Description
मैं सर्वप्रथम अपने माता-पिता गुरु एवं ईष्ट देव का स्मरण करके समस्त देश-वासियों से निवेदन करता हूं कि मैं एक साधरण परिवार समाज और क्षेत्रवासी जो कि साधारण शिक्षा प्राप्त हूं, आपके सेवक रुप में “नेता-देश और धर्म” नामक पुस्तक लिख रहा हूं सो गलतियों के लिए क्षमा याचक हूं। देश में अनेक विद्वान धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक लेख अपने-अपने मतानुसार लिखते हैं परन्तु मैं मूर्ख भी विद्वानों की नकल में उतर आया हूं, मैंने संक्षिप्त में धार्मिक-सामाजिक और राजनैतिक लेख पढ़े है उसी के आधार पर अपना मत पेश कर रहा हूं।
मैं एक साधारण व्यक्ति हूं जिसने न अच्छी समाज देखी और न अच्छा अध्यमनरत हूं, लेकिन अपने विचारों को उद्धृत करने की चेष्टा कर रहा हूं। प्रत्येक विद्वान कवि लेखक एवं सामाजिक कर्ता अपने-अपने भावों को व्यक्त करते हैं तो वे बहुत पढ़े-लिखे है पर मैं अपूर्ण शिक्षा वाला हूं तो मैं कसे उनकी बराबरी कर सकता हूं, नहीं कर सकता। परन्तु मूर्खतावश लिखने का साहस कर रहा हूं। यदि भाई-बहनों का सहयोग रहेगा तो मेरा हौसला बुलन्द हो सकता है।
मैं समस्त देश-वासी भाई-बहनों से आसा करता हूं कि एक मूर्ख की लेख को एक बार ध्यानपूर्वक पढ़कर मेरी इच्छाओं को साकार कर देना, मैं आप लोगों का सदा आभारी रहूंगा ।
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