलन पर नवपरीत प्रभयव पड़य है।
घयस बययोम
अद्धा शुष्क महयद्वीपीय घयस भूनम:
o यहयँ की प्रमुख वनस्पनतययँ लैन्ियनय और बुफैलो घयस, सूयामुखी लोकोघयस आदद हैं। इन छोिे घयस के मैदयनों को यूिेन
व दनक्षणी पनिमी रूस में स्िेपी, दनक्षण अफ्रीकय में वेल्ड और ब्रयजील में कै म्पोस कहय जयतय है।
मध्य अक्षयांशीय आद्रा घयस भूनम:
o उपोष्ण आद्रा जलवययु प्रदेशों में ये लांबी एवां सघन घयस के मैदयन हैं । उत्तरी अमेररकय में इन्हें प्रेयरी , दनक्षणी अमेररकय
में पम्पयस, ऑस्रेनलयय में डयउन्स, न्यूजीलैंड में कैं िरबरी और हांगरी में पुस्ियज कहते हैं।
मरुस्थलीय बययोम
o यहयँ वनस्पनतयों कय प्रययः अभयव पययय जयतय है। के वल छोिी झयनड़ययँ , नयगफनी, बबूल, खजूर, खेजड़ी आदद
वनस्पनतययँ नमलती हैं। यहयँ के पौधे , पनत्तयों यय तनों पर पतले , मोमी उपत्वचय और रे नजन सतह वयले होते हैं। ये
कयांिेदयर और छोिी पनत्तयों वयले होते हैं।
िुांड्रय बययोम:
o 60 नडग्री उत्तरी अक्षयांश से ऊपर के एनशययई , यूरोपीय व उत्तरी अमेररकी भयगों में वनस्पनतययँ अत्यन्त नवरल हैं।
के वल लयइके न, एल्गी व जांगली झयनड़ययँ थोड़ी बहुत नमलती हैं नजनकय वधान कयल ग्रीष्मऋतु के के वल तीन महीने तक
ही सीनमत होतय हैं। रें नडयर िुांड्रय क्षेत्र कय प्रमुख पशु है। यहयँ के ननवयसी एस्कीमो कहे जयते हैं। इनकय प्रमुख खयद्य
पदयथा सील मछली है।
सयमुदयनयक अन्तःदियय
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जैनवक समुदयय में पौधे , जन्तुओं और सूक्ष्म जीवों के समुदयय. ऊजया सांसयधन और स्थयन के नलए एक-दूसरे से अन्तःदियय करते रहते हैं।
सूक्ष्म जीव , जन्तुओं व पौधों से नवनभन्न प्रकयर से पयरस्पररक दिययएां करते हैं। ये जीवों में रोग उत्पन्न कर सकते हैं , नयइरोजन कय
नस्थरीकरण कर सकते हैं, मृदय को उवार बनय सकते हैं। सभी जीव पयररनस्थनतकी तांत्र के सकल सांचयलन में तथय ऊजया के प्रवयह और पोषक
तत्वों के चिण में मुख्य भूनमकय ननभयते हैं।
अन्तः दियय दो प्रकयर की होती हैं:
1. धनयत्मक
2. ऋणयत्मक
धनयत्मक:
सहजीनवतय: इसमें दोनों जीव समयन रूप से लयभयनन्वत होते हैं। ये ननम्न प्रकयर की होती हैं:
सहोपकररतय (mutualism): दोनों जीव लयभयनन्वत होते हैं जैसे लयइके न, सयइकस की कोरे लॉएड जड़ें, कवकमूल।
सहभोनजतय (commensalism): एक जीव को लयभ तथय दूसरे पर कोई प्रभयव नहीं होतय है जैसे ऑर्क्रकड, कां ठलतयएँ।
ऋणयत्मक:
प्रनतस्पधया (competition): दोनों जीवों को हयनन होती है।
प्रनतजीनवतय (antibiosis): एक जीव (a) को लयभ तथय दूसरे (b) को हयनन होती है।
परजीनवतय (parasitism): एक जीव को हयनन (a) तथय दूसरे को लयभ (b) होतय है।
नयइरोजन नस्थरीकरण करने वयले अनेकों प्रौकै ररयोट्स जैसे रयइजोनबयम, क्लॉनस्रनडयम, ऐजेिोबैक्िर, नोस्िॉक, ऐनयबीनय,
आलोसयइरय आदद मृदय की उवारय शनक्त को बढ़यने के नलए वययुवीय नयइरोजन को कयबाननक नयइरोजन में पररवर्थतत करते हैं।
पयररनस्थनतक अनुिम (Ecological succession)
पयररनस्थनतक अनुिम (Ecological succession): दकसी नवनशष्ट क्षेत्र में वयतयवरण , समय और जैनवक कयरकों के परस्पर प्रभयवों से
सम्पूणा जैनवक समुदयय कय बदलनय पयररनस्थनतक अनुिमण कहलयतय है। दकसी भी स्थयन पर दकसी पयररनस्थनतक समुदयय की स्थयपनय
हो जयने के पियत् भी उनमें पररवतान की प्रदियय जयरी रहती है। नवकयस की दृनष्ट से पयररनस्थनतक अनुिमण दो प्रकयर के होते हैं।
1. प्रयथनमक अनुिमण (Primary succession): जब दकसी पयररनस्थनतक समुदयय कय नवकयस ऐसे क्षेत्र में होतय है , जहयँ इससे
पहले कोई अन्य पयररनस्थनतक समुदयय नवद्यमयन नहीं थय , तो उसे प्रयथनमक अनुिमण कहते हैं। जैसे-रे तीली भूनम यय पथरीली
चट्टयनों कय अनुिमण।
2. नद्वतीयक अनुिमण (Secondary succession): जब दकसी ऐसे क्षेत्र में पयररनस्थनतकी समुदयय कय नवकयस होतय है , जहयँ
इससे पहले कोई पयररनस्थनतक समुदयय नवद्यमयन थय , लेदकन बयद में वह नष्ट हो गयय , तो उसे नद्वतीयक अनुिमण कहते हैं।
जैसे- आग से जांगल के नष्ट होने के बयद वहयँ पुनः वन समुदयय कय नवकयस होनय।
अनुिमण की प्रदियय
1. न्यूडेशन (Nudation): नवीन समुदयय के आगमन के नलए ररक्त स्थयन यय वनस्पनत रनहत नि स्थयन करने की प्रदियय न्यूडेशन
कहलयती है।
2. प्रवयस (Migration): अनुिमण के क्षेत्र में बयह्य प्रजयनतयों कय अनयनधकृ त प्रवेश प्रवयस यय आिमण कहलयतय है।
3. आस्थयपन (Ecesis): इस प्रदियय में ननकि क्षेत्रों से प्रकीणान के नवनभन्न मयध्यमों से फलों यय बीजों के द्वयरय अनेकों प्रजयनतयों
कय नए स्थयनों पर पहुांचकर उगनय आस्थयपन कहलयतय है।
4. स्पधया (Competition): दो प्रजयनतयों के मध्य जीवन के सांघषा हेतु स्पधया होती है और इसमें के वल वही प्रजयनत सफल होती है
जो स्वस्थ और योग्य हो।
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5. प्रनतदियय (Reaction): पयदप समुदयय और पययावरण एक दूसरे पर पदयथों के आदयन-प्रदयन के समय प्रनतदियय करते हैं।
इसको उदयहरण हैं: िस्िोज लयइके न के द्वयरय चट्टयनों की ऊपरी परत कय नवघिन करके मयस और नलवरविा को आिमण करने
कय अवसर देनय।
6. नस्थरीकरण ( Stabi।ization): इस अवस्थय में समुदयय और पययावरण के मध्य परस्पर सयमांजस्य स्थयनपत हो जयतय है।
नक्लमेंट्स ने क्लयइमेक्स यय चरम सीमय कय नसद्धयांत ददयय है।
पयररनस्थनतक तांत्र (Ecosystem)
पयररनस्थनतक तांत्र (Ecosystem): दकसी स्थयन पर पयये जयने वयले दकसी जीव समुदयय कय वयतयवरण से तथय अन्य जैनवक समुदयय से
परस्पर सम्बन्ध होतय है। इसी पयरस्पररक सम्बन्ध को पयररनस्थनतक तांत्र कहते हैं। पयररनस्थनतक तांत्र शधद कय प्रयोग सवाप्रथम ियन्सले
(Tansley) ने 1935 ई. में दकयय थय।
पयररनस्थनतक तांत्र के प्रकयर: पयररनस्थनतक तांत्र दो प्रकयर के होते हैं-
1. प्रयकृ नतक (Natural): जैसे- वन, मरुस्थल, तयलयब, िु ण्ड्ड्रय इत्ययदद।
2. कृ नत्रम (Artificial): जैसे- बगीचय, फसल, पयका इत्ययदद।
पयररनस्थनतक तांत्र के घिक ( components of ecosystem): पयररनस्थनतक तांत्र के दो मुख्य घिक होते हैं- जैनवक घिक तथय अजैनवक
घिक।
(A) जैनवक घिक (Biotic factors): पयदप और जन्तुओं को नमलयकर जैनवक घिक बनते हैं। पयररनस्थनतक तांत्र के जैनवक घिकों को पुनः
ननम्ननलनखत वगों में नवभयनजत दकयय जय सकतय है-
उत्पयदक (Producer): पयररनस्थनतकी तांत्र में उत्पयदक वगा के अांतगात मुख्य रूप से हरे पेड़-पौधे आते हैं जो अपनय भोजन
सयधयरण अकयबाननक पदयथा से जरिल कयबाननक पदयथा के रूप में तैययर करते हैं। जैसे- हरे पौधे क्लोरोप्लयस्ि की सहययतय से सूया
के प्रकयश की उपनस्थनत में प्रकयश सांश्लेषण की दियय द्वयरय सरल अकयबाननक पदयथा (जल एवां कयबान डयइऑक्सयइड) द्वयरय अनधक
ऊजया युक्त कयबाननक पदयथा (कयबोहयइड्रेि) के रूप में अपनय भोजन बनयते हैं। इसी कयरण से हरे पेड़-पौधों को उत्पयदक यय
स्वपोनषत (Autotrophs) वगा में रखय गयय है।
उपभोक्तय (Consumers): पयररनस्थनतक तांत्र के जैनवक घिक में जो जीव अपनय भोजन स्वयां बनयने में असमथा होते हैं , उन्हें
उपभोक्तय वगा के अन्तगात रखय गयय है। पयररनस्थनतक तांत्र के उपभोक्तयओं को ननम्ननलनखत श्रेनणयों में रखय गयय है-
o प्रयथनमक उपभोक्तय (Primary consumers): शयकयहयरी जन्तुओं को प्रथम श्रेणी के उपभोक्तय के अन्तगात रखय गयय
है, क्योंदक ये जीवधयरी अपने भोजन के नलए के वल पौधों पर ही आनश्रत रहते हैं। जैसे-गयय , बकरी, नहरण, खरगोश
आदद।
o नद्वतीयक उपभोक्तय ( Secondary consumers): नद्वतीयक श्रेणी के उपभोक्तय अपनय भोजन पौधों एवां प्रयथनमक
उपभोक्तय से प्रयप्त करते हैं अथयात इस श्रेणी के उपभोक्तय मयांसयहयरी ( Carnivores) तथय सवयाहयरी ( Omnivores)
होते हैं। जैसे- मयनव एक सवयाहयरी प्रयणी है, क्योंदक यह अपनय भोजन पौधों के सयथ-सयथ प्रथम श्रेणी के उपभोक्तयओं
से प्रयप्त करतय है। नद्वतीयक श्रेणी के उपभोक्तय के अन्य उदयहरण हैं- कीिों को खयने वयलय मेंढक , चूहों को खयने वयली
नबल्ली, नहरण को खयने वयलय भेनड़यय आदद।
o तृतीयक उपभोक्तय ( Tertiary consumers): पयररनस्थनतक तांत्र के तृतीयक श्रेणी के उपभोक्तय अपनय भोजन
प्रयथनमक और नद्वतीयक श्रेणी के उपभोक्तय से प्रयप्त करते हैं। जैसे-मेंढक को खयने वयले सयांपों तथय मछनलयों को खयने
वयली बड़ी मछनलयों को तृतीयक श्रेणी कय उपभोक्तय कहते हैं। तृतीयक श्रेणी के उपभोक्तय शीषा मयांसयहयरी ( Top
carnivores) होते हैं, नजन्हें दूसरे जन्तु मयरकर नहीं खयते हैं। जैसे- शेर, बयघ, बयज आदद।
o अपघिक (Decomposers): पयररनस्थनतक तांत्र में अपघिक वे जैनवक घिक हैं , जो अपनय जीवन ननवयाह अनधकयांशतः
उत्पयदक एवां उपभोक्तय के मृत शरीर से प्रयप्त करते हैं। इसी कयरण अपघिक को मृतोपजीवी (saprophytes) भी कहय
जयतय है। अपघिक वगा के अन्तगात सूक्ष्मजीव ( Micro-organisms) आते हैं। जैसे- जीवयणु , नवषयणु, कवक और
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प्रोिोजोआ। ये सूक्ष्मजीव उत्पयदक पौधे तथय उपभोक्तय के मृत शरीर से अपनय भोजन प्रयप्त करने के सयथ-सयथ जरिल
कयबाननक यौनगक से बने शरीर को सयधयरण यौनगकों में अपघरित कर देते हैं। ये सयधयरण यौनगक पुनः उत्पयदक द्वयरय
उपयोग दकये जयते हैं। इस प्रकयर से अपघिक पयररनस्थनतक तांत्र को बनयए रखने में महत्वपूणा भूनमकय कय ननवयाह
करतय है।
(B) अजैनवक घिक (Abiotic factors): पयररनस्थनतक तांत्र के अजैनवक घिकों में अनेक तरह के अकयबाननक तथय कयबाननक तत्वों के सयथ-
सयथ ऊजया भी सनम्मनलत है। अजैनवक घिकों की वह मयत्रय जो दकसी समय एक स्थयन पर पययी जयती है , उसे नननित अवस्थय
(standing state) कहते हैं। अजैनवक पदयथा पयररनस्थनतक तांत्र में बरयबर अजैनवक से जैनवक और जैनवक से अजैनवक घिकों में बदलते
रहते हैं। इस दियय को खननज चिीकरण (Minera। circu।ation) अथवय बययोके नमकल चि (Biochemica। cyc।e) कहते हैं।
पयररनस्थनतक तांत्र में अजैनवक घिकों को ननम्ननलनखत तीन वगों में रखय गयय है-
अकयबाननक तत्व: जैसे- ऑक्सीजन, नयइरोजन, हयइड्रोजन, फॉस्फोरस, कै नल्सयम आदद।
कयबाननक तत्व: जैसे- प्रोिीन, वसय, कयबोहयइड्रेि, ह्यूमस आदद।
जलवययु: जैसे- प्रकयश, तयपिम, वषया आदद।
पौधों कय पयररनस्थनतक वगीकरण ( Eco।ogica। c।assification of p।ants): ई. वयर्ममग ( E. warming) ने पयररनस्थनतकीय आधयर
पर पौधों को 5 वगों में नवभयनजत दकयय है। ये हैं-
1. जलोदनभद (Hydrophytes)
2. समोदनभद (Mesophytes)
3. मरूदनभद (Xerophytes)
4. मृदय में भौनतक शुष्कतय वयले पौधे (Physio।ogica।।y dry p।ants in soi।)
5. मृदय में दिययत्मक शुष्कतय वयले पौधे (Functiona।।y dry p।ants in soi।)
नवशेषीकृ त पौधे (Specia।ised p।ants)
1. एररमोफयइट्स (Eremophytes) रे नगस्तयन यय स्िेपी में उगने वयले पौधे।
2. नलथोफयइट्स (।ithophytes) चट्टयनों पर उगने वयले पौधे।
3. सेमोफयइट्स (Psammophytes) बयलू में उगने वयले पौधे।
4. स्क्लेरोफयइट्स (Sc।erophytes) कयष्ठीय झयड़ीदयर पौधे।
5. हैलोफयइट्स (Ha।ophytes) अनधक सयांद्रतय वयली मृदय में उगने वयले पौधे।
6. ऑक्जीलोफयइट्स (Oxy।ophytes) अम्लीय मृदय में उगने वयले पौधे।
7. हीलोफयइट्स (He।ophytes) दलदल में उगने वयले पौधे।
खयद्य श्रृांखलय एवां खयद्य जयल
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पयररनस्थनतक तांत्र में नवनभन्न जीव अथयात् पौधे तथय जन्तु अपनी पोषण सम्बन्धी आवश्यकतयओं के अनुसयर एक-दूसरे पर
आनश्रत रहते हैं। इस प्रकयर परस्पर सम्बनन्धत जीव एक आहयर श्रृांखलय बनयते हैं। एक तरह की पयरस्पररक ननभारतय ददखयते हैं
तथय इसमें खयद्य-ऊजया उत्पयदक से उपभोक्तय की ओर प्रवयनहत होती है।
नवनभन्न जीव पोषण स्तर पर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। नवनभन्न खयद्य श्रृांखलयएँ अन्य खयद्य श्रृांखलयओं से सम्बन्ध रखती हैं। इस
प्रकयर एक आहयर जयल (Food web) बन जयतय है।
खयद्य श्रृांखलय खयद्य जयल
1. पयररतांत्र में एक जीव से दूसरे जीव में भोज्य पदयथों के 1. नवनभन्न खयद्य श्रृांखलयएां परस्पर नमलकर
स्थयनयांतरण को खयद्य श्रृांखलय कहते हैं। खयद्य जयल कय ननमयाण करती है।
2. इसमें ऊजया कय प्रवयह एकददशीय होतय है। 2. ऊजया कय प्रवयह एकददशीय होते हुए भी
नवनभन्न पथों पर होतय है।
पोषण स्तर
वे जीव, नजनकय भोजन वनस्पनतयों से समयन चरणों में प्रयप्त होतय है , एक पोषण स्तर यय रोदफक लेवल में आते हैं। उत्पयदक
होने के नयते हरी वनस्पनतययां प्रथम पोषण स्तर पर आती हैं। शयकयहयरी नद्वतीय स्तर पर मयने जयते हैं। मयांसयहयरी , जो
शयकयहयररयों को अपनय आहयर बनयते हैं , तीसरे पोषण स्तर पर आते हैं, जबदक मयांसयहयरी जो मयांसयहयररयों कय ही भक्षण करते
हैं, चतुथा पोषण स्तर पर मयने जयते हैं। एक प्रजयनत अपने आहयर के आधयर पर एक यय एक से अनधक पोषण तल पर मौजूद रह
सकती है।
नपरै नमड
पोषण सांरचनय एवां कययों को सयमयन्यतयय पयररनस्थनतकीय नपरै नमड द्वयरय दशयायय जयतय है नजसमें उत्पयदक आधयर तैययर करते हैं और
उसके बयद के स्तर िमशः मांनजलें तैययर करते हैं। पयररनस्थनतकीय नपरै नमड तीन प्रकयर के हो सकते हैं :
सांख्यय नपरयनमड
यह पयररनस्थनतकीय नपरयनमड में सबसे सरल है और यह प्रत्येक तल में वैयनक्तक सांख्यय दशयातय है। रोचक तथ्य यह है दक
परजीनवयों की दशय में , सांख्यय कय नपरै नमड आधयर की अपेक्षय ऊपरी नहस्से में भयरी होगय क्योंदक परजीवी सयमयन्यतयय अपने
परपोषी से छोिे होते हैं और बहुत से परजीवी एक ही परपोषी पर ननभार करते हैं।
जैवभयर नपरै नमड
यह नपरै नमड प्रत्येक पोषण तल पर जीवों के कु ल भयर पर आधयररत है। इसमें प्रनतनननध कय व्यनक्तगत वजन और सांख्यय को
आधयर बनययय जयतय है। शुष्क भयर ही वयस्तनवक जैवसांहनत (बययोमयस) है परन्तु यह हमेशय स्वीकयया नहीं होतय है। नमूनय लेने
के समय कय जैवभयर खड़ी फसल कय जैवसांहनत (स्िैंसडग िॉप बययोमयस) कहलयतय है। स्िैंसडग िॉप बययोमयस उत्पयदकतय को
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नहीं दशया पयतय है। उदयहरण के नलए , एक उपजयऊ, अत्यनधक चरयई दकए हुए चयरयगयह में एक कम उपजयऊ पर चरयई नहीं
दकए गए चयरयगयह की तुलनय में घयस कय स्िैंसडग िॉप जैवसांहनत तो कम होगय जबदक उत्पयदकतय अनधक होगी।
शीतोष्ण वषया वन जीवोम कय खयद्य नपरै नमड
ऊजया कय नपरै नमड
ऊजया कय नपरै नमड दकसी खयद्य श्रृांखलय यय जयल में आहयर और ऊजया के सांबांध को दशयातय है। तीनों पयररनस्थनतकीय नपरयनमड में
से ऊजया कय नपरै नमड प्रजयनतयों के समूहों की दिययत्मक प्रकृ नत कय अब तक कय सवाश्रेष्ठ नचत्रण प्रस्तुत करतय है।
जैव भू-रयसययननक चि
जैव भू-रयसययननक चि
जीवमण्ड्डल में प्रयनणयों तथय वयतयवरण के बीच रयसययननक पदयथों के आदयन-प्रदयन की चिीय गनत को भू-जैवरयसययननक चि कहते हैं।
पृथ्वी और उसके वयतयवरण में उन सभी तत्वों की नननित मयत्रय रहती हैं ,नजसकी आवश्यकतय जीवधयररयों को हमेशय रहती है। इन्हें
जैनवक घिक और अजैनवक घिक कहते हैं ये जीवधयररयों से भूनम व वययुमण्ड्डल में और वहयां से पुनः जीवधयररयों के बीच चिीय गनत से
पहुांचते हैं। यह दियय नवनभन्न चिों द्वयरय पूरी होती है-
1. गैसीय चि- इस चि में कयबानडयइऑक्सयइड,नयइरोजन,ऑक्सीजन चि आते हैं।
2. सेडीमेंरी चि- इस चि मे फयस्फोरस,सल्फर आदद आते हैं।
3. जलीय चि- इस चि के द्वयरय जीवों,वययुमण्ड्डल और वयतयवरण के बीच जल कय आदयन-प्रदयन होतय है।
(i) नयइरोजन चि-
वययुमांडल में नयइरोजन 78% होतय है। वययुमांडल ही नयइरोजन कय मुख्य स्रोत है ,लेदकन जीव वययुमण्ड्डल से इस नयइरोजन को
सीधे ग्रहण नहीं कर सकते हैं। यय असमथा होते हैं। के वल कु छ जीवयणु,जल व भूनम में रहने वयले नीले-हरे शैवयल तथय नयइरोजन
नस्थरीकरण करने वयले कु छ जीव ही नयइरोजन कय सीधे उपयोग कर सकते हैं।
पौधे नयइरेि आयन को अमीनों-समूह में बदलते हैं,नजसे पौधे जमीन से ग्रहण करते हैं। पौधों से नयइरोजन शयकयहयरी प्रयनणयों में
और उनसे मयांसयहयरी प्रयनणयों के शरीर में पहुांचती है। जल एवां भूनम में उपनस्थत नयइरेि भी नयइरोजन के मुक्य स्रोत हैं। पौधे
नयइरेि कय अवशोसण करके उन्हें अमीनो अमल तथय प्रोिीन में बदल देते हैं,नजन्हें प्रयणी ग्रहण करते हैं। मृत पेड़-पौधों व जन्तुओं
के शरीर में नस्थत नयइरोजनी कयबाननक पदयथा तथय उत्सजी पदयथों पर जीवयणु दियय करके उन्हें पुनः नयइरेि में बदल देते
हैं,नजन्हें पौधे पुनः ग्रहण करते है और यह चि पुनः चलतय रहतय है।
(ii) ऑक्सीजन चि-
वययुमण्ड्डल में ऑक्सीजन 21% होतय है। ऑक्सीजन जीव में श्वसन के द्वयरय ग्रहण दकयय जयतय है। यह कयबोहयइड्रेि कय
ऑक्सीकरण करके पयनी और कयबान डयइऑक्सयइड बनयती है।
ऑक्सीजन जीव की मृत्यु के बयद क्षय होकर पुनः वयतयवरण में कयबान डयइऑक्सयइड तथय पयनी के रूप में चली जयती है। हरे
पौधों में जल कच्चे पदयथा के रूप में कयया करतय है और प्रकयश सांश्लेषण में ऑक्सीजन तथय हयइड्रोजन में िू ि जयतय है। स्वतन्त्र
ऑक्सीजन वययुमण्ड्डल में चली जयती है। इस प्रकयर ऑक्सीजन चि चलतय रहतय है।
(iii) कयबान डयइऑक्सयइड चि-
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जीवन कय आधयर मयने जयने वयली जीवद्रव्य कय में उपनस्थत सभी कयबाननक यौनगकों , जैसे- प्रोिीन,कयबोहयइड्रेट्स,वसय तथय
न्यूनक्लक अम्ल आदद सभी जीवधयररयों के नलए प्रमुख ऊजया के स्रोत हैं। इनके ऑक्सीकरण से ऊजया नमलती है।
वययुमण्ड्डल में 0.03% कयबान डयइऑक्सयइड होती है। इसकय उपयोग सवा प्रथम हरे पौधे करते हैं और पकयश-सांश्लेषण द्वयरय
कयबोहयइड्रेि कय ननमयाण करते हैं।
शयकयहयरी प्रयणी इन पौधों को ग्रहण करते हैं ,नजससे ये कयबाननक पदयथा प्रयनणयों के शरीर में पहुांच जयते हैं। अब शयकयहयरी
प्रयनणयों को मयांसयहयरी प्रयणी खयते हैं और ये कयबाननक पदयथा मयांसयहयरी प्रयनणयों के शरीर में पहुांच जयते हैं। इनमे से कु छ भयग
शरीर की निनद्ध के नलए उपयोग में ले ली जयती हैं। कु छ भयग श्वसन दियय में कयबान डयइऑक्सयइड में पररवर्थतत होकर
वययुमण्ड्डल में चली जयती है।
वययुमण्ड्डल की कयबानडयइऑक्सयइड कय कु छ भयग समुद्र जल द्वयरय अवशोनषत होकर समुद्री पौधों द्वयरय प्रकयश-सांश्लेषण में
उपयोग कर ली जयती है और कु छ कयबान डयइऑक्सयइड कयबोनेि के रूप में अवशोनषत हो जयतय है। प्रयनणयों और पौधों की
मृत्यु के बयद कयबाननक पदयथा कयबान डयइऑक्सयइड और जल में अपघरित हो जयते हैं ,नजसे पुनः पौधों द्वयरय ग्रहण कर नलयय
जयतय है। इस प्रकयर (कयबान) कयबानडयइऑक्सयइड कय चि चलतय रहतय है।
(iv) कै नल्सयम चि-
कै नल्सयम कय मुख्य स्रोत चिियन होते हैं। इन चट्टयनों में कै नल्सयम के यौनगक पयये जयते हैं। ये चट्टयनी यौनगक पयनी में घुलनशील
होते हैं। पौधे इनकय नमट्टी से अवशोषण करते हैं तथय जन्तु के शरीर में पयनी के सयथ शरीर में कयबाननक यौनगकों के रूप में
पहुांचते हैं।
जन्तुओं एवां पौधो की मृत्यु के बयद ये कै नल्सयम अपघरित होकर घुली हुई अवस्थय में पयनी में नमल जयती है। नददयों के पयनी
द्वयरय कै नल्सयम को समुद्र के पयनी में पहुांचय ददयय जयतय है। समुद्र में सतनहकरन नवनध द्वयरय समुद्र की सतह में जमय होकर पुनः
चट्टयनों कय रूप ले लेतय है। इस प्रकयर कै नल्सयम चि अनवरत चलतय रहतय है।
(v) फयॅस्फोरस चि:
फयॅस्फोरस जैनवक नझनल्लययँ, न्यूनक्लक एनसड (अम्ल) तथय कोनशकीय ऊजया स्थयनयांतरण प्रणयली कय एक प्रमुख घिक है। अनेक
प्रयनणयों को अपनय कवच , अनस्थययँ एवां दयँत आदद बनयने के नलए इसकी आवश्यकतय होती है। फयॅस्फोरस कय प्रयकृ नतक
भांडयरण चट्टयनों में है जो दक फयॅस्फे ि के रूप में फयॅस्फोरस को सांनचत दकए हुए हैं।
जब चट्टयनों कय अपक्षय होतय है तो थोड़ी मयत्रय में ये फयॅस्फे ि भूनम के नवलयन में घुल जयते हैं एवां उन्हें पयदपों की जड़ों द्वयरय
अवशोनषत कर नलयय जयतय है। शयकयहयरी और अन्य जयनवर इन तत्त्वों को पयदपों से ग्रहण करते हैं। कचरय उत्पयदों एवां मृत
जीवों को फयस्फोरस नवलेयक जीवयणुओं द्वयरय अपघरित करने पर फयॅस्फोरस मुक्त दकयय जयतय है। कयबान चि की भयँनत
पययावरण में फयॅस्फोरस को श्वसन द्वयरय अवमुक्त नहीं दकयय जयतय है।
प्रदूषण
प्रदूषण
वययु, भूनम तथय जल के भौनतक , रयसययननक तथय जैनवक लक्षणों में अवयांनछत पररवतान पययावरणीय प्रदूषण यय प्रदूषण कहलयतय है।
प्रदूषण प्रयकृ नतक तथय कृ नत्रम (मयनवजन्य) दोनों ही प्रकयर कय हो सकतय है। वे पदयथा अथवय कयरक नजनके कयरण यह पररवतान उत्पन्न
होतय है, प्रदूषक (Po।।utants) कहलयते हैं। सयमयन्यतः प्रदूषकों को दो वगों में बयँिय गयय है-
जैव ननम्नीकरण प्रदूषक (Biodegradable Pollutants)
इस वगा के प्रदूषकों कय नवनभन्न सूक्ष्म जीवों द्वयरय अपघिन हो जयतय है तथय अपघरित पदयथा जैव-भू-रयसययननक चि में प्रवेश
कर जयते हैं। ऐसे पदयथा उसी अवस्थय में प्रदूषक कहलयते हैं , जब अत्यनधक मयत्रय में ननर्थमत इन पदयथों कय उनचत समय में
अवकषाण नहीं हो पयतय। घर की रसोई कय कू ड़य , मल मूत्र , कृ नष उत्पयददत अपनशष्ट , कयगज, लकड़ी तथय कपड़े इसके सयमयन्य
उदयहरण हैं।
जैव अननम्नीकरणीय प्रदूषक (Non-biodegradab।e Pollutants)
इस श्रेणी के प्रदूषक सरल उत्पयदों में नहीं पररवर्थतत होते। इस प्रकयर के प्रदूषक हैं- डी० डी० िी० , पीड़कनयशी, कीिनयशी,
पयरय, सीसय, आसेननक, ऐलुनमननयम, प्लयनस्िक तथय रे नडयोधमी कचरय। यह प्रदूषक कणीय , तरल अथवय गैसीय हो सकते हैं ,
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जो खयद्य श्रृांखलय में प्रवेश कर जीवों को हयनन पहुँचय सकते हैं। जैव अननम्नीकरणीय प्रदूषकों के खयद्य श्रृांखलय में प्रवेश करने से
नवनभन्न पोषण स्तरों में इनकय सयांद्रण बढ़ जयतय है, इसे जैव आवद्धान (Bio Magnification ) कहते हैं।
प्रदूषण के प्रकयर (Types of Pollution)
पययावरण के नवनभन्न घिकों को प्रदूनषत होने के आधयर पर प्रदूषण को ननम्ननलनखत वगों में बयँिय जय सकतय है- वययु प्रदूषण, जल प्रदूषण,
ध्वनन प्रदूषण, मृदय प्रदूषण एवां रे नडयोएनक्िव प्रदूषण।
वययु प्रदूषण (Air Pollution)
वययु ऑक्सीजन, नयइरोजन, कयबान डयइऑक्सयइड इत्ययदद गैसों कय नमश्रण है। वययु में इसकय एक नननित अनुपयत होतय है तथय इनके
अनुपयत में असांतुलन की नस्थनत में वययु प्रदूषण उत्पन्न होतय है।
वययु प्रदूषण के स्रोत
वययु प्रदूषण के स्रोतों को दो समूहों में रखय जय सकतय है-
(a) वययु प्रदूषण के प्रयकृ नतक स्रोत: दयवयनल (Forest fire), ज्वयलयमुखी की रयख, धूल भरी आांधी, कयबाननक पदयथों कय अपघिन, वययु
में उड़ते परयगकण आदद वययु प्रदूषण के प्रयकृ नतक स्रोत हैं।
(b) वययु प्रदूषण के मयनव ननर्थमत स्रोत: जनसांख्यय नवस्फोि, वनोन्मूलन, शहरीकरण, औद्योगीकरण आदद वययु प्रदूषण के मयनव ननर्थमत
स्रोत्र है। मनुष्य के अनेक दिययकलयपों द्वयरय वययु में छोड़ी जयने आसेननक , एस्बेस्िस, धूल के कण तथय रे नडयोधमी पदयथों द्वयरय भी वययु
प्रदूषण हो रहय है।
वययु-प्रदूषण से हयननययँ:
कयबान मोनोक्सयइड ( CO) वययु में अनधक मयत्रय में होने पर थकयवि , मयननसक नवकयर, फे फड़े कय कै न्सर आदद रोग होतय है।
हीमोग्लोनबन कयबान मोनोक्सयइड के सयथ प्रनतदियय कर कयबोक्सीहीमोग्लोनबन नयमक स्थयई यौनगक बनयतय है , जो नवषैलय
होतय है। इस कयरण दम घुिने से मृत्यु तक हो जयती है।
ओजोन परत में ह्रयस के कयरण परयबैंगनी ( UV) दकरणे अनधक मयत्रय में पृथ्वी तक पहुँचती हैं। परयबैंगनी दकरणों से आँखों तथय
प्रनतरक्षी तांत्र को नुकसयन पहुँचतय है एवां त्वचीय कै न्सर हो जयतय है। इसके कयरण वैनश्वक वषया , पयररनस्थनतक असांतुलन एवां
वैनश्वक खयद्यजयल (भोजन) की उपलधधतय पर भी प्रभयव पड़तय है।
रे फ्रीजेरेिर, अनिशमन यत्र तथय ऐरोसोल स्प्रे में उपयोग दकए जयने वयले क्लोरो-फ्लोरोकयबन ( CFC) से आोजोन परत कय
ह्रयस होतय है।
अम्लीय वषया कय कयरण भी वययु प्रदूषण ही है। यह वययु में उपनस्थत नयइरोजन तथय सल्फर के ऑक्सयइड के कयरण होती है।
इसके कयरण अनेक ऐनतहयनसक स्मयरक, भवन, मूर्थतयों कय सांक्षयरण हो जयतय है , नजससे उन्हें बहुत नुकसयन पहुँचतय है। अम्लीय
वषया से मृदय भी अम्लीय हो जयती है , नजससे धीरे -धीरे इसकी उवारतय कम होने लगती है , और उसकय कृ नष उत्पयदकतय पर
नवपरीत प्रभयव पड़तय है।
मोिरगयनड़यों की ननकयसक नली से ननमुाक्त सीसे (।ead) के कणों से एांथ्रैक्स व एनक्जमय रोग होतय है।
कु छ पीड़कनयनशयों से भी प्रदूषण होतय है। यह पीड़कनयशी जीवों की खयद्य श्रृांखलय में प्रवेश कर जयते हैं तथय जीव में उनकय
सयांद्रण बढ़तय जयतय है। इस प्रदियय की जैव आवधान ( Bio-magnification) कहते है। इसके कयरण वृक्क , मनस्तष्क एवां
पररसांचरण तांत्र में अनेक नवकयर उत्पन्न हो जयते हैं।
आसेननक पौधों को नवषयक्त बनय देती है, नजससे चयरे के रूप में पौधे की खयने वयले पशुओं की मृत्यु हो जयती है।
जीवयश्म ईंधन (कोयलय , पेरोनलयम आदद) के जलने से उत्पन्न कयबान डयइऑक्सयइड तथय मीथेन जैसी गैसें पृथ्वी से होने वयले
ऊष्मीय नवदकरण को रोक लेती हैं। इससे पृथ्वी कय तयप बढ़तय है, नजसके फलस्वरूप मौसम में पररवतान के सयथ-सयथ समुद्र तल
में भी वृनद्ध होती है। तयप के बढ़ने से नहमयच्छयददत चोरिययँ तथय नहम-खांड नपघलने लगेंगे नजससे बयढ़ आ सकती है।
कयरखयनों की नचमननयों से ननकलने वयली SO2, श्वयसनली में जलन पैदय करती है तथय फे फड़ों को क्षनत पहुँचयती है।
ग्रीन हयउस प्रभयव (Greenhouse Effect)
वययुमांडल में बढ़ती हुई हयननकयरक गैसें जैसे कयबान डयइऑक्सयइड , कयबान मोनोऑक्सयइड , सल्फर डयइऑक्सयइड आदद
वययुमांडल की ऊपरी सतह पर जमकर पृथ्वी के तयपमयन में वृनद्ध कर रही है। इसे ही ग्रीन हयउस प्रभयव कहते हैं।
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ये गैसें पृथ्वी से वयपस लौिने वयली अवरक्त दकरणों को रोककर वयतयवरण को गमा करती है। यदद वैनश्वक तयपमयन में वृनद्ध इसी
तरह से होती रहेगी तो ध्रुवों पर नस्थत बफा नपघलने लगेगें और इसकय सीधय प्रभयव समुद्री तिवती शहरों पर पड़ेगय जो जलमि
हो जयएगें।
समुद्रों में नस्थत कई द्वीप समूह कय अनस्तत्व ही समयप्त हो जयएगय। अतः ग्रीन हयउस प्रभयव आज की गांभीर पययावरणीय समस्यय
है।
जल-प्रदूषण Water Pollution
जब जल की भौनतक , रयसययननक तथय जैनवक गुणवत्तय में ऐसय पररवतान उत्पन्न हो जयए नजससे यह जीवों के नलए हयननकयरक तथय
प्रयोग हेतु अनुपयुक्त हो जयतय है, तो यह जल प्रदूषण कहलयतय है।
जल-प्रदूषण के स्रोत: जल-प्रदूषण के स्रोत दो प्रकयर के होते है-
नबन्दु स्रोत (Point sources): जल स्रोत के ननकि नबजलीघर , भूनमगत कोयलय खदयनें तथय तेल के कुां ए इस वगा के उदयहरण
हैं। यह स्रोत प्रदूषकों को सीधे ही जल में प्रवयनहत कर देते हैं।
अनबन्दु स्रोत (Non-point sources): यह अनेक स्थलों पर फै ले रहते हैं तथय जल में दकसी एक नबन्दु अथवय नननित स्थयन से
प्रवयनहत नहीं होते हैं। इनमें खेतों, बगीचों, ननमयाण स्थलों, जल-भरयव, सड़क एवां गनलयों इत्ययदद से बहने वयलय जल सनम्मनलत
है।
जल-प्रदूषक (Water po।।utants): अनेक पदयथा, जैसे-कै नल्सयम तथय मैिीनशयम के यौनगक प्रयकृ नतक स्रोतों से जल में घुल जयते हैं तथय
इसे अशुद्ध कर देते हैं। प्रोिोजोआ , जीवयणु तथय अन्य रोगयणु जल को सांदनू षत करते हैं। जल में तेल , भयरी धयतुएँ , अपमयजाक, घरे लू
कचरय तथय रे नडयोधमी कचरय भी जल-प्रदूषकों की श्रेणी में आते हैं।
जल प्रदूषण के हयननकयरक प्रभयव:
जल प्रदूषण के कयरण िययफयइड, अनतसयर, हैजय, नहपेियइरिस, पीनलयय जैसे रोग फै लते हैं।
जल में नवद्यमयन अम्ल तथय क्षयर, सूक्ष्म जीवों कय नवनयश कर देते हैं, नजससे नददयों के जल की स्वतः शुद्धीकरण प्रदियय अवरुद्ध
होती है।
प्रदूनषत जल में उपनस्थत पयरय, आसेननक तथय लेड (सीसय) जन्तु व पयदपों के नलए नवष कय कयया करते हैं।
वयनहत मल, जल में नमलकर शैवयलों की वृनद्ध को प्रेररत करते हैं , नजससे ये जल की सतह पर फै ल जयते हैं। शैवयलों की मृत्यु हो
जयने पर इनकय अपघिन होतय है और पयनी में ऑक्सीजन की कमी हो जयती है, फलतः जलीय जन्तु मरने लगते हैं।
िोनमयम तथय कै डनमयम समुद्री जन्तुओं की मृत्यु कय कयरण बनते हैं।
ध्वनन-प्रदूषण (Sound Po।।ution)
वयतयवरण में चयरों ओर फै ली अनननच्छत यय अवयांछनीय ध्वनन को ध्वनन प्रदूषण कहते हैं।
ध्वनन प्रदूषण के स्रोत: ध्वनन प्रदूषण कय स्रोत शोर (। oudness) ही है, चयहे वह दकसी भी तरह से पैदय हुई हो। कू लर , स्कू िर,
रे नडयो, िी० वी०, कयर, बस, रेन, रॉके ि, घरे लू उपकरण, वययुययन, लयउडस्पीकर, वयसशग मशीन, स्िीररयों, तोप, िैंक तथय
दूसरे सुरक्षयत्मक उपकरणों के अलयवय सभी प्रकयर की आवयज करने वयले सयधन, कयरक यय उपकरण ध्वनन प्रदूषण के स्रोत हैं।
ध्वनन प्रदूषण के हयननकयरक प्रभयव:
सतत् शोर होने के कयरण सुनने की क्षमतय कम हो जयती है तथय आदमी के बहरय होने की सांभयवनय बढ़ जयती है।
इसके कयरण थकयन, नसरददा, अननद्रय आदद रोग होते हैं।
शोर के कयरण रक्त दयब बढ़तय है तथय हृदय की धड़कन बढ़ जयती है।
इसके कयरण धमननयों में कोलेस्रोल कय जमयव बढ़तय है, नजसके कयरण रक्तचयप भी बढ़तय है।
इसके कयरण िोध तथय स्वभयव में उत्तेजनय पैदय होती है।
शोर में लगयतयर रहने पर बुढ़यपय जल्दी आतय है।
अत्यनधक शोर के कयरण एड्रीनल हयमोनों कय स्रयव अनधक होतय है।
हमेशय शोर में रहने पर जनन क्षमतय भी प्रभयनवत होती है।
इसके कयरण उपयपचयी दिययएँ प्रभयनवत होती हैं।
इसके कयरण सांवेदी तथय तांनत्रकय तांत्र कमजोर हो जयतय है।
सयमयन्य वयतयालयप कय शोर मूल्य 60 डेसीबल होतय है जबदक अांतरयाष्ट्रीय मयनक के अनुसयर ध्वनन45 डेसीबल होनी चयनहए।
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महत्वपूणा तथ्य
प्रयथनमक प्रदूषक अपने मूल स्वरुप में रहकर ही प्रदूषण फै लयते हैं । जैसे - DDT, प्लयनस्िक, Co, Co2 आदद । नद्वतीयक प्रदूषक
प्रयथनमक प्रदूषकों की अांतर्क्रियय से ननर्थमत होते हैं जैसे - पेरयॅक्सीएसीरिल नयइरेि ( Peroxyacety। Nitrate - PAN),
ओजोन, सल्फर रयईऑक्सयइड, सल्फ्यूररक अम्ल, हयइड्रोजन परऑक्सयइड, अमोननयय।
पौधों के परयगकण , वयष्पशील कयबाननक यौनगक , ज्वयलयमुखी नवस्फोि तथय जैनवक पदयथों के सड़ने - गलने से ननकलने वयली
गैसें जैसे - So2, नयइरोजन के ऑक्सयइड (Nox), वनयनि तथय समुद्र से ननकलने वयले कण प्रयकृ नतक प्रदूषकों के उदयहरण हैं।
कनणकीय प्रदूषकों के कयरण धुांध ( Haze) होती है तथय दृश्यतय प्रभयव कम हो जयतय है । सयथ ही ये प्रदूषक फे फड़े व श्वसन
प्रदियय को भी दुष्प्रभयनवत करते हैं।
नसगरे ि के धुएां एवां जीवयश्मों के अपूणा दहन से कयबान मोनोऑक्सयइड ( CO) ननकलती है। इसकी हीमोग्लोनबन से सांयोजन
क्षमतय ऑक्सीजन की अपेक्षय 300 गुनय अनधक होती है। इसकी अल्प मयत्रय भी मनुष्य में सयांस लेने में समस्यय उत्पन्न करती है।
इस कयरण इसको दमघोिू गैस कहते हैं। इसकय सवयानधक उत्सजान पररवहन से होतय है।
धूम कोहरय (Smog) धुँए और कोहरे कय नमश्रण होतय है। इसमें मुख्य तत्व ओजोन (O3) होतय है।
ननलांनबत कनणकीय पदयथा (Suspended particulate Matter) प्रकयश सांश्लेषण की प्रदियय को बयनधत करते हैं तथय श्वसन
तांत्र पर भी नचरकयलीन प्रभयव डयलते हैं। इनकय आकयर 0.01 um से 100 um तक होतय है।
एरोसॉल: 1 मयइिोन से 10 मयइिोन तक के सूक्ष्म कोलॉइडी कणों को एरोसॉल कहय जयतय है । इनकय उत्सजान कयरखयनों ,
तयप नवद्युत घरों , स्वचयनलत वयहनों, और कृ नष कययों से होतय है। ये खतरनयक रे नडएशन को ग्रहण कर लेते हैं। ये बयदलों के
जीवन-चि को प्रभयनवत करते हैं तथय एनल्बडो में वृनद्ध करते हैं।
फ्लयई ऐस (F।y Ash): इसकय उत्सजान मुख्यतः कोयलय आधयररत तयप नवद्युत गृहों से होतय है। यह पौधों की पनत्तयों पर जमय
होकर प्रकयशसांश्लेषण को बयनधत करतय है। इसकय उपयोग ईंि ननमयाण में तथय खेतों में नछड़कयव कर जलग्रहण क्षमतय बढ़यने में
दकयय जय सकतय है।
10um से छोिे आकयर के कण नजन्हें PM 10 भी कहते हैं। श्वसनशील ननलांनबत कनणकीय पदयथा ( Respiratory
Suspended particulate Matter-RSPM) कहलयते हैं। भयरत में PM 2.5 एवां PM 10 की नस्थनत सचतयजनक होती जय
रही है।
भोपयल गैस त्रयसदी (1984) नमथयइल आइसोसयइनेि (MIC ) गैस के लीक होने से हुई।
ओज़ोन कय नवघिन करने वयले पदयथा मुख्यतः क्लोरोफ्लोरोकयबान (CFC), हयइड्रोक्लोरोफ्लोरोकयबान (HCFC), कयबान
रेक्ियक्लोरयइड (CC14) आदद हैं।
तयपमयन उत्िमण तब होतय है जब ठां डी वययु के ऊपर गमा वययु की एक परत बन जयती है। इससे ऊांचयई के सयथ तयपमयन नगरने
की सयमयन्य प्रदियय उलि जयती है नजससे सांवहनीय वययु धयरयएँ (नजससे सयमयन्यतः प्रदूषक नबखर जययय करते हैं ) नहीं चल
पयती।
तेल अनधप्लयव कय प्रवयल नभनत्तयों पर सीधय प्रभयव पड़तय है। इससे खयद्य श्रृांखलय भी प्रभयनवत होती है।
कु छ सहनशील प्रजयनतययँ जैसे एनेनलड तथय कु छ कीि कम घुली हुई ऑक्सीजन वयले जल में भी जीनवत रह पयते हैं। ऐसे जीवों
को प्रदूनषत जल की सूचक प्रजयनतययँ (Indicator Species) कहते हैं।
िेरी ( TERI) द्वयरय नवकनसत ऑयल जैसपग ( Oil Zapping) जैनवक उपचयर ( Bio Zapping ) जैनवक उपचयर
(Bioremediation ) की एक नवनध है । इसमें बैक्िीररयय कय प्रयोग कर तेल अनधप्लयव को ननयांनत्रत दकयय जयतय है । ये ऑयल
जैपर बैक्िीररयय तेल में उपनस्थत हयइड्रोकयबान को खयकर उसे गैर - हयननकयरक कयबान डयइऑक्सयइड और जल में बदल देते हैं।
उच्च तयपमयन पर जल में ऑक्सीजन कय नवलयन कम होतय है। अतः उद्योगों से ननकले अपनशष्ट गमा जल को जब जलयशयों में
डयलय जयतय है तो वह उनकी DO की मयत्रय को कम कर देतय है । DO की मयत्रय लवणतय बढ़ने पर घिती है तथय दयब के बढ़ने
पर बढ़ती है। जब जल में DO (Disso।ved Oxygen) की मयत्रय 8.0mg / लीिर से कम हो जयती है तो इसे अत्यनधक प्रदूनषत
कहते हैं।
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जैनवक ऑक्सीजन मयांग (Biological Oxygen Demand: BOD): ऑक्सीजन की वह मयत्रय जो जल में कयबाननक पदयथों के
जैव रयसययननक अपघिन के नलए आवश्यक होती है। जहयँ उच्च BOD है वहयँ DO ननम्न होगय। जल प्रदूषण की मयत्रय को BOD
के मयध्यम से मयपय जयतय है।
प्रदूषकों से होने वयले नवनभन्न रोग:
कै डनमयम प्रदूषण से इियई-इियई रोग तथय हनियों एवां जोड़ों में तीि ददा होतय है तथय यकृ त एवां फे फड़े कय कैं सर भी हो जयतय
है ।
पेयजल में नयइरेि की मयत्रय अनधक होने से नवजयत नशशुओं में मेथेमोग्लोनबनेनमयय यय धलू बेबी ससड्रोमहो जयतय है ।
पयरययुक्त जल से प्रभयनवत मछनलयों के सेवन से 1956 में जयपयन में नमनयमयिय बीमयरी से अनेक लोगों की मौत हो गई थी।
सीसय युक्त जल से एनीनमयय, नसर ददा, मयांसपेनशयों की कमजोरी एवां मसूड़ों में नीलयपन आदद प्रभयव ददखयई देते हैं।
पेयजल में फ्लोरयइड की अनधकतय से फ्लोरोनसस नयमक रोग हो जयतय है नजससे दयांत एवां हनिययां कमजोर हो जयती हैं ।
आसेननक युक्त जल के प्रयोग से धलैक फु ि नयमक चमा रोग हो जयतय है। इसके अलयवय आसेननक से डययररयय, हयइपरकीरे िोनसस,
पेरीफे रल न्यूरीरिस तथय फे फड़े एवां त्वचय कय कैं सर हो जयतय है ।
अपनशष्ट जल के बहयव के सयथ जब जलीय तांत्र में पोषक तत्वों कय प्रवेश होतय है (नवशेषकर फॉस्फे िस) तब अत्यनधक पोषकों
की उपलधधतय के कयरण शैवयलों कय तेज गनत से नवकयस होतय है, नजसे शैवयल धलूम (A।ga। Bloom) कहय जयतय है।
NPCA (National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystem) कय लक्ष्य जल की गुणवत्तय में सुधयर लयने के
नलए झीलों एवां नम भूनमयों कय सांरक्षण एवां पुनरुद्धयर तथय एक सयमयन्य नवननययमक सांरचनय के मयध्यम से जैव नवनवधतय एवां
पयररनस्थनतकी में सुधयर लयनय है।
व्हेल पर समुद्री ध्वनन प्रदूषण कय सवयानधक प्रभयव पड़तय है। इससे उनके आवयस की समस्यय उत्पन्न हो जयती है।
के न्द्रीय प्रदूषण ननयांत्रण बोडा द्वयरय ' कें द्रीय गांगय प्रयनधकरण ' (CGA) कय गठन कर 1985 में गांगय एक्शन प्लयन ( GAP) की
शुरुआत की गई। GAP - I सन 1986 से 1993 तक चलय।
नवश्व स्वयस्थ्य सांगठन (WHO) ने ध्वनन की उच्चतय कय स्तर ददन में45db तथय रयनत्र में 35db नननित दकयय है ।
नयनभकीय पयवर उद्योग के इनतहयस में नमनडलियउन ( USA) के ' थ्री मयइल आइलैंड ' में 1979 में और चनोनबल नयनभकीय
सांयांत्र सोनवयत सांघ में 1986 में तथय जयपयन के फु कु नशमय की दुघािनयएँ महयनवनयशक थीं।
नददयों की मछनलयों कय तयपमयन परयस, झील की मछनलयों के तयपमयन परयस से अनधक होतय है।
लीसचग (leaching) एक प्रदियय है नजसमें ठोस अपनशष्ट नमट्टी एवां भूनमगत जल में पहुांचतय है तथय उन्हें दूनषत करतय है।
ई-अपनशष्ट
ई-अपनशष्ट कय ननमयाण इलेनक्रकल एवां इलेक्रॉननक उपकरणों के अनुपयुक्त एवां बेकयर हो जयने से होतय है। इनमें अनेक
खतरनयक रसययन एवां भयरी धयतुएँ , जैसे - सीसय , कै डनमयम, बेररनलयम पयए जयते हैं , जो मयनव स्वयस्थ्य के नलए खतरनयक
हैं। ई-अपनशष्ट से मुख्यतः आसेननक , सीसय, कोबयल्ि, कॉपर, बेररयम कै डनमयम आदद तत्वों कय ननष्कयसन होतय है । इसके
अनतररक्त सेलेननयम, मका री, बेरेनलयम, PVC, PCB आदद भी प्रमुख हैं ।
ई - पररसर (E - Complex) भयरत की प्रथम वैज्ञयननक ई - अपनशष्ट पुनचािण इकयई है जो नसतांबर 2005 में प्रयरां भ की गई ।
बेसल कन्वेंशन एक अांतररयष्ट्रीय सांनध है जो ई-अपनशष्ट के दो देशों के बीच स्थयनयांतरण को प्रनतबांनधत करती है।
भयरत में महयरयष्ट्र सबसे अनधक उसके बयद तनमलनयडु , आांध्र प्रदेश व उत्तर प्रदेश ई-अपनशष्ट कय उत्पयदक करते हैं। शहरों की
बयत की जयये तो मुांबई, ददल्ली व बेंगलुरु सबसे ज्ययदय ई - वेस्ि पैदय करते हैं।
बययोपयइल्स ( Biopiles) लैंड फयर्ममग एवां कम्पोसस्िग कय नमनश्रत रूप है। इसकय प्रयोग पेरोनलयम हयइड्रोकयबान से सांदनू षत
सतह के उपचयर में दकयय जयतय है।
मृदय एवां जल में उपनस्थत सांदष
ू कों को पयदपों की मदद से हियनय फयइिोरीमेनडएशन (Phytoremediation) कहलयतय है।
Phytoextraction यय Phytoaccumu।ation में पयदप मृदय के सांदष
ू कों की अपनी जड़ों एवां पनत्तयों में सांगृहीत कर
जैवोपचयर की दियय सांपन्न करते हैं , जैसे - सूरजमुखी द्वयरय आसेननक, सरसों द्वयरय सीसय तथय नवलो द्वयरय कै डनमयम कय सांग्रहण
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होतय है।
रयइजोदफल्रेशन ( Rhizofi।tration) पौधों की जड़ों द्वयरय , जल के जैव उपचयर की तकनीक है नजसकय प्रयोग प्रयकृ नतक नम
भूनमयों एवां ज्वयरनदमुखों में सांदष
ू कों की मयत्रय कम करने में दकयय जयतय है।
भयरत में इलेक्रयननक्स वेस्ि के मुख्य स्रोत सरकयरी , पनधलक एवां ननजी (औद्योनगक ) क्षेत्र हैं , नजनकय सनम्मनलत योगदयन कु ल
अपनशष्ट उत्पयदन कय 70% है ।
प्लयनस्िक में मौजूद Phthalates एवां Bisphenol A मयनव में कैं सर उत्पन्न करते हैं।
सूक्ष्मजीव, जीवयणु, कवक आदद कय प्रयोग कर पययावरण सांदष
ू कों को कम नवषयक्त पदयथों में अपघरित करनय जैवोपचयर
कहलयतय है।
कवक (Fungi) कय प्रयोग कर दकयय जयने वयलय जैवोपचयर मैकोरे मेनडएशन (Mycoremediation) कहलयतय है।
जैवनवनवधतय
जैनवक नवनवधतय के बयरे में
जैव नवनवधतय से तयत्पया नवस्तृत रूप से उन नवनभन्न प्रकयर के जीव-जांतु और वनस्पनत से है जो सांसयर में यय दकसी नवशेष क्षेत्र
में एक सयथ रहते है।
जैवनवनवधतय शधद की खोज - वयल्िर जी. रौसेन द्वयरय 1985 में की गई।
ई.ओ. नवल्सन को जैवनवनवधतय कय जनक कहय जयतय है।
भयरत में जैव नवनवधतय
भयरत जैव नवनवधतय समृद्ध देश है। नवश्व कय 2.4 प्रनतशत क्षेत्रफल होने के बयवजूद यह नवश्व की 7-8 प्रनतशत सभी दजा
प्रजयनतयों (नजनमें 45,000 पयदप प्रजयनतययां एवां 91,000 जांतु प्रजयनतययां) कय पययावयस स्थल है।
प्रजयनतयों की सांवृनद्ध के मयमले में भयरत स्तनधयररयों में 7वें, पनक्षयों में 9वें और सरीसृप में 5वें स्थयन पर है। नवश्व के 11
प्रनतशत के मुकयबले भयरत में 44 प्रनतशत भू−भयग पर फसलें बोई जयती हैं। भयरत के 23.39 प्रनतशत भू−भयग पर पेड़ और
जांगल नवस्तयररत हैं।
ऐसे में भयरत में जैव नवनवधतय कय सांरक्षण अपररहयया हो जयतय है। जैव नवनवधतय के सांरक्षण के नलए कई उपयय दकए गए हैं
जैसे दक 103 रयष्ट्रीय उद्ययनों की स्थयपनय, 510 वन्य जीव अभ्ययरण्ड्यों की स्थयपनय, 50 ियइगर ररजवा, 18 बययोस्फीयर ररजवा,
3 कां जवेशन ररजवा तथय दो सयमुदयनयक ररजवा की स्थयपनय।
जैव नवनवधतय के सांरक्षण के नलए रयष्ट्रीय जैव नवनवधतय कयरा वयई योजनय (एनबीएपी) तैययर दकयय गयय है जो दक वैनश्वक जैव
नवनवधतय रणनीनतक योजनय 2011-20 के अनुकूल है नजये 2010 में कां वेंशन ऑन बययोलॉनजक डयइवर्थसिी की बैठक में
स्वीकयर दकयय गयय।
भयरत में जैव नवनवधतय व सांबांनधत ज्ञयन के सांरक्षण के नलए वषा 2002 में जैव नवनवधतय एक्ि तैययर दकयय गयय। इस एक्ि के
दिययन्वयन के नलए नत्रस्तरीय सांस्थयगत ढ़यांचय कय गठन दकयय गयय है।
इस अनधननयम की धयरय 8 के तहत सवोच्च स्तर पर वषा 2003 में रयष्ट्रीय जैव नवनवधतय प्रयनधकरण कय गठन दकयय गयय
नजसकय मुख्ययलय चेन्नई में है। यह एक वैधयननक ननकयय है नजसकी मुख्य भूनमकय नवननययमक व परयमशा प्रकयर की है।
रयज्यों में रयज्य जैव नवनवधतय प्रयनधकरण की भी स्थयपनय की गईं हैं। स्थयनीय स्तर पर जैव नवनवधतय प्रबांध सनमनतयों
(बीएमसी) कय गठन दकयय गयय है। एनबीए के डेिय के अनुसयर देश के 26 रयज्यों ने रयज्य जैव नवनवधतय प्रयनधकरण एवां जैव
नवनवधतय प्रबांध सनमनतयों कय गठन दकयय है।
वषा 2016 में बीएमसी की सांख्यय 41,180 थी जो वषा 2018 में बढ़कर 74,575 हो गईं। अके ले महयरयष्ट्र एवां मध्य प्रदेश में ही
43,743 बीएमसी कय गठन दकयय गयय है। इन सांस्थयगत ढ़यांचयओं कय उद्देश्य देश की जैव नवनवधतय एवां सांबांनधत ज्ञयन कय
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सांरक्षण, इसके सतत उपयोग में मदद करनय तथय यह सुनननित करनय दक जैनवक सांसयधनों के उपयोग से जननत लयभों को उन
सबसे उनचत व समयन रूप से सयझय दकये जयएां जो इसके सांरक्षण, उपयोग एवां प्रबांधन सांलि हैं।
जैव नवनवधतय हॉिस्पॉि
नवश्व के 34 जैव नवनवधतय हॉि स्पॉि में से चयर भयरत में हैं। इसी प्रकयर नवश्व के 17 मेगय-डययवर्थसिी देशों में भयरत शयनमल
है। इस प्रकयर जैव नवनवधतय न के वल इकोनसस्िम कययातांत्र के आधयर कय ननमयाण करतय है वरन् यह देश में आजीनवकय को भी
आधयर प्रदयन करतय है।
ऐसे क्षेत्र जो जैववनवनवधतय की दृनष्ट से सम्पन्न हों , जहयँ प्रजयनतयों की सांख्यय की अनधकतय हो और स्थयननक प्रजयनतयों की
सांख्यय अनधक हो, ‘‘जैव नवनवधतय हयॅिस्पयॅि‘‘ कहलयते हैं। नब्ररिश बयॅयोलयॅनजस्ि नयमान मययसा द्वयरय बयॅयोडयॅयवर्थसिी
हयॅिस्पयॅि शधद की खोज 1988 में की गई।
o नहमयलय- सम्पूणा भयरतीय नहमयलय क्षेत्र नजसमें पयदकस्तयन, नतधबत, नेपयल, भूियन, चीन, म्ययमयांर सनम्मनलत हैं।
o इन्डो-बमया-सम्पूणा उत्तरी पूवी भयरत(असम एवां अांडमयन द्वीप को छोड़कर)
o पनिमी घयि एांव श्रीलांकय-सम्पूणा पनिमी घयि
o सुांडयलैंड-ननकोबयर द्वीप समूह (इां डोनेनशयय, मलेनशयय, ससगयपुर, ब्रुनेई, दफलीपींस सनम्मनलत हैं।
पयररनस्थनतकीय दृनष्ट से सांवेदनशील क्षेत्र
(Eco।ogica।।y Sensitive Area- ESA):
यह सांरनक्षत क्षेत्रों, रयष्ट्रीय उद्ययनों और वन्यजीव अभययरण्ड्यों के आसपयस 10 दकलोमीिर के भीतर नस्थत क्षेत्र होतय है।
पययावरण सांरक्षण अनधननयम , 1986 के तहत पययावरण , वन एवां जलवययु पररवतान मांत्रयलय द्वयरय ESAs को अनधसूनचत
दकयय जयतय है।
इसकय मूल उद्देश्य रयष्ट्रीय उद्ययनों और वन्यजीव अभययरण्ड्यों के आसपयस कु छ गनतनवनधयों को नवननयनमत करनय है तयदक
सांरनक्षत क्षेत्रों को शयनमल करने वयले सांवेदनशील पयररनस्थनतकी तांत्र पर ऐसी गनतनवनधयों के नकयरयत्मक प्रभयवों को कम दकयय
जय सके ।
दकसी क्षेत्र को ESA घोनषत करने कय उद्देश्य:
कु छ प्रकयर के 'शॉक अधज़यबार' बनयने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों के आसपयस की गनतनवनधयों कय प्रबांधन एवां ननयमन करनय।
अत्यनधक सांरनक्षत एवां अपेक्षयकृ त कम सांरनक्षत क्षेत्रों के बीच एक सांिमण क्षेत्र (Transition Zone) प्रदयन करने के नलये।
पययावरण सांरक्षण अनधननयम, 1986 की धयरय 3 (2) (v) जो उद्योगों के सांचयलन को प्रनतबांनधत करतय है यय कु छ क्षेत्रों में दकये
जयने वयली प्रदिययओं यय उद्योगों को सांचयनलत करने हेतु कु छ सुरक्षय उपययों को बनयए रखने के नलये प्रनतबांनधत करतय है , को
प्रभयवी करने के नलये।
जैव नवनवधतय ह्रयस के कयरण
प्रयकृ नतक कयरण
ज्वयलयमुखी उद्गयर
जलवययु पररवतान
सूखय एवां अकयल
पृथ्वी उल्कय सपड की िक्कर
मयनव जननत कयरण ( Human reason )
प्रयकृ नतक आवयसों कय नवनयश
आवयसों कय नवखांडन
वन्यजीवों कय अवैध नशकयर
झूम खेती
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औद्योगीकरण
ननवानीकरण
आवयस नवनयश जैव नवनवधतय कय मुख्य कयरण है। नवदेशी जयनतयों के प्रवेश से जैव नवनवधतय कय क्षय होतय है। यह स्थयननक
प्रजयनतयों को नष्ट कर देते हैं। जैसे-अमेररकय के गेहूँ के सयथ आययनतत गयजर घयस, मेनक्सको से लययय गयय लैंियनय कमयरय।
कीिनयशक और ग्लोबल वयर्ममग भी जैव नवनवधतय नष्ट होने कय कयरण है। भयरत कय सबसे बड़य वयनस्पनतक उद्ययन श्री वेंकिेश्वर
नतरुपुर है।
प्रयकृ नतक सांरक्षण के नलए अांतरयाष्ट्रीय सांघ ( International Union for Conservation of Nature – IUCN )
स्थयपनय – 5 अक्िू बर 1948
मुख्ययलय-ग्लयण्ड्ि(नस्वट्जरलैंड)
नवश्व कय सबसे पुरयनय एवां सबसे बड़य वैनश्वक नेिवका है।
सरकयरी और गैर सरकयरी दोनों सांगठनों के सदस्य होते हैं।
इसे सांयुक्त रयष्ट्र महयसभय कय पयावेक्षक दजया प्रयप्त है।
यह सांयुक्त रयष्ट्र सांघ कय अांग नहीं है।
मुख्य कयया- वन नवश्व वन्यजीव कोष(WWF) के कययों के सयथ-सयथ समन्वय स्थयनपत कर वैज्ञयननक रूप से सांरक्षण तकनीकी को बढ़यवय
देतय है। अन्य चयर क्षेत्रों पर कयया
जलवययु पररवतान
सांपोषणीय ऊजया
आजीनवकय
हररत अथाव्यवस्थय
रे ड डयिय बुक (Red data book)
नवश्व प्रकृ नत एवां प्रयकृ नतक सांसयधन सांरक्षण सांस्थयन आईयूसीएन स्थयपनय 1948 में हुई।
इस सांस्थय में 1972 में रे ड डयिय बुक कय प्रकयशन दकयय। रे ड डयिय बुक में जयनतयों के आवयस तथय वतामयन में उनकी सांख्यय को
सूचीबद्ध दकयय जयतय है। इसमें ियांनतक रूप से सांकिग्रस्त जीवों को गुलयबी पृष्ठ पर तथय पययाप्त सांख्यय में वृनद्ध होने पर उन्हें हरे
पृष्ठ पर स्थयनयांतररत दकयय जयतय है।
सांकिग्रस्त प्रजयनतयों की आईयूसीएन लयल डेिय सूची (रे ड नलस्ि) ( 1994 में शुरूआत) को पौधों और पशु प्रजयनतयों के सांरक्षण
की नस्थनत कय मूल्ययांकन करने के व्ययपक उद्देश्य के वैनश्वक दृनष्टकोण के रूप में मयन्यतय दी गयी है।
वल्डा वयइल्डलयइफ फां ड
वल्डा वयइल्डलयइफ फां ड फॉर नेचर एक अांतरयाष्ट्रीय गैर सरकयरी सांगठन है।
इसकय स्थयपनय वषा 1961 में नस्वट्ज़रलैंड में एक धमयाथा रस्ि के रूप में हुई थी।
यह नवश्व कय सबसे बड़य स्वतांत्र सांगठन है जो पययावरण के सांरक्षण शोध एवां पुनस्थयापनय के नलये कयया करतय है।
भयरत में भी वल्डा वयइल्डलयइफ फां ड इां नडयय (World Wildlife Fund india) कययारत है।
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वल्डा वयइल्डलयईफ फां ड
वल्डा वयइल्डलयईफ फां ड फॉर नेचर एक अांतरयाष्ट्रीय गैर सरकयरी सांगठन है।
इसकय स्थयपनय वषा 1961 में नस्वट्ज़रलैंड में एक धमयाथा रस्ि के रूप में हुई थी।
यह नवश्व कय सबसे बड़य स्वतांत्र सांगठन है जो पययावरण के सांरक्षण शोध एवां पुनस्थयापनय के नलये कयया करतय है।
भयरत में भी वल्डा वयइल्डलयईफ फां ड इां नडयय (Wor।d Wi।d।ife Fund india) कययारत है।
गांगय नदी डॉनल्फन
गांगय डॉनल्फन गांगय-ब्रह्मपुत्र-ससधु-मेघनय नदी अपवयह तांत्र नजसमें भयरत, नेपयल और बयांग्लयदेश शयनमल हैं में पयई जयती है।
भयरत में ये असम, उत्तर प्रदेश, नबहयर, मध्य प्रदेश, रयजस्थयन, झयरखण्ड्ड और पनिम बांगयल रयज्यों में पयई जयती है।
गांगय, चम्बल, घयघरय, गण्ड्डक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र इनकी पसांदीदय अनधवयस नददययँ हैं।
अलग-अलग स्थयनों पर सयमयन्यतः इसे गांगय नदी डॉनल्फ़न , धलयइां ड डॉनल्फ़न, गांगय ससु, नहहु, सयइड-नस्वसमग डॉनल्फन, दनक्षण
एनशययई नदी डॉनल्फन, आदद नयमों से जयनय जयतय है।
इसकय वैज्ञयननक नयम प्लैिननस्िय गैंगेरिकय (P।atanista gangetica) है।
भयरत सरकयर ने इसे भयरत कय रयष्ट्रीय जलीय जीव घोनषत दकयय है।
यह CITES के पररनशष्ट 1 में सूचीबद्ध है तथय IUCN की लुप्तप्रयय (Endangered) सूची में शयनमल है।
सांयुक्त रयष्ट्र सांघ ने 2007 को डॉनल्फन वषा घोनषत दकयय थय।
नगद्ध (Vu।ture )
वषा 1990 के उत्तरयद्धा में , जब देश में नगद्धों की सांख्यय में तेजी से नगरयवि होने लगी उस दौरयन रयजस्थयन के के वलयदेव रयष्ट्रीय
उद्ययन में सफे द पीठ वयले एक नगद्ध ( White-backed vu।ture) को बचययय गयय जहयँ नगद्धों की सांख्यय में सचतयजनक दर से
नगरयवि हो रही थी।
नगद्धों की मौत के कयरणों पर अध्ययन करने के नलये वषा 2001 में हररययणय के सपजौर में एक नगद्ध देखभयल कें द्र ( Vu।ture
Care Centre-VCC) स्थयनपत दकयय गयय। कु छ समय बयद वषा 2004 में नगद्ध देखभयल कें द्र को उन्नत (Upgrade) करते हुए
देश के पहले ‘नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र’ की स्थयपनय की गई।
नगद्धों की नौ प्रजयनतययँ भयरत की स्थयननक हैं, परां तु अनधकयांश पर नवलुप्त होने कय खतरय है।
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इस समय देश में नौ नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र हैं , नजनमें से तीन बॉम्बे नेचुरल नहस्री सोसययिी ( BNHS) के द्वयरय प्रत्यक्ष
रूप से प्रशयनसत दकये जय रहे हैं।
नगद्धों की सांख्यय में नगरयवि कय प्रमुख कयरण नडक्लोदफनेक (Dic।ofenac), नयनस्िीरोइडल एांिी-इनफ्लेमेिरी दवय है , जो
पशुओं के शवों को खयते समय नगद्धों के शरीर में पहुँच जयती है।
पशु नचदकत्सय में प्रयोग की जयने वयली दवय नडक्लोदफनेक को वषा 2008 में प्रनतबांनधत कर ददयय गयय। इसकय प्रयोग मुख्यत:
पशुओं में बुखयर/सूजन/उत्तेजन की समस्यय से ननपिने में दकयय जयतय थय।
नडक्लोदफनेक दवय के जैव सांचयन (शरीर में कीिनयशकों, रसययनों तथय हयननकयरक पदयथों कय िनमक सांचयन) से नगद्धों के गुदे
(Kidney) कयम करनय बांद कर देते हैं नजससे उनकी मौत हो जयती है।
नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र
नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र हररययणय वन नवभयग तथय बॉम्बे नेचुरल नहस्री सोसययिी कय एक सांयुक्त कययािम है।
नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र को वषा 2001 में स्थयनपत नगद्ध देखभयल कें द्र के नयम से जयनय जयतय थय।
‘सयउथ एनशयय वल्चर ररकवरी प्लयन’ के प्रकयनशत होने के सयथ ही वषा 2004 में नगद्ध देखभयल कें द्र के उन्नत सांस्करण के रूप में
नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र की स्थयपनय की गई।
एनशयय से समयप्त हो रहे नगद्धों के सांरक्षण के नलए 'SAVE' ( Saving Asia's Vu।tures From Extinction- SAVE)
कययािम चलययय गयय।
उत्तर प्रदेश सरकयर ने महयरयजगांज नजलय के फरें दय क्षेत्र में रयज्य कय प्रथम नगद्ध सांरक्षण व प्रजनन कें द्र स्थयनपत करने कय ननणाय
नलयय है। रयज्य में अपनी तरह कय यह पहलय नगद्ध सांरक्षण एवां प्रजनन कें द्र हररययणय के सपजौर नस्थत जिययु सांरक्षण प्रजनन
कें द्र की तजा पर स्थयनपत दकयय जयएगय।
हयथी सांरक्षण
प्रोजेक्ि एलीफैं ि 1992 में कें द्र सरकयर द्वयरय हयँथी की सांख्यय बढ़यने तथय उनके प्रयकृ नतक आवयस क्षेत्र में उनको प्रनतस्थयनपत
करने के नलए शुरू दकयय गयय।
भूनम कय वह सँकरय गनलययरय यय रयस्तय जो हयनथयों को एक वृहद पययावरण से जोड़तय है , हयथी गनलययरय ( E।ephant
Corridor ) कहलयतय है। भयरत में अभी 88 हयथी गनलययरे हैं।
हयनथयों को सांरनक्षत रखने के उद्देश्य से अक्िू बर, 2010 में कें द्र सरकयर द्वयरय हयथी को रयष्ट्रीय नवरयसत पशु घोनषत दकयय है।
2003 में सयइट्स ( CITIES) के CoP द्वयरय ' हयनथयों की अवैध हत्यय की ननगरयनी कययािम ' (MIKE) की शुरुआत दनक्षण
एनशयय के देशों में की गई ।
मयइक ( MIKE) कय उद्देश्य हयनथयों की अवैध हत्यय की प्रवृनत्तयों कय आकलन करनय , हयथी दयँत तथय अन्य अांगों के अवैध
व्ययपयर पर नजर रखनय है।
ओनलव ररडले कछु ए
ओनलव ररडले समुद्री कछु ओं (।epidoche।ys O।ivacea) को ‘प्रशयांत ओनलव ररडले समुद्री कछु ओं’ के नयम से भी जयनय जयतय
है।
यह मुख्य रूप से प्रशयांत , नहन्द और अिलयांरिक महयसयगरों के गमा जल में पयए जयने वयले समुद्री कछु ओं की एक मध्यम आकयर
की प्रजयनत है। ये मयँसयहयरी होते हैं।
ओनलव ररडले व अन्य कछु ओं की सांकिग्रस्त प्रजयनतयों के सांरक्षण के नलए पययावरण , वन एवां जलवययु पररवतान मांत्रयलय एवां यू
एन डीपी ( UNDP - United Nations Deve।opment Programme) ने सयझे तौर पर 1999 में 'भयरतीय वन्यजीव
सांस्थयन, देहरयदून' में समुद्री कछु आ प्रोजेक्ि की शुरुआत की।
बयघ सांरक्षण
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वषा 1973 में भयरत सरकयर ने बयघ को भयरत कय रयष्ट्रीय पशु घोनषत दकयय और प्रोजेक्ि ियइगर ( Project Tiger) नयम से
एक सांरक्षण योजनय शुरू की नजसके तहत बयघों के नशकयर पर प्रनतबांध लगय ददयय गयय।
'प्रोजेक्ि ियइगर' पययावरण, वन एवां जलवययु पररवतान मांत्रयलय की एक सतत् कें द्र प्रययोनजत योजनय है जो बयघ सांरक्षण के नलये
कें द्रीय सहययतय प्रदयन करती है।
वतामयन में 'प्रोजेक्ि ियइगर ' के तहत सांरनक्षत ियइगर ररज़वा की सांख्यय 50 हो गई है , हयलयँदक ये ियइगर ररज़वा आकयर में
अपेक्षयकृ त कयफी छोिे हैं।
रयष्ट्रीय बयघ सांरक्षण प्रयनधकरण (NTCA)
रयष्ट्रीय बयघ सांरक्षण प्रयनधकरण ( NTCA) पययावरण, वन और जलवययु पररवतान मांत्रयलय के तहत एक वैधयननक ननकयय
(Statutory Body) है।
रयष्ट्रीय बयघ सांरक्षण प्रयनधकरण ( NTCA) की स्थयपनय वषा 2006 में वन्यजीव (सांरक्षण) अनधननयम , 1972 के प्रयवधयनों में
सांशोधन करके की गई। प्रयनधकरण की पहली बैठक नवांबर 2006 में हुई थी।
यह रयष्ट्रीय बयघ सांरक्षण प्रयनधकरण ( NTCA) के प्रययसों कय ही पररणयम है दक देश में नवलुप्त होते बयघों की सांख्यय में
उल्लेखनीय वृनद्ध हुई है।
बयघ जनगणनय
आल इां नडयय ियइगर एस्िीमेशन ररपोिा 2018 को जयरी दकयय गयय, इस ररपोिा के मुतयनबक देश में 2,967 बयघ हैं। इस ररपोिा
को प्रधयनमांत्री मोदी द्वयरय नवश्व बयघ ददवस ( 29 जुलयई) को सयवाजननक दकयय गयय। इससे पहले 2006, 2010 और 2014 में
बयघों की गणनय ररपोिा जयरी की जय चुकी है।
पययावरण एवां वन मांत्रयलय के अांतगात भयरतीय वन्यजीव सांस्थयन (Wi।d।ife Institute of India) ने देश भर के ियइगर ररज़वा,
रयष्ट्रीय उद्ययन (Nationa। Park) तथय अभययरण्ड्यों में बयघों की नगनती की।
शीषा 5 सबसे अच्छय प्रदशान करने वयले रयज्य : मध्य प्रदेश में 526 बयघ, कनयािक में 524, उत्तरयखांड में 442 बयघ, महयरयष्ट्र में
312 बयघ तथय तनमलनयडु में 264 बयघ हैं। के वल छत्तीसगढ़ और नमजोरम में ही बयघों की सांख्यय में कमी आई है।
बयघों की सांख्यय में वषा 2006 से वषा 2010 तक 21 प्रनतशत तथय वषा 2010 से वषा 2014 तक 30 प्रनतशत की वृनद्ध दजा की
गई थी।
इस नई ररपोिा में तीन ियइगर ररज़वा बक्सय (पनिम बांगयल) , डांपय (नमज़ोरम) और पलयमू (झयरखांड) में बयघों के अनुपनस्थनत
दजा की गई है।
सवयानधक बयघ मध्य प्रदेश के पेंच ियइगर ररज़वा में पयए गये हैं। 2014 के बयद बयघों की सांख्यय में सवयानधक सुधयर तनमलनयडु के
सत्यमांगलम ियइगर ररज़वा में हुआ है।
यह 2006 के बयद चौथी बयघ जनगणनय है , इसकय आयोजन प्रत्येक चयर वषा के बयद दकयय जयतय है। इस सवेक्षण के दौरयन वन
अनधकयररयों ने 3,81,400 वगा दकलोमीिर के क्षेत्र को कवर दकयय। इसके नलए 26,760 कै मरय रैप लगयये गये थे।
बयघ सांगणनय-2018 को दुननयय के सबसे बड़े 'कै मरय रैप सवे ऑफ वयइल्डलयइफ' के रूप में 'नगनीज़ वल्डा ररकॉडा' के रूप में दजा
दकयय गयय है।
ररपोिा में प्रमुख 'बयघ गनलययरों' की नस्थनत कय मूल्ययांकन दकयय गयय है और सुभेद्य क्षेत्रों ; जहयँ नवशेष सांरक्षण की आवश्यकतय
है, पर प्रकयश डयलय गयय है।
बयघ सांगणनय के नलये 'मॉननिटरग नसस्िडम फॉर ियइगसा इां िेंनसव प्रोिेक्शैन एांड इकोलॉनजकल स्िे ट्सMonitoring
( system
for Tigers’ Intensive Protection and Eco।ogica। Status) अथयात M-STrIPES कय इस्तेिमयल दकयय गयय।
इस ररपोिा के अनुसयर उत्तर प्रदेश में बयघों की सांख्यय173 है।
बयघ ददवस
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दुननययभर में 29 जुलयई को अांतरयाष्ट्रीय बयघ ददवस के रूप में मनययय जयतय है नजसकय उद्देश्य बयघों के सांरक्षण के बयरे में लोगों
में जयगरूकतय पैदय करनय है।
29 जुलयई वषा 2010 में रूस के सेंि पीिसाबगा में बयघ सम्मेलन में बयघों के सांरक्षण के नलए हर सयल अांतरयाष्ट्रीय बयघ ददवस
मनयने कय ननणाय नलयय गयय।
इसमें एक समझौतय दकयय गयय नजसके अांतगात वषा 2022 तक नवश्व में बयघों की आबयदी दोगुनी करने कय लक्ष्य रखय गयय थय।
सांबांनधत तथ्य:
वतामयन में देश में कु ल 52 ियइगर ररजवा हैं।
देश कय सबसे नवीनतम 52वयां ियइगर ररजवा रयजस्थयन में रयमगढ़ नवषधयरी अभ्ययरण है, नजसे हयल ही में रयजस्थयन सरकयर
ने ियइगर ररजवा के रूप में मयन्यतय दी है।
भयरत कय पहलय बयघ ररजवा नजम कयबेि है, नजसे 1 अप्रैल 1973 को ियइगर ररजवा घोनषत दकयय गयय थय हयलयांदक नजम
कयबेि को नेशनल पयका कय दजया 1936 में ददयय गयय थय।
क्षेत्रफल की दृनष्ट से भयरत कय सबसे बड़य ियइगर ररजवा नयगयजुान सयगर श्रीशैलम सबसे बड़य है।
क्षेत्रफल की दृनष्ट से सबसे छोिय ियइगर ररजवा पेंच (महयरयष्ट्र) है।
नवश्व में सवयानधक ऊांचयई पर नस्थत ियइगर ररजवा नयमदफय अरुणयचल प्रदेश में है।
देश के कु ल 18 रयज्यों में बयघ पयए जयते हैं।
कै लयश सयांखलय को “ियइगर मैन ऑफ इां नडयय” भी कहय जयतय है।
पूरे नवश्व में सबसे अनधक बयघ भयरत में पयए जयते हैं।
2019 में आई बयघों पर ररपोिा के अनुसयर भयरत में 2967 बयघ हैं।
भयरत में सबसे अनधक 526 बयघ मध्यप्रदेश में पयए जयते हैं | मध्य प्रदेश के बयद कनयािक में सबसे अनधक 524 बयघ पयए जयते
हैं।
भयरत में ियइगर ररजवा
रयज्य कय नयम ियइगर ररजवा और उनके घोनषत वषा
असम 1.मयनस (1973 – 74)
2.नयमेरी (1999)
3.कयजीरां गय (2006)
4.ओरयांग (2016)
अरुणयचल प्रदेश 1.नयमदफय (1982 – 82)
2.पयकु ई (1999 – 2000)
3.कमलयांग (2016)
आांध्र प्रदेश 1.नयगयजुान श्रीशैलम (1982 – 83)
नबहयर 1.वयल्मीदक (1989-90)
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छत्तीसगढ़ 1.इां द्रयवती (1982-83
2.अचयनकमयर (2008-09)
3.उदांती सीतयनदी (2008-09)
झयरखांड 1.पलयमू (1973-74)
नमजोरम 1.डांपय (1994-95)
रयजस्थयन 1.रणथांबोर (1973-74)
2.सररस्कय (1978-79)
3.मुकुांदरय नहल्स (2013)
4.रयमगढ़ नवषधयरी अभ्ययरण (2021)
कनयािक 1.बयांदीपुर (1973-74)
2.भद्रय (1998-99)
3.नयगरहोल (1999-2000)
4.दयांडेली अांशी (2007)
5.नबलीनगरी रां गनयथ मांददर (2011-12)
के रल 1.पेररययर (1978-79)
2.परमबीकु लम (2008-09)
मध्य प्रदेश 1.कयन्हय (1973-74)
2.पेंच (1992-93)
3.बयांधवगढ़ (1993-94)
4.पन्नय (1994-95)
5.सतपुड़य (1999-2000)
6.सांजय दुबरी (2008-09)
महयरयष्ट्र 1.मेलघयि (1973-74)
2.पेंच (1992-93)
3.तडोब-अांधेरी (1993-94)
4.सह्ययद्री (2009-10)
5.नवेगयांव नयगजीरय (2013)
6.बोर (2014)
उत्तर प्रदेश 1.दुधवय (1987-88)
2.पीलीभीत (2012)
3.अमयनगढ़ (2012)
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उत्तरयखांड 1.नजम कयबेि (1973-74)
2.रयजयजी (2015)
पनिम बांगयल 1.सुांदरबन (1973-74
2.बुक्सय (1982-82)
तेलांगयनय 1.कवल (2012-13)
ओडीशय 1.नसमलीपयल (1973-74)
2.सतकोनसयय (2008-09)
तनमल नयडु 1.कयलकड-मुदांथुरेइ (1998-99)
2.अन्नयमलयई (2007)
3.मदुमलयई (2007)
4,सत्यमांगलम (2013)
एनशययई शेर
एनशययई शेर कय वैज्ञयननक नयम पैंथेरय नलयो पर्थसकय (Panthera ।eo Persica) है।
ये मुख्यतः नगर के जांगलों और जूनयगढ़, अमरे ली तथय भयवनगर नज़लों में फै ले कु छ अन्य सांरनक्षत क्षेत्रों में पयए जयते हैं।
एनशययई शेर को ‘भयरतीय वन्यजीव सांरक्षण अनधननयम, 1972’ के तहत अनुसूची-I में रखय गयय है।
अांतरयाष्ट्रीय प्रकृ नत सांरक्षण सांघ ( International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रे ड नलस्ि में एनशययई
शेर को सांकिग्रस्त (Endangered) श्रेणी में रखय गयय है।
सांख्यय में वृनद्ध
वषा 2015 की जनगणनय में एनशययई शेरों की सांख्यय 411 (वषा 2010) से बढ़कर 523 तक पहुँच गई थी।
वषा 2018 में ‘कै नयइन नडस्िेंपर वययरस’ (Canine Distemper Virus-CDV) और ‘बबेनसओनसस’ (Babesiosis) के प्रकोप
के कयरण 20 से अनधक शेरों की मृत्यु हो गई थी।
गुजरयत वन नवभयग द्वयरय जयरी आँकड़ों के अनुसयर, वषा 2015 में की गई गणनय की तुलनय में रयज्य में एनशययई शेरों की सांख्यय
में लगभग 29% वृनद्ध हुई है।
वन नवभयग द्वयरय नवीन जनगणनय के अनुसयर, वतामयन में रयज्य में एनशययई शेरों की कु ल सांख्यय674 बतयई गई है, जबदक वषा
2015 में यह सांख्यय मयत्र 523 ही थी।
वतामयन में रयज्य के कु ल 674 एनशययई शेर हैं।
सयथ ही इस दौरयन रयज्य में एनशययई शेरों के प्रवयस क्षेत्रफल में भी 36% वृनद्ध हुई है, वतामयन में रयज्य में एनशययई शेरों कय
प्रवयस क्षेत्रफल वषा 2015 के 22,000 वगा दकमी. से बढ़कर 30,000 वगा दकमी. तक पहुँच गयय है।
इस वषा रयज्य में एनशययई शेरों की सांख्यय कय अनुमयन ‘पूनम अवलोकन’ (Poonam Av।okan) नयमक एक ननगरयनी प्रदियय
के मयध्यम से लगययय गयय थय।
वषा 2018 में ‘कें द्रीय पययावरण, वन एवां जलवययु पररवतान मांत्रयलय ’ द्वयरय ‘एनशययई शेर सांरक्षण पररयोजनय’ (Asiatic ।ion
Conservation Project) की शुरुआअत की गई थी।
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हांगुल सांरक्षण
श्रीनगर के बयहरी क्षेत्र में नस्थत दयचीगयम रयष्ट्रीय उद्ययन ( Dachigam Nationa। Park) में 2009 तक इनकी सांख्यय 234
थी, वही ँ 2015 में घिकर नसफा 186 रह गई |
2011 में की गई गणनय में, हांगुल की सांख्यय 218 होने कय अनुमयन थय ।
वषा 1970 में जम्मू-कश्मीर सरकयर ने आइयूसीएन और वल्डा वयइल्ड लयइफ फां ड से एक सांयुक्त पररयोजनय (हांगुल पररयोजनय)
शुरू की तयदक हांगुल प्रजयनत को सांरनक्षत रखने के नलए एक ठोस प्रबांधन डयचीगयम में दकयय जयए ।
यह प्रजयनत इस रयष्ट्रीय पयका तक ही सीनमत रह गई है।
नहम तेंदआ
ु सांरक्षण
नहम तेंदआ
ु उच्च नहमयलयी और रयांस-नहमयलयी क्षेत्र के पयँच रयज्यों जम्मू और कश्मीर , नहमयचल प्रदेश, उत्तरयखांड, नसदक्कम तथय
अरुणयचल प्रदेश के भूभयग में पययय जयतय है।
यह क्षेत्र वैनश्वक नहम तेंदआ
ु रें ज में लगभग 5% योगदयन देतय है।
इसे IUCN की सुभेद्य (Vulnerable) तथय भयरतीय वन्यजीव (सांरक्षण) अनधननयम 1972 की अनुसूची 1 में रखय गयय है।
इसे CITES और प्रवयसी प्रजयनतयों पर सम्मेलन (CMS) के पररनशष्ट I में सूचीबद्ध दकयय गयय है।
यह नहमयचल प्रदेश कय रयजकीय पशु है।
सांरक्षण के प्रययस
नहम तेंदओं
ु की घिती सांख्यय को देखते हुए 2009 में इसके सांरक्षण के नलए नहम तेंदआ
ु पररयोजनय की शुरुआत की गई थी। इस
पररयोजनय के तहत पनिम बांगयल के दयर्थजसलग में नहम तेंदआ ु सांरक्षण के न्द्र खोलय गयय है।
प्रोजेक्ि स्नो लेपडा- यह तेंदए
ु के सांरक्षण के नलये समयवेशी और भयगीदयरी पूणा दृनष्टकोण को बढ़यवय देतय है नजसमें पूरी तरह से
स्थयनीय समुदयय शयनमल होतय है।
नसक्योर नहमयलय- GEF तथय UNDP द्वयरय जैव नवनवधतय के सांरक्षण और प्रयकृ नतक पयररनस्थनतकी तांत्र पर स्थयनीय समुदययों
की ननभारतय को कम करने के नलये इस पररयोजनय कय नवत्तपोषण दकयय जय रहय है। यह पररयोजनय अब चयर नहम तेंदए
ु रें ज
रयज्यों, जम्मू और कश्मीर, नहमयचल प्रदेश, उत्तरयखांड, और नसदक्कम में चयलू है।
भयरत सरकयर ने अांतरयाष्ट्रीय नहम तेंदआ
ु ददवस (23 अक्तू बर) के अवसर पर नहम तेंदए
ु की आबयदी के आकलन पर पहलय रयष्ट्रीय
प्रोिोकॉल (First Nationa। Protoco। on Snow ।eopard Popu।ation Assessment) लॉन्च दकयय है।
एक सीग वयले गैंडय कय सांरक्षण
भयरत, इां डोनेनशयय, मलेनशयय एवां अन्य एनशययई देशों में गैंडों कय ननवयस है।
वतामयन वैनश्वक आबयदी के अनुसयर एक सींग वयले भयरतीय गैंडों की सांख्यय 3,584 है। भयरत में असम रयज्य के कयजीरां गय
रयष्ट्रीय उद्ययन में 2,938 गैंडे हैं, जबदक नेपयल में 646।
हयलयँदक भूियन में गैंडे नहीं हैं लेदकन असम से सिे मयनस नेशनल पयका और पनिम बांगयल में बक्सय ियइगर ररज़वा से कभी-
कभयर कु छ गैंडे अांतरयाष्ट्रीय सीमय को पयर कर जयते है।
चीन से लेकर बयांग्लयदेश तक जवन और सुमयत्रन गैंडे नवलुप्त होने वयले हैं।
सुमयत्रन रयइनो, सभी रयइनो प्रजयनतयों में सबसे छोिय और दो सींगों वयलय एकमयत्र एनशययई गैंडय है , जो मलेनशयय के जांगलों
से नवलुप्त हो गयय है।
एक सींग वयले गैंडे के सींगो की अांतररयष्ट्रीय बयजयर में कयफी कीमत है क्योंदक इससे कयमोत्तेजक औषनधययां बनयई जयती है। इस
कयरण इन गैंडों कय अवैध तरीके से नशकयर दकयय जयतय है।
सांरक्षण हेतु प्रययस
हयल ही में नई ददल्ली में उन देशों की दूसरी बैठक कय आयोजन दकयय गयय जहयँ एनशययई गैंडे (रयइनो) पयए जयते हैं। इस बैठक
में एक सींग वयले गैंडे के सांरक्षण के नलये भयरत, नेपयल और भूियन के बीच सीमय-पयर सहयोग को रे खयांदकत दकयय गयय।
भयरत सरकयर ने वषा 1987 में गैंडय पररयोजनय की शुरुआत की थी।
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घनड़ययल सांरक्षण
घनड़ययल ज़्ययदयतर नहमयलयी नददयों में पययय जयतय है। घनड़ययल अपेक्षयकृ त हयननरनहत मयनय जयतय है जो मुख्यत: अपने
भोजन के नलये मत्स्य प्रजयनतयों पर ननभार रहतय है।
आनुवयांनशक रूप से मगरमच्छ की अन्य प्रजयनतयों की तुलनय में कमज़ोर होतय है।
IUCN की ‘गांभीर रूप से सांकियपन्न’ (Critically Endangered) सूची में शयनमल है।
उड़ीसय में भी घनड़ययल पयए जयते हैं परां तु यहयँ पर घनड़ययल चांबल नदी के समयन प्रयकृ नतक रूप से नहीं पयए जयते हैं अनपतु
मुख्यत: प्रजनन कें द्रों में इनकय सांरक्षण दकयय जयतय है।
वषा 2019 में उड़ीसय अांगुल नज़ले में सतकोनसयय घयि पर के वल 14 घनड़ययल तथय भुवनेश्वर के पयस नांदनकयनन नचनड़ययघर में
कम-से-कम 90 घनड़ययल हैं।
घनड़ययल की नगरती हुई सांख्यय को देखते हुए वषा 1975 में भयरत सरकयर ने सांयुक्त रयष्ट्र नवकयस कययािम की सहययतय से
ओनडशय के नतकरपयडय स्थयन से घनड़ययल प्रजनन योजनयकय शुभयरम्भ दकयय थय।
जैव नवनवधतय सांरक्षण
2014 में भयरत में सांरनक्षत क्षेत्र (Protected Areas) की सांख्ययड692 थी, जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्यय1दय हो गई है।
सयथ ही सयमुदयनयक ररजवा ( Community Reserve) की सांख्यय भी 2014 के 43 से बढ़कर अब करीब-करीब 100 को पयर
कर गई है।
जैव नवनवधतय सांरक्षण की दो प्रकयर की नवनधययां प्रचनलत हैं। एक नवनध के तहत प्रजयनतयों के सांरक्षण उनके स्वयां के आवयस में
दकयय जयतय है नजसे स्व-स्थयने (इन सीिू ) कहय जयतय है , वहीं दूसरी नवनध के तहत दकसी प्रजयनत को उनके आवयस से अलग एक
नवशेष एवां सुरनक्षत स्थयन पर देखभयल की जयती है, नजसे बयह्य-स्थयने (एक्स सीिू ) कहय जयतय है।
स्व-स्थयने (इन सीिू ):
इस नवनध के अांतगात प्रजयनत कय सांरक्षण उसके प्रयकृ नतक आवयस तथय मयनव द्वयरय ननर्थमत पयररतांत्र में दकयय जयतय है , जहयां वह
पयई जयती है। इस नवनध में नवनभन्न श्रेनणयों की सुरनक्षत क्षेत्रों कय प्रबांधन नवनभन्न उद्देश्यों से समयज के लयभ हेतु दकयय जयतय है।
सांरनक्षत क्षेत्र में रयष्ट्रीय पयका , अभ्ययरण्ड्य, तथय जैव मांडल ररजवा शयनमल होते हैं। रयष्ट्रीय पयका की स्थयपनय कय मुख्य उद्देश्य वन्य
जीव की प्रजयनत को सांरक्षण प्रदयन करनय होतय है।
जैव मांडल ररजवा बहु-उपयोग सांरनक्षत क्षेत्र होतय है नजसमें आनुवयांनशक नवनवधतय को उसके प्रनतनननध पयररतांत्र में वन्यजीव
जनसांख्यय, आददवयनसयों की पयरां पररक जीवनशैली आदद को सुरक्षय प्रदयन कर सांरनक्षत दकयय जयतय है।
उदयहरण जैव मण्ड्डल ररजवा , वन्यजीव अभययरण्ड्य, रयष्ट्रीय उद्ययन, सरां क्षण ररजवा जैसे- रयष्ट्रीय उद्ययन पक्षी नवहयर , वन्य जीव
अभ्ययरण, बययोस्फीयर ररजवा
बयह्य-स्थयने (एक्स सीिू ):
इस सांरक्षण में सांकियपन्न पयदपों तथय जीव जांतुओं को उनके प्रयकृ नतक आवयस से अलग एक नवशेष स्थयन पर ले जयकर उनकी
अच्छी देखभयल की जयती है और सयवधयनीपूवाक सांरनक्षत दकयय जयतय है।
जांतु उद्ययन, वनस्पनतक उद्ययन तथय वन्य जीव सफयरी पयकों कय यही उद्देश्य होतय है। ऐसे बहुत से जांतु हैं जो वनों में नवलुप्त हो
गए हैं, ककतु जांतु उद्ययनों में सुरनक्षत हैं।
उदयहरण: बोिैननकल उद्ययन , रिश्यू कल्चर लैब , एक्वेररयम, बीज बैंक , नचनड़ययघर, जीन बैंक , प्रयणी उद्ययन , एक्वेररयम,
वन्यजीव सफयरी पयका
जैवमांडल ररजवा
MAB कययािम को वषा 1971 में यूनेस्को द्वयरय शुरू दकयय गयय थय , नजसकय उद्देश्य मयनव और उनके पययावरण के बीच सांबांधों
के सुधयर के नलये एक वैज्ञयननक आधयर स्थयनपत करनय है।
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इसके तहत भयरत सरकयर ने जैवमांडल ररजवा की स्थयपनय की। इसके अांतगात स्थलीय, जलीय, एवां तिीय पयररतांत्र सभी आते हैं।
जैवमांडल ररजवा कय नयमकरण के न्द्रीय सरकयर द्वयरय दकयय जयतय है।
देश में प्रथम जैवमांडल ररजवा 1986 में नीलनगरी में स्थयनपत दकयय गयय।
जैवमांडल ररजवा को पयरां पररक रूप से तीन क्षेत्रों में बयँिय गयय है -
1. कोर क्षेत्र (Core Zone )
2. बफर क्षेत्र (Buffer Zone)
3. सांिमण क्षेत्र (Transition Zone )
कोर क्षेत्र सबसे अनधक सांरनक्षत क्षेत्र मयनय जयतय है। कोर क्षेत्र रयष्ट्रीय उद्ययन भी हो सकतय है। इस क्षेत्र में सरकयरी
अनधकयररयों/कमाचयररयों को छोड़कर अन्य सभी कय प्रवेश वर्थजत होतय है।
बफर क्षेत्र िोड क्षेत्र के चयरों ओर कय वह क्षेत्र है नजसकय प्रयोग पूणातयय ननयांनत्रत व अनवध्वांशक कययों के नलए दकयय जयतय है।
सांिमण (रयांजीशन) क्षेत्र बफर क्षेत्र के चयरों तरफ कय भयग होतय है। सांिमण क्षेत्र कय मुख्य उद्देश्य नवकयसशील कययों एवां
योजनयओं से सांबांनधत होतय है।
यूनेस्को के सांरनक्षत जैवमांडलों के नवश्व नेिवका
27-28 अक्िू बर, 2020 के मध्य वीनडयो कॉन्फ्रेंस के मयध्यम से यूनेस्को के मयनव और जैवमांडल कययािम (MAB) की
अांतररयष्ट्रीय समन्वय पररषद की बैठक आयोनजत हुई।
इस बैठक में दुननयय भर से 25 स्थलों को यूनेस्को के सांरनक्षत जैवमांडलों के वैनश्वक नेिवका में शयनमल दकयय गयय।
नजसमें भयरत के मध्य प्रदेश नस्थत पन्नय जैवमांडल आरनक्षत क्षेत्र को यूनेस्को के सांरनक्षत जैवमांडलों के वैनश्वक नेिवका में शयनमल
दकयय गयय।
यह यूनेस्को के सांरनक्षत जैवमांडलों के वैनश्वक नेिवका में शयनमल होने वयलय भयरत कय 12वयां जैवमांडल आरनक्षत क्षेत्र है।
इससे पूवा भयरत के कु ल 18 जैवमांडल आरनक्षत क्षेत्रों में से 11 इस सूची में शयनमल हो चुके, जो इस प्रकयर हैं-
o नीलनगरर (वषा 2000), तनमलनयडु , के रल तथय कनयािक
o मन्नयर की खयड़ी (वषा 2001), तनमलनयडु
o सुांदरबन (वषा 2001), पनिम बांगयल
o नांदय देवी (वषा, 2004), उत्तरयखांड
o नोकरे क (वषा 2009), मेघयलय
o पांचमढ़ी (वषा 2009), मध्य प्रदेश
o नसमलीपयल (वषा 2009), ओनडशय
o अचयनकमयर-अमरकां िक (वषा 2012), म.प्र., छत्तीसगढ़
o 9ग्रेि ननकोबयर (वषा 2013)
o अगस्त्यमलयई (वषा 2016), के रल एवां तनमलनयडु ।
o कां चनजांघय (वषा 2018), नसदक्कम
वषा 2011 में कें द्र सरकयर ने पन्नय को जैवमांडल आरनक्षत क्षेत्र घोनषत दकयय थय।
पांचमांढ़ी और अचयनकमयर-अमरकां िक के बयद यह (पन्नय) तीसरय जैवमांडल आरनक्षत क्षेत्र है, जो जैवमांडलों के वैनश्वक नेिवका में
शयनमल हुआ।
गौरतलब है दक सांयुक्त रयष्ट्र शैनक्षक वैज्ञयननक एवां सयांस्कृ नतक सांगठन (UNESCO) ने वषा 1971 में मयनव और जैवमांडल
कययािम (MAB) की शुरुआत की थी।
इस कययािम कय उद्देश्य पयररनस्थनतकी तांत्र के सांरक्षण में प्रबांधन, अनुसांधयन और नशक्षय से सांबांनधत अांतर्थवषयक उपयगम को
बढ़यवय देनय है।
इस कययािम की सबसे बड़ी उपलनधध वषा 1977 में सांरनक्षत जैवमांडलों कय वैनश्वक नेिवका तैययर करनय थय।
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इस नेिवका के अांतगात अांतररयष्ट्रीय स्तर पर ननर्क्रदष्ट वे सांरनक्षत क्षेत्र आते हैं, नजन्हें सांरनक्षत जैवमांडल (Biosphere Reserve)
कहय जयतय है।
इसकय उद्देश मयनव और प्रकृ नत के बीच एक सांतुनलत सांबांध को प्रदर्थशत करनय है।
अब इस नेिवका के अांतगात नवश्वभर के 129 देशों में सांरनक्षत जैवमांडलों की सांख्यय 714 हो गई है।
वन्य जीव सांरक्षण अनधननयम 1972 ( Wildlife Conservation Act of 1972 )
वन्य जीव सांरक्षण अनधननयम 1972 के अधीन तीन प्रकयर के जैव भौगोनलक क्षेत्रों कय गठन दकयय गयय।
रयष्ट्रीय उद्ययन ( National Park )
इनकय सीमयांकन दकसी पयररतांत्र के नवशेष पशु पनक्षयों तथय पेड़ पौधों को सांरक्षण देने के नलए दकयय जयतय है।
सीमयओं कय ननधयारण- नवधयनयकय द्वयरय।
पयािन की अनुमनत होती हैं,लेदकन आखेि की नहीं ।
स्थयपनय- वन्य जीव सांरक्षण अनधननयम 1972 के तहत
उद्देश्य- वन्य जीवों को मयनव हस्तक्षेप से मुक्त सुरनक्षत आवयस उपलधध करयनय।
वन्य जीव अभ्ययरण ( Wi।d।ife sanctuary )
सीमयांकन- दकसी नवशेष पशु पक्षी को सांरक्षण देने के नलए।
इनकी सीमयओं में पररवतान एवां सांशोधन नहीं दकयय जय सकतय।
अनुमनत के सयथ मयनव सीनमत रूप से हस्तक्षेप कर सकतय है। जैसे- लकड़ी कयि सकतय है , सीनमत पयािन की अनुमनत होती है
और शोध कयया की सुनवधयएां उपलधध नहीं होती है।
आद्रा भूनम (Wet।and)
वेिलैंड (आद्राभूनम) एक नवनशष्ट प्रकयर कय पयररनस्थनतकीय तांत्र है तथय जैव-नवनवधतय कय एक महत्त्वपूणा अांग है। जलीय एवां
स्थलीय जैव-नवनवधतयओं कय नमलन स्थल होने के कयरण यहयँ वन्य प्रयणी प्रजयनतयों व वनस्पनतयों की प्रचुरतय पयए जयने की
वज़ह से वेिलैंड समृऺद्ध पयररस्थनतकीय तांत्र है।
नमी यय दलदली भूनम वयले क्षेत्र को आद्राभूनम यय वेिलैंड ( Wet।and) कहय जयतय है। आद्राभूनम जल को प्रदूषण से मुक्त बनयती
है। आद्राभूनम वह क्षेत्र है जो वषा भर आांनशक रूप से यय पूणातः जल से भरय रहतय है।
भयरत में आद्राभूनम ठां डे और शुष्क इलयकों से लेकर मध्य भयरत के करिबांधीय मयनसूनी इलयकों और दनक्षण के नमी वयले इलयकों
तक फै ली हुई है।
यूनेस्को के अनुसयर , यह दुननयय की 40% वनस्पनतयों और वन्यजीवों को प्रभयनवत करतय है जो आद्राभूनमयों में ननवयस यय
प्रजनन करते हैं।
भूनम आधयररत कयबान कय तीस प्रनतशत पीिलैंड में सांग्रहीत है ; एक अरब लोग अपनी आजीनवकय के नलये आद्राभूनम पर ननभार
हैं; आद्राभूनमययँ आवश्यक सेवयओं में सयलयनय 47 ररनलयन डॉलर कय योगदयन करती हैं।
2 फरवरी, 2020 को नवश्व आद्राभूनम ददवस मनययय गयय। इस वषा आद्राभूनम ददवस की थीम ‘वेिलैंड्स और जैव-नवनवधतय’
(Wet।ands and Biodiversity) है।
आद्राभूनम कय वगीकरण:
आद्राभूनम कय वगीकरण एक समस्ययत्मक कयया रहय है, आमतौर पर स्वीकृ त पररभयषय के अनुसयर इसकय वगीकरण ननम्न प्रकयर से हैं–
समुद्री/तिीय आद्राभूनम (Marine/Coasta। Wet।and)
स्थययी उथलय समुद्री जल [खयड़ी व जलडमरूमध्य (Straits)]
समुद्री उपज्वयर जलीय बेड (Marine Subtida। Aquatic Bed)
कोरल रीफ
पथरीलय समुद्री ति (Rocky Marine Shores)
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बयलू, गोरिययँ एवां कां कड़ ति (Sand, Shing।e or Pebb।e Shores)
एिुअरी (Estuaries)
लैगून (।agoon)
मैंग्रोव (Mangroves)
अांत:स्थलीय आद्राभूनम (In।and Wet।and)
झील/तयलयब (।akes/Pond)
डेल्िय (De।tas)
स्रीम/िीक (Stream/Creeks)
अनूप/कच्छ (Swamp/Marsh)
स्वच्छ पयनी सस्प्रग (Fresh Water Springs)
मयनव ननर्थमत आद्राभूनम (Man Made Wet।and)
एक्वयकल्चर (Aquacu।ture)
तयलयब, छोिे िैंक [Ponds (Farm Pond), Small Tanks]
ससनचत कृ नष भूनम (Irrigated ।and)
कै नयल (Canals)
अपनशष्ट पयनी ननवयरक क्षेत्र (Wastewater Treatment Area)
भयरत में आद्रा भूनम
भयरत में कु ल आद्राभूनम 1,081,438 हेक्िेयर क्षेत्र में फै ली हुई हैं , जो भयरत के लगभग 1.6 करोड़ हेक्िेयर यय 4.6% क्षेत्र को
कवर करती हैं।
रयमसर कन्वेंशन
रयमसर वेिलैंड्स कन्वेंशन एक अांतर-सरकयरी सांनध है , जो वेिलैंड्स और उनके सांसयधनों के सांरक्षण और बुनद्धमतयपूणा उपयोग
के नलये रयष्ट्रीय कयया और अांतरयाष्ट्रीय सहयोग कय ढयांचय उपलधध करयती है।
2 फरवरी, 1971 को नवश्व के नवनभन्न देशों ने ईरयन के रयमसर में दुननयय के वेिलैंड्स के सांरक्षण हेतु एक सांनध पर हस्तयक्षर
दकये थे, इसीनलये इस ददन नवश्व वेिलैंड्स ददवस कय आयोजन दकयय जयतय है।
यह सांनध वषा 1975 में लयगू हुई एवां भयरत इसमें वषा1982 में शयनमल हुआ।
वषा 2015 तक के आँकड़ों के अनुसयर, अब तक 169 दल रयमसर कन्वेंशन के प्रनत अपनी सहमनत दज़ा करय चुके हैं नजनमें भयरत
भी एक है।
वतामयन में 2200 से अनधक वेिलैंड्स हैं , नजन्हें अांतरयाष्ट्रीय महत्त्व के वेिलैंड्स की रयमसर सूची में शयनमल दकयय गयय है और
इनकय कु ल क्षेत्रफल 2.1 नमनलयन वगा दकलोमीिर से भी अनधक है।
रयमसर कन्वेंशन नवशेष पयररनस्थनतकी तांत्र के सयथ कयम करने वयली पहली वैनश्वक पययावरण सांनध है।
रोचक तथ्य
ऑस्रेनलयय कय कोबॉगा प्रययद्वीप दुननयय कय पहलय नयनमत वेिलैंड्स है, नजसे 1974 में चुनय गयय थय।
कयांगो कय नगरी-तुांब-मेनडोंबे (Ngiri-Tumba-Maindombe) और कनयडय कय क्वीन मौद ग्लफ (Queen Maud Gu।f) दुननयय
के सबसे बड़े वेिलैंड्स हैं, जो 60 हजयर वगा दकलोमीिर से अनधक क्षेत्र में फै ले हैं।
भयरत और रयमसर
30 जनवरी, 2019 को रयमसर कन्वेंशन के तहत भयरतीय सुांदरबन को वेिलैंड ऑफ इां िरनेशनल इां पोिेंस कय दजया नमल गयय
है।
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सुांदरबन भयरत तथय बयांग्लयदेश के तिीय क्षेत्र में नवशयल और सांगरठत मैंग्रोव वन पयररनस्थनतक तांत्र है। सुांदरबन में बांगयल की
खयड़ी के मुहयने पर गांगय और ब्रह्मपुत्र के डेल्िय में सैकड़ों द्वीपों, नददयों, सहययक नददयों और सररतयओं कय नेिवका शयनमल है।
डेल्िय के दनक्षण-पनिमी भयग में नस्थत, भयरतीय सुांदरबन देश के कु ल मैंग्रोव वन क्षेत्र कय 60% से अनधक है।
यह भयरत में 27वयां रयमसर स्थल है और 4,23,000 हेक्िेयर क्षेत्र के सयथ अब देश में सबसे बड़य सांरनक्षत आद्राभूनम है।
भयरत में रयमसर स्थलों की सांख्यय 46 है और इन स्थलों से आच्छयददत सतह क्षेत्र अब 1,083,322 हेक्िेयर हो गयय है।
भयरत में रयमसर नयनमत आद्राभूनम की सूची
रयमसर नयनमत आद्राभूनम स्थल रयज्य
सभडयवयस वन्यजीव अभययरण्ड्य और सुल्तयनपुर रयष्ट्रीय उद्ययन (2021 में) हररययणय
थोल झील और वयधवयनय आद्राभूनम (2021 में) गुजरयत
'स्तयतयासयपुक त्सो'(Startsapuk Tso) और 'त्सो कर'(Tso Kar) झील लद्दयख
सूर सरोवर (कीथम झील) उत्तर प्रदेश
लोनर झील महयरयष्ट्र
कबर तयल(कयांवर झील) नबहयर
आसन कां ज़वेशन ररज़वा उत्तरयखांड(उत्तरयखांड कय पहलय)
नांदरु मदमहेश्वर महयरयष्ट्र
के शोपुर-नमआनी पांजयब
धययस कां जवेशन ररजवा पांजयब
नांगल पांजयब
नवयबगांज उत्तर प्रदेश
पयवाती आगरय उत्तर प्रदेश
समन उत्तर प्रदेश
समसपुर उत्तर प्रदेश
सयण्ड्डी उत्तर प्रदेश
सरसईनवयर उत्तर प्रदेश
अष्टमुडी आद्राभूनम के रल
सस्थमकोट्टय झील के रल
वेम्बनयड-कोल आद्राभूनम के रल
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नभतरकननकय मैंग्रोव ओनडशय
नचनलकय झील ओनडशय
भोज आद्राभूनम मध्य प्रदेश
चांद्र तयल नहमयचल प्रदेश
पोंग बयांध झील नहमयचल प्रदेश
रे णुकय आद्राभूनम नहमयचल प्रदेश
दीपोर बील असम
पूवी कोलकयतय की आद्राभूनम पनिम बांगयल
सुांदरबन पनिम बांगयल
हररके क आद्राभूनम पांजयब
कां जली आद्राभूनम पांजयब
रोपड़ पांजयब
होके रय आद्राभूनम जम्मू और कश्मीर
सुटरसर-मांसयर झील जम्मू और कश्मीर
त्सोमोरररी जम्मू और कश्मीर
वूलर झील जम्मू और कश्मीर
नलसरोवर पक्षी अभययरण्ड्य गुजरयत
कोल्लेरू झील आांध्र प्रदेश
लोकतक झील मनणपुर
पॉइां ि कै लीमेयर वन्यजीव और पक्षी अभययरण्ड्य तनमलनयडु
रुद्र सयगर झील नत्रपुरय
सयांभर झील रयजस्थयन
के वलयदेव रयष्ट्रीय पयका रयजस्थयन
ऊपरी गांगय नदी (ब्रजघयि से नरोरय तक) उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में आद्राभूनमययँ
उत्तर प्रदेश जैव नवनवधतय की दृनष्ट से महत्वपूणा हैं। उत्तर प्रदेश सरकयर ने आद्रभूनम सांरक्षण एवां प्रबांध ननयम-2017 के तहत 11
जनवरी 2018 उत्तर प्रदेश रयज्य आद्रभूनम प्रयनधकरणगरठत दकयय।
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5 अक्तू बर 2018 को उत्तर प्रदेश रयज्य आद्राभूनम प्रयनधकरण की दूसरी बैठक में 20 में 12 वेिलैंड को प्रयथनमकतय के आधयर पर
रयमसर स्थलों में शयनमल करने के नलए भयरत सरकयर को भेजे जयने को लेकर ननणाय नलयय गयय। इनमें से 7 आद्रा भूनमययँ
शयनमल हो चुकी हैं।
आद्रा भूनमययँ नवशेषतयएां
नवयबगांज पक्षी उन्नयव नजले में नस्थत है
अभ्ययरण्ड्य इसे चांद्रशेखर आजयद पक्षी अभययरण्ड्य के रूप में भी जयनय जयतय है
अभययरण्ड्य कई अांतररयष्ट्रीय और रयष्ट्रीय प्रवयसी पनक्षयों कय स्वयगत करतय है।
इनमें गयगी िीले , मल्लयडा, पपाल मूरहेन , नलरिल ग्रीबे , स्पूननबल डक , रे ड वॉिल्ड लैपसवग और
नवगॉन शयनमल हैं।
पयवाती अरां गय पक्षी गोंडय नजले में नस्थत है
अभ्ययरण्ड्य पयवाती और अरां गय दो वषया आधयररत झीलें हैं जो 1.5 दकमी दूरी पर हैं।
यह पक्षी सांरक्षण जयगरूकतय की सुनवधय प्रदयन करने के मयमले में एक सांभयनवत इकोिू ररज्म सयइि
है।
समन पक्षी अभ्ययरण्ड्य भोगयांव, मैनपुरी नजलय (इियवय के पयस)।
1990 में क्षेत्र में िे न की बड़ी आबयदी की रक्षय करने के उद्देश्य से इसे अनधसूनचत दकयय गयय थय।
सयरस के घरों में यह नचनत्रत सयरस शयनमल हैं; धलॉकनेक स्िॉका , ओपन-नबल्ड स्िॉका और वूली-नेक्ड
स्िॉका ।
समसपुर पक्षी नवहयर रययबरे ली नजलय
यह नवनभन्न प्रवयसी पनक्षयों सनहत पक्षी प्रजयनतयों के सांरक्षण के नलए जयनय जयतय है।
इसमें पनक्षयों की 250 से अनधक प्रजयनतययां हैं और यह पसांदीदय पक्षी है।
नगद्ध, ककगदफशर, स्पॉि नबल िेयल कॉमन और िेल नव्हससलग आदद इस अभययरण्ड्य के स्थययी
ननवयसी हैं।
सैंडी पक्षी अभ्ययरण्ड्य हरदोई नजलय
बॉम्बे नेचुरल नहस्री सोसययिी ने इस अभ्ययरण्ड्य को “महत्वपूणा पक्षी क्षेत्र” के रूप में सूचीबद्ध दकयय
है।
सरसई नवर झील यह उत्तर प्रदेश के इियवय नजले में एक छोिय असुरनक्षत वेिलैंड है।
इसमें दो छोिी झीलें शयनमल हैं जो सॉसा िे न , व्हयइि इनबस और अन्य जल पनक्षयों को बड़ी सांख्यय
में आकर्थषत करती हैं।
इसमें सयसा िे न्स की खतरनयक प्रजयनतयों की एक बड़ी आबयदी है जो दुननयय के सबसे ऊांचे उड़ने
वयले पक्षी हैं।
सुर सरोवर सुर सरोवर झील में 106 से अनधक प्रवयसी पक्षी ननवयस करते हैं।
इस झील कय पयनी आगरय नहर से प्रयप्त होतय है। यह नहर ददल्ली में यमुनय नदी पर ओखलय बैरयज
से ननकलती है।
जलीय पयररतांत्र के सांरक्षण हेतु रयष्ट्रीय कययायोजनय
(National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystems- NPCA)
NPCA आद्राभूनमयों और झीलों दोनों के नलए एक एकल सांरक्षण कययािम है।
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यह कें द्र प्रययोनजत योजनय है जो वतामयन में कें द्रीय पययावरण , वन और जलवययु पररवतान मांत्रयलय द्वयरय कयययानन्वत की जय रही
है।
वषा 2015 में ‘रयष्ट्रीय झील सांरक्षण योजनय’ और ‘रयष्ट्रीय आद्राभूनम सांरक्षण कययािम’ के नवलय से तैययर दकयय गयय।
NPCA को नवनभन्न नवभयगों के मध्य बेहतर तयलमेल को बढ़यवय देने और प्रशयसननक कययों के ओवरलैसपग से बचने के नलये
तैययर दकयय गयय।
जैवनवनवधतय सांरक्षण हेतु प्रययस
जैव नवनवधतय अनभसमय (सीबीडी)
यह अनभसमय वषा 1992 में ररयो नड जेनेररयो में आयोनजत पृथ्वी सम्मेलन के दौरयन अांगीकृ त प्रमुख समझौतों में से एक है।
सीबीडी पहलय व्ययपक वैनश्वक समझौतय हैनजसमें जैव नवनवधतय से सांबांनधत सभी पहलुओं को शयनमल दकयय गयय है।
सीबीडी में पक्षकयर के रूप में नवश्व के 196 देश शयनमल हैं नजनमें 168 देशों ने हस्तयक्षर दकये हैं।
भयरत सीबीडी कय एक पक्षकयर (party) है।
इस कन्वेंशन में रयष्ट्रों के जैनवक सांसयधनों पर उनके सांप्रभु अनधकयरों की पुनष्ट दकये जयने के सयथ तीन लक्ष्य ननधयाररत दकये गए
है-
o जैव नवनवधतय कय सांरक्षण
o जैव नवनवधतय घिकों कय सतत उपयोग
o आनुवांनशक सांसयधनों के उपयोग से प्रयप्त होने वयले लयभों में उनचत और समयन भयगीदयरी
कयियाजेनय जैव सुरक्षय प्रोिोकॉल
जैव नवनवधतय कन्वेंशन के तत्वयधयन में कयियाजेनय जैव सुरक्षय प्रोिोकॉल को29 जनवरी, 2000 को अांगीकयर दकयय गयय।
इसकय मुख्य उद्देश्य आधुननक प्रौद्योनगकी के पररणयमस्वरूप ऐसे सजीव पररवर्थतत जीवों (।MO) कय सुरनक्षत अांतरण, प्रहस्तरण
और उपयोग सुनननित करनय है नजसकय मयनव स्वयस्थ्य को देखते हुए जैव नवनवधतय के सांरक्षण एवां सतत् उपयोग पर प्रनतकू ल
प्रभयव पड़ सकतय है।
आईची लक्ष्य
2010 में नगोयय, जयपयन के आइची प्रयांत में आयोनजत सीबीडी के 10 वें सम्मेलन में जैवनवनवधतय के अद्यतन रणनीनतक
योजनय नजसे आईची लक्ष्य नयम ददयय गयय, को स्वीकयर दकयय गयय।
उसके एक भयग के रूप में लघु-अवनध रणनीनतक योजनय-2020 के तहत 2011-2020 के नलये जैवनवनवधतय पर एक व्ययपक
रूपरे खय तैययर की गयी। इसके अांतगात सभी पक्षकयरों के नलये जैव नवनवधतय के नलये कयया करने हेतु एक 10 वषीय ढयँचय
उपलधध करययय गयय है।
आईची लक्ष्य में मुख्य रूप से पयांच रणनीनतक लक्ष्य हैं;
o जैव नवनवधतय नुकसयन के कयरणों को समझनय,
o जैव नवनवधतय पर प्रत्यक्ष दबयव को कम करनय व सतत उपयोग को बढ़यवय देनय,
o पयररतांत्र, प्रजयनतयों एवां अनुवांनशक नवनवधतय की सुरक्षय कर जैव नवनवधतय नस्थनत में सुधयर लयनय,
o जैव नवनवधतय एवां पयररतांत्र सेवयओं से लयभों कय सभी में सांवद्धान
o सयझीदयरी ननयोजन, ज्ञयन प्रबांधन तथय क्षमतय ननमयाण के द्वयरय दिययन्वयन में वृनद्ध।
यह लघुवनध योजनय 20 महत्त्वयकयांक्षी लक्ष्यों, नजसे सनम्मनलत रूप से आइची लक्ष्य ( Aichi Targets) कहते है, कय एक समूह
है।
भयरत ने 20 वैनश्वक आईची जैव नवनवधतय लक्ष्यों के अनुरूप 12 रयष्ट्रीय जैव नवनवधतय लक्ष्य (NBT) नवकनसत दकये है।
नयगोयय प्रोिोकॉल
नयगोयय प्रोिोकॉल नजसे एबीसी प्रोिोकॉल भी कहय जयतय है, आनुवांनशक सांसयधनों की पहुांच व लयभ सयझेदयरी से सांबांनधत है।
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इस प्रोिोकॉल को जयपयन के नयगोयय में जैव नवनवधतय अनभसमय पर पक्षकयरों के 10वें सम्मेलन के दौरयन ( 10वें कोप) 29
अक्िू बर, 2010 को स्वीकयर दकयय गयय थय।
यह प्रोिोकॉल 12 अक्िू बर, 2014 को प्रभयवी हुआ। भयरत ने इस प्रोिोकॉल पर 11 मई, 2011 को हस्तयक्षर दकयय और 9
अक्िू बर, 2012 को इसकी अनभपुनष्ट की।
भयरत के नलए यह प्रोिोकॉल अनत महत्वपूणा है क्योंदक वह अपने अनुवयांनशक सांसयधनों एवां उससे जुड़े पयरां पररक ज्ञयन के
बययोपययरे सी एवां अनौनचत्य उपयोग कय पीनड़त रहय है नजसे अन्य देशों में पेिेंि करययय गयय है। हल्दी एवां नीम इसके उदयहरण
हैं।
भयरत में पययावरण सबांधी कयनून
जलु प्रदूषण सांबांधी-कयनून
रीवर बोडसा एक्ि, 1956
जल (प्रदूषण ननवयरण एवां ननयांत्रण ) अनधननयम, 1974
जल उपकर (प्रदूषण ननवयरण एवां ननयांत्रण ) अनधननयम, 1977
वययु प्रदूषण सांबांधी कयनून
इनफ्लेमेबल्स सबस्िय<सेज एक्ि, 1952
वययु (प्रदूषण ननवयरण एवां ननयांत्रण ) अनधननयम, 1981
पययावरण (सांरक्षण) अनधननयम, 1986
भूनम प्रदूषण सांबांधी कयनून
फै क्रीज एक्ि, 1948
इां डस्रीज़ (डेवलपमेंि एांड रे गुलेशन) अनधननयम, 1951
इनसेक्िीसयइडस एक्ि, 1968
अबान लैण्ड्ड (सीसलग एण्ड्ड रे गयुलेशन) एक्ि, 1976
वन तथय वन्यजीव सांबांधी कयनून
फोरे स्िस कां जरवेशन एक्ि, 1960
वयइल्ड लयईफ प्रोिेक्शन एक्ि, 1972
फोरे स्ि (कनजरवेशन) एक्ि, 1980
वयइल्ड लयईफ (प्रोिेक्शन) एक्ि, 1995
जैव-नवनवधतय अनधननयम, 2002
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